रायपुर
तिल्दा विकासखण्ड के ओटगन गांव का गौठान पूरे रायपुर जिले में जल्द ही नीलगिरी, खस, मैंथा, लेमनग्रास के तेल का स्थानीय उत्पादक बन जाएगा। इस गौठान में लगी प्रोसेसिंग यूनिट ने काम करना शुरू कर दिया है। कामधेनु महिला स्व-सहायता समूह की सदस्यों ने इस यूनिट से अब तक 60 लीटर से अधिक तेल का उत्पादन भी कर लिया है।
रायपुर के स्थानीय बाजार में इस सुगंधित औषधीय तेल को बेंचकर समूह की महिलाओं को लगभग 50 हजार रुपए का फायदा हुआ है। राज्य शासन द्वारा स्थानीय स्तर पर, स्थानीय संसाधनों से ग्रामीणों की आय बढ़ाने के लिए स्थापित इस ओटगन गौठान को अब औषधीय और सुगंधित पौधों के प्रसंस्करण के हब के रूप में विकसित किया जा रहा है। ओटगन गांव की सचिव संकुतला नारंग बताती है कि गांव के गौठान में सुगंधित पौधों से तेल निकालने की यूनिट लग जाने से महिलाओं में बड़ा उत्साह है, अभी छोटे पैमाने पर इस यूनिट से नीलगिरी, खस, मैंथा, और कुछ लेमनग्रास का प्रसंस्करण किया गया है। श्रीमती नारंग ने बताया कि कुल 60 लीटर सुगंधित तेल निकाला जा चुका है। जिसे स्थानीय बाजार में औसतन आठ सौ रुपए लीटर के भाव से बेंचकर समूह की महिलाओं को लगभग 50 हजार रुपए का फायदा हो चुका है।
ओटगन गौठान को 45 एकड़ के परिक्षेत्र में ग्रामीण औद्योगिक हब के रूप में विकसित करने की योजना है, अभी इस गौठान में मुर्गी पालन, बकरी पालन, फूल की खेती, वर्मी कम्पोस्ट एवं केचुआ खाद बनाने, मधुमक्खी पालन, गुलाल निर्माण, गोबर के दीये आदि बनाने का काम किया जा रहा है। इन रोजगार मूलक कामों से जुड़ी कामधेनु स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने लगभग 8 लाख रुपए की आय अर्जित कर ली है। गौठान में बने वर्मी और सुपर कम्पोस्ट को बेंचकर महिला समूहों को 2 लाख रुपए का फायदा हुआ है।
वर्तमान में इस गौठान से जुड़े समूह की महिलाओं को लगभग साढ़े पांच हजार रुपए की औसतन मासिक आय हो रही है। आय जनित गतिविधियों को बढ़ाकर गौठान को ग्रामीण औद्योगिक केन्द्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। महिला समूहों की औसतन मासिक आय को साढ़े सात हजार रुपए तक बढ़ाने की योजना है। इसके लिए सुगंधित और औषधीय पौधों के प्रसंस्करण बढ़ाने के प्रयासों पर अमल शुरू हो गया है। गौठान के पास डेढ़-डेढ़ एकड़ रकबे में खस और लेमनग्रास की खेती की जा रही है, साथ ही पांच एकड़ में मैंथा भी लगाया गया है। प्रसंस्करण यूनिट को क्षमता अनुसार मटेरियल उपलब्ध कराने के लिए तिल्दा विकासखण्ड के दस और गौठानों में लगभग 17 एकड़ रकबे में औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती की जाएगी।