शिक्षक नियमावली पर तकरार: TET संघ गया हाईकोर्ट, नीतीश सरकार की चेतावनी के बावजूद आज से आंदोलन
पटना
बिहार में पौने दो लाख शिक्षकों की नियुक्ति के मामले में सरकार, शिक्षक और अभ्यर्थियों के बीच तकरार तेज हो गया है। शिक्षकों ने सरकार की चेतावनी के बावजूद शनिवार से आन्दोलन का बिगुल फूंक दिया है। उधर टीईटी शिक्षक संघ की ओर से इसे पटना हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। प्रभाकर रंजन व अन्य 20 याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता रितिका रानी ने रिट याचिका दायर की है। बिहार राज्य विद्यालय शिक्षक (नियुक्ति,स्थानांतरण,अनुशासनिक कार्रवाई व सेवा शर्तें ) नियमावली, 2023 की वैधता को चुनौती दी गई है।
बीपीएससी द्वारा शिक्षकों और सरकारी कर्मी घोषित करने से पहले परीक्षा लिए जाने की नीतीश सरकार की शर्त पर सरकार और शिक्षक आमने-सामने हैं। तिरहुत शिक्षक क्षेत्र से एमएलसी प्रोफेसर संजय कुमार सिंह शिक्षकों के साथ खड़े हो गए हैं। उन्होंने राज्यपाल से हस्तक्षेप करने की मांग की है।
सरकार द्वारा आंदोलन न करने अल्टीमेटम दिए जाने के बावजूद बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ने पटना में आंदोलन की रूपरेखा को लेकर एक आपात बैठक बुलाई। जिसमें 20 मई से आंदोलन शुरू किए जाने की रणनीति तय की गई। बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव शत्रुघ्न प्रसाद सिंह और एमएलसी संजय सिंह ने संयुक्त रुप से बैठक की अध्यक्षता की। संघ के महासचिव ने कहा कि लोकतंत्र में आंदोलन कर्मचारियों का हक है। हर हाल में आंदोलन होकर रहेगा। सरकार को जो करना है कर ले।
एमएलसी संजय सिंह ने कहा कि वह शिक्षकों के साथ हैं। बिहार के नियोजित शिक्षकों के संघर्ष में शामिल हैं। शनिवार को राज्य के सभी प्रमंडल में शिक्षकों का धरना प्रदर्शन है। संजय सिंह भी उसमें शामिल होंगे। उन्होंने बताया कि 22 मई से जिला मुख्यालय पर धरना का कार्यक्रम शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को आंदोलन से रोकने का जो पत्र प्रधान सचिव निकाला है वह गलत है। मैंने महामहिम राज्यपाल से आग्रह किया है कि आप सरकार को निर्देश दे कि इस पत्र को तुरंत वापस करे।
माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने बताया कि शिक्षकों के आंदोलन के खिलाफ अपर मुख्य शिक्षा सचिव दीपक कुमार सिंह का पत्र बिहार में तानाशाही सरकार का प्रतीक है। उन्होंने शिक्षकों के लोकतांत्रिक अधिकार पर हनन का पत्र दिया है। इससे आक्रोश भड़क गया है। सरकार डरा धमका कर आंदोलन को कुचलना चाहती है। यह रवैया सरकार को बहुत महंगा पड़ेगा।
उधर, पटना हाईकोर्ट में दायर केस की अधिवक्ता रितिका रानी के अनुसार पूर्व के प्रावधानों के अनुसार स्कूल शिक्षकों की नियुक्ति का अधिकार पंचायत, पंचायत समिति, जिला परिषद और नगरपालिका को था। इन प्रावधानों को हटाए बगैर नियमावली- 2023 के तहत राज्य सरकार सूबे में पौने दो लाख स्कूली शिक्षकों की बहाली करने जा रही है। नई नियमावली के अनुसार पौने दो लाख शिक्षक नियुक्ति के लिए परीक्षा आयोजित कर उनके परिणाम के आधार पर नियुक्ति की अनुशंसा करने की जिम्मेदारी बिहार लोक सेवा आयोग को सौंपी गई है। अर्जी में नियमावली 2006 के तहत नियुक्त शिक्षकों की योग्यता और कार्य समान है, लेकिन 2023 के नियम के अनुसार जो शिक्षक बहाल होंगे, उनका वेतन अलग होगा। राज्य में विद्यालय शिक्षक नियमावली 2006, नियमावली 2008, नियमावली 2012 और नियमावली 2020 के तहत नियुक्ति के प्रावधानों को हटाए बिना ही नई नियमावली लाई गई है।