भोपालमध्यप्रदेश

कूनो राष्ट्रीय उद्यान में मादा चीता ‘ज्वाला’ के दो और शावकों की मौत

भोपाल
कूनो नेशनल पार्क से फिर बुरी खबर आई है. कारण, नामीबिया से लाए गए चीते के दो और शावकों की मौत हो गई है. इससे पहले 23 मई को भी एक शावक की मौत हो गई थी. दरअसल, हाल ही में ज्वाला नाम की मादा चीता ने 4 शावकों को जन्म दिया था. इसके बाद एक शावक की मौत हो गई थी. वहीं स्थिति को देखते हुए शेष 3 शावकों और मादा चीता ज्वाला को वन्यप्राणी चिकित्सकों की टीम की निगरानी में रखा गया था. इसी के साथ अब तक 3 शावकों और 3 चीतों की मौत कूनो नेशनल पार्क में हो चुकी है.

मध्यप्रदेश प्रधान मुख्य वन संरक्षक की तरफ से बताया गया है कि 23 मई को भीषण गर्मी रही और लूल चलती रही. इसके कारण तीनों शावकों की असामान्य स्थिति और गर्मी को देखते हुए प्रबंधन एवं वन्यप्राणी चिकित्सकों की टीम ने तत्काल तीनों शावकों को रेस्क्यू कर आश्यक उपचार करने का फैसला किया. लेकिन इस बीच दो शावकों की स्थिति बहुत खराब हो गई और इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई.

1 शावक ही हालत गंभीर
अधिकारी की तरफ से बताया गया है कि 1 शावक की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है और उसे इलाज के लिए पालपुर स्थित चिकित्सालय में रखा गया है.यहां उसका लगातार इलाज किया जा रहा है. इलाज के लिए नामीबिया और साउथ अफ्रीका के सहयोगी चीता विशेषज्ञों और डॉक्टरों से भी सलाह ली जा रही है. वहीं मादा चीता स्वस्थ है और उसे भी निगरानी में रखा गया है.

कम वजन और डिहाइड्रेशन की वजह से मौत

उन्होंने बताया कि सभी चीता शावक सामान्य से कम वजन और अत्यधिक डिहाइड्रेटेड पाए गए हैं. मादा चीता ज्वाला पहली बार मां बनी है. चीता शावकों की उम्र लगभग 8 हफ्ते है और इस अवस्था में चीता शावक सामान्यत: जिज्ञासू होते हैं और मां के साथ ही चलते हैं. चीता शावकों ने अभी लगभग 8 से 10 दिन पहले ही मां के साथ घूमना शुरू किया था. चीता विशेषज्ञों के मुताबिक सामान्य रूप से अफ्रीका में चीता शावकों का जीवित रहने का प्रतिशत बहुत कम होता है. नियमों के मुताबिक शावकों के पोस्टमार्टम की कार्रवाई की जा रही है.

पिछले साल लाए गए थे 20 चीते

गौरतलब है कि पिछले साल 17 सितंबर को कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से 8 चीते लाए गए थे. इसके बाद साउथ अफ्रीका से भी 12 चीतों की दूसरी खेप भी यहां लाकर बसाई गई थी. प्रोजेक्ट चीता के तहत चीतों को चरणबद्ध तरीके से क्वारांटाइन, बड़े बाड़े में रखने के बाद खुले जंगल में छोड़ेने की प्रक्रिया अपनाई जा रही है. नामीबिया से लाई गई मादा चीता ज्वाला (सियाया) ने बीते 24 मार्च को ही पार्क में 4 शावकों को जन्म दिया था. इनमें से अब तक 3 शावकों की मौत हो चुकी है.

3 चीतों की भी गई जान

कूनो में शावकों की ही नहीं, इससे पहले तीन चीतों की भी मौत हो चुकी है. दरअसल, 9 मई को मादा चीता दक्षा घायल अवस्था में मिली थी. इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी. वहीं इससे पहले 23 अप्रैल को भी उदय नाम के चीता की मौत हो गई थी. उसके स्वास्थ्य में गड़बड़ी थी और उसे ट्रैंकुलाइज कर मेडिकल सेंटर लाया गया था, लेकिन इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया था. 26 मार्च को भी एक मादा चीता की मौत हुई थी. साशा को किडनी में संक्रमण हुआ था और करीब दो महीने के इलाज के बाद भी उसे बचाया नहीं जा सका.

 

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