गुलाल और सूखे रंगों से सुर्ख हुई होली, पक्के रंग की बिक्र रह गई 30 फीसद
इंदौर
होली का उल्लास और हुरियारों की भीड़ शहर में नजर आने लगी है। पंचागों की मतभिन्नता का लाभ उठाकर उत्सव प्रेमी इंदौर के लोग दो दिन होली मना रहे हैं। मंगलवार से शहर में होली के रंग उड़ना शुरू हो गए। बुधवार को धुलेंडी का जोर दिखेगा। इस बीच रविवार को पड़ रही रंगपंचमी ने इंदौरियों का उत्साह और बढ़ा दिया है। गैर के हुड़दंग में शामिल होने के लिए भी तैयारी शुरू हो गई है। इस सबके के बीच भी होली पर सजने वाले रंगों के बाजार में इस साल खासा बदलाव दिख रहा है। पानी वाले रंगों का चलन खासा कम हो गया है। जबकि गुलाल और सूखे रंगों की बिक्री में जोरदार उछाल आया है। और तो और गुलाल और सूखे रंगों में भी हर्बल और भीनी खुश्बू वालों रंगों का जोर ज्यादा देखा जा रहा है।
होली के रंगों की थोक बिक्री के प्रमुख बाजार खातीपुरा में बाजार के बदले रूख का असर साफ नजर आ रहा है।इंदौर से रंग-पिचकारियों की आपूर्ति पूरे मप्र के साथ महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों तक होती है। कारोबारियों के अनुसार बाहर के खुदरा कारोबारियों ने तो इस साल पानी वाले रंगों की खरीदी बीते वर्ष की तरह की लेकिन इंदौर के स्थानीय बाजार में सूखे रंगों का जोर नजर आया। बीते वर्षों तक 70 प्रतिशत बिक्री पानी वाले रंग और 30 प्रतिशत बिक्री गुलाल की होती थी।
थोक कारोबारी लखन बालचंदानी के अनुसार इस वर्ष 70 प्रतिशत मांग गुलाल की है। इसमें भी आरारोट और खाने वाले रंग से बना गुलाल ज्यादा बिक रहा है। गुलाल की आपूर्ति इंदौर में हाथरस, मथुरा और दिल्ली से हो रही है। आरारोट से बने गुलाल में भी इस वर्ष अलग-अलग खुश्बूओं वाले गुलाल बिक रहे हैं। इसमें गुलाब, संदल, चमेली और मोगरा जैसी खुश्बूओं की ज्यादा मांग है। जबकि रूह कहा जाने वाली गुलाबी रंग कम बिक रहा है। हरे और नीले रंग की मांग तो ना के बराबर ही है।
रामरज पर प्रतिबंध
बीते वर्षों में होली और रंगपंचमी पर खूब नजर आने वाला पीला मिट्टी से बना रंग रामरज इस बार बाजार में बिक्री के लिए उपलब्ध नहीं है। व्यापारी नरेश चावला के अनुसार रामराज पर दो वर्ष पहले ही प्रशासन ने प्रतिबंध लगा दिया था। असल में मिट्टी से बनने के कारण यह भारी होता था इससे आंखों और त्वचा को नुकसान होता था।लोगों में इसके नुकसान के प्रति जागरुकता भी आई है और प्रशासन के प्रतिबंध के असर से भी इसकी मांग नहीं है।
महंगे हुए रंग
सूखे रंगों का चलन बढ़ने के साथ कीमतों में तेजी भी देखी जा रही है। खुदरा बाजार में 100 ग्राम हर्बल गुलाल का पैकेट 30 रुपये से 100 रुपये तक के दाम पर बिक रहा है। सामान्य गुलाल 10 से 20 रुपये में बेचा जा रहा है। कारोबारियों के अनुसार सूखे रंगों में भी लाल, गुलाबी, पीले, भगवा और हरे रंग की मांग ज्यादा है। जबकि नीला रंग सबसे कम बिकता है। इस वर्ष गुलाल का स्प्रे करने वाले अग्निशामक यंत्र (फायर इंस्टिग्यूशर) की तरह बने यंत्र नया चलन रहा। 1200 रुपये की कीमत वाले ये स्प्रे पंप महंगे होने के बाद भी हाथों-हाथ बिक गए।