नीतीश कुमार की जल्दबाजी से टली विपक्ष की बैठक? अब लगा रहे शर्तें; कहां खामियां
नई दिल्ली
बिहार की राजधानी पटना में होने वाली विपक्ष की संभावित बैठक टल चुकी है। इस महामंथन में हो रही देरी का बड़ा जिम्मेदार विपक्षी एकता के अगुवा के तौर पर उभरे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ही माना जा रहा है। फिलहाल, नई तारीख का आधिकारिक ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन संभावनएं जताई जा रही हैं कि 23 जून को दल चर्चा कर सकते हैं। अब तारीख में हुए बदलाव को भी विपक्ष के ढांचे में खामी के तौर पर देखा जा रहा है।
कई पार्टियों को दिक्कत
सोमवार को नीतीश ने साफ कर दिया है कि बैठक में पार्टी के प्रमुखों का ही शामिल होना जरूरी है। दरअसल, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और नेता राहुल गांधी दोनों ही 12 जून को मिलने में असमर्थता जता चुके हैं। इसके अलावा तमिलनाडु में सत्तारूढ़ डीएमके भी तारीख से खुश नहीं है। सीपीएम को परेशानी है और कहा जा रहा है कि डीएमके ने नीतीश से बैठक की तारीख में बदलाव की अपील की है।
क्यों टली बैठक?
22 मई को नतीश और जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने खड़गे और राहुल से दिल्ली में मुलाकात की थी। खबर है कि उस दौरान विपक्ष के नेताओं की बैठक के बारे में कांग्रेस को जानकारी दी गई थी। तब कांग्रेस ने कहा था कि विपक्षी की बैठक की जगह और तारीख एक-दो दिन में घोषित की जाएगी, लेकिन 6 दिन बाद जेडीयू ने पटना में 12 तारीख को बैठक का ऐलान कर दिया। हालांकि, 20 जून के बाद चर्चा चाह रही कांग्रेस इस मामले पर चुप रही।
इधर, डीएमके ने भी संकेत दे दिए थे कि पार्टी की वरिष्ठ नेता और सांसद कनिमोझी को प्रतिनिधि के तौर पर मीटिंग में भेजेगी। वहीं, कांग्रेस अपने किसी एक मुख्यमंत्री को भेजने की तैयारी कर रही थी। कहा जा रहा है कि बैठक टलने की यह भी एक बड़ी वजह हो सकती है।
सोमवार को नीतीश ने कहा, 'कांग्रेस और एक अन्य पार्टी की आपत्ति के बाद हमें 12 जून की बैठक खत्म करनी पड़ी। ऐसे में मैंने बैठक को टालने का फैसला किया और कांग्रेस को अन्य दलों के साथ चर्चा कर नई तारीख का सुझाव देने के लिए कहा है।' उन्होंने कहा, 'लेकिन मैंने एक बात साफ कर दी है कि शामिल होने वाले सभी दलों का प्रतिनिधित्व उनके प्रमुख ही करेंगे…। अगर कोई पार्टी कहती है कि उसका प्रतिनिधित्व कोई और करेगा, तो यह स्वीकार नहीं होगा।' इस दौरान उन्होंने खासतौर से कांग्रेस के नाम का जिक्र किया है।
क्या नीतीश हैं वजह?
नेता का कहना है कि 12 जून तय करने से पहले किसी भी नेता से बातचीत नहीं की गई और न ही टालने के बाद 23 जून को लेकर कोई बात की गई। रिपोर्ट के अनुसार, नेता ने कहा, 'नीतीश कुमार ने मुझे एक दिन फोन किया और 12 जून की बैठक के बारे में बताया। तारीख तय करने से पहले मुझसे कोई चर्चा नहीं की गई थी। मुझे बैठक टाले जाने के बारे में भी नहीं बताया गया था। यहां तक कि मैंने कुमा से पूछा कि क्या उन्होंने सभी लोगों से बात कर ली है। इसपर उन्होंने कहा कि सभी तैयार हैं। मुझे याद है कि मैंने उन्हें कहा था कि तारीख तय करने से पहले सभी दलों से उन्हें चर्चा करनी चाहिए।'
रिपोर्ट में एक अन्य नेता के हवाले से बताया गया, 'अगर सभी पार्टियों के साथ तारीख और स्थान को लेकर चर्चा कर ली जाती, तो ऐसी परेशानी तैयार नहीं होती।'