रायपुर
छत्तीसगढ़ में हर जगह प्रभु श्रीराम के दर्शन होते हैं। रामायण के प्रसंग पर आधारित ग्राम तुलसी में शिवनाथ नदी के किनारे बनाई गई आकर्षक मूर्ति में निषाद राज प्रभु श्रीराम, लक्ष्मण और माता सीता को गंगा पार कराते नजर आते हैं। इन्हें देखकर हमें रामायण काल में भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और माता को वनवास काल के दौरान निषाद राज द्वारा नदी पार कराने की गाथा ताजा हो जाती है। इस मूर्ति की तुलना उत्तरप्रदेश के श्रृंगलेरपुर से की जाती है।
ग्राम तुलसी को राज्य सरकार द्वारा पर्यटक गांव के रूप में विकसित किया जा रहा है। इसके लिए कार्ययोजना भी तैयार की जा रही है। गौरतलब है कि राज्य सरकार राम वन गमन पर्यटन परिपथ योजना के तहत भगवान श्रीराम से जुड़े स्थलों को एक सर्किट के रूप में तैयार कर रही है, ताकि भगवान श्रीराम द्वारा छत्तीसगढ़ यात्राकाल को संजोया जा सके। ग्राम तुसली के चारों दिशाओं में आकर्षक और आस्था के केन्द्र मंदिर-देवाला स्थापित है, जहां श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है। यहां बड़ी संख्या में राज्य के अलावा अन्य राज्यों के भी पर्यटक भी आने लगे हैं।
शिवनाथ नदी तट पर बसे ग्राम तुसली स्थित मंदिर परिसर पेड़ पौधों से आच्छादित शांति का अनुभव कराती है। समीप ही सर्वसुविधायुक्त मुक्तिधाम के साथ मंदिर के नीचे रामघाट पुष्पस्थली है जहां ग्रामवासियों और आस-पास के श्रद्धालु स्नान-ध्यान, तर्पण एवं अस्थि विसर्जन करते हैं। वर्तमान में ग्रामवासियों द्वारा छेरछेरा पुन्नी से शिवनाथ गंगा आरती भी प्रारंभ किया गया है।
राम मंदिर के दक्षिण दिशा में मोहान टापू पिकनिक स्थल है। वहीं पर शासन द्वारा एनीकट निर्माण के कारण सालभर जल भराव रहता है। किसानों को पानी की पर्याप्त सुविधा के लिए राज्य शासन द्वारा लिफ्ट एरिगेशन का भी निर्माण कराया गया है।
ग्राम के मध्य में मां महामाया का मंदिर स्थित है। ग्राम के उत्तर में तालाब के समीप बाबा गुरू घासीदास जी का जोड़ा जैतखाम के साथ भव्य मंदिर और आश्रम स्थित है। जहां प्रतिवर्ष जनवरी माह में सतनाम पंथ के अनुआईयों का मेला लगता है। साथ ही ग्राम तुलसी से पांच किलोमीटर दूरी पर कबीरपंथियों के केन्द्र दामाखेड़ा, तीन किलोमीटर दूरी पर पुरातात्विक स्थल चितावरी देवी मंदिर, दो किलोमीटर की दूरी पर मौली माता-शक्ति माता मंदिर स्थित है। जो पर्यटकों और श्रद्धालु को अपनी ओर आकर्षित करता है।
आदर्श ग्राम तुलसी में लोक पारंपरिक विधाओं जैसे रामायण मंडली, रामलीला, सतनाम धुनी, गौरा-गौरी, जसगीत सहित बांसगीत, राउतनाचा, सुआ, गड़वा बाजा,, फागगीत, नाचा, और चन्दैनी के लोक कलाकार मौजूद हैं, जो ग्राम तुसली को विशेष पहचान दिलाता है।
राज्य सरकार भी गांव के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। जिला प्रशासन आगे आकर गांव के विशेष कार्ययोजना तैयार कर गांव का विकास कर रही है। यहां शासन द्वारा विद्युतीकरण, गार्डन, पचरी-घाट, हाई मास्क लाइट, मुक्ति धाम, बाउण्ड्रीवाल, रंगमंच, सामुदायिक भवन, चेकडैम, सीसी रोड, मैदान समतलीकरण, नौका विहार आदि के लिए निर्माण कार्य जारी है।