पशुपालन मंत्री पटेल ने राज्य स्तरीय कार्यक्रम में गो-पालकों को किया पुरस्कृत
देश-प्रदेश की मूल और उन्नत नस्ल की दुधारु गायों के विजेता पालक पुरस्कृत
भोपाल
पशुपालन एवं डेयरी मंत्री प्रेमसिंह पटेल ने बड़वानी जिले के ग्राम धाबाबावड़ी के भीमा नायक प्रेरणा केन्द्र में रविवार को मुख्यमंत्री पशुपालन विकास योजना में गो-पालकों को राज्य स्तरीय पुरस्कार वितरित किये। मंत्री पटेल ने प्रदेश की मूल गो-वंशीय नस्ल की गायों की प्रतियोगिता में मालवी नस्ल की गाय द्वारा प्रतिदिन औसत 14.760 लीटर दूध देने पर गो-पालक शाजापुर निवासी आशीष शर्मा को 2 लाख रूपये का प्रथम पुरस्कार, मालवी नस्ल की गाय द्वारा 12.882 लीटर दूध देने पर गो-पालक बांदरबेला, बड़नगर निवासी घनश्याम प्रजापत को एक लाख रूपये का द्वितीय पुरस्कार तथा निमाड़ी नस्ल की गाय द्वारा प्रतिदिन औसत 11.96 लीटर दूध देने पर गो-पालक पटलावद, धरमपुरी निवासी दीपक वर्मा को 50 हजार रूपये का तृतीय पुरस्कार, प्रमाण-पत्र एवं प्रतीक-चिन्ह देकर पुरस्कृत किया। कार्यक्रम में संचालक पशुपालन एवं डेयरी डॉ. आर.के. मेहिया भी मौजूद थे।
मंत्री पटेल ने भारतीय उन्नत नस्ल की दुधारू गायों की प्रतियोगिता में गिर नस्ल की गाय द्वारा प्रतिदिन औसत 25.21 लीटर दुग्ध उत्पादन करने पर नयागाँव जिला छतरपुर निवासी गो-पालक राजमणी यादव को 2 लाख रूपये का प्रथम, गिर नस्ल की गाय द्वारा प्रतिदिन औसत 22.45 लीटर दुग्ध उत्पादन पर ग्वालटोली जिला नीमच के गोपालक नीलू मुरारी दीवान को एक लाख रूपये का द्वितीय पुरस्कार और साहीवाल नस्ल की गाय द्वारा प्रतिदिन औसत 20.99 लीटर दुग्ध उत्पादन करने पर कथुरा बेढ़न जिला सिंगरौली निवासी गो-पालक रावेन्द्र कुमार पाण्डे को तृतीय पुरस्कार 50 हजार रूपये, प्रमाण-पत्र एवं प्रतीक-चिन्ह देकर पुरस्कृत किया।
पशुपालन मंत्री पटेल ने बड़वानी जिले के प्रगतिशील कृषक सर्व जगदीश, संजय भाई, अन्नू मेहता, महेन्द्र गोस्वामी, संतोष पाटीदार, हितेन्द्र पाटीदार और राधेश्याम धनगर को शॉल-फल देकर सम्मानित किया। उन्होंने उत्कृष्ट कार्य करने वाले पशुपालन विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों को भी सम्मानित किया। कार्यक्रम में जन-प्रतिनिधि, प्रशासनिक अधिकारी, पशुपालन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी और बड़ी संख्या में पशुपालक मौजूद थे।
पशुपालन विभाग द्वारा मध्यप्रदेश की मूल नस्ल की गाय- मालवी, निमाड़ी और केनकथा के साथ भारतीय उन्नत नस्ल के गो-पालन को बढ़ावा देने के लिये एक से 15 फरवरी तक प्रतियोगिताएँ की गई थी।