भगवान महाकाल की भस्म आरती में जमकर उड़ा गुलाल, नर और नारायण के बीच होली में सराबोर दिखे भक्त
उज्जैन
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की धार्मिक नगरी उज्जैन (Ujjain) में भी मथुरा (Mathura)और वृंदावन (Vrindavan) से कम होली का रंग दिखाई नहीं देता है. मंगलवार को भगवान महाकाल की भस्म आरती में ऐसा गुलाल उड़ा कि शिव भक्त महाकाल के रंग में रंग गए. भस्म आरती में भगवान के साथ होली खेलकर शिवभक्त खुद को धन्य मान रहे हैं.
दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर (Mahakaleshwar Jyotirlinga Temple) में प्रतिदिन सुबह होने वाली भस्मारती विश्व भर के शिव भक्तों का आकर्षण का केंद्र रहती है. इस भस्मारती में सबसे बड़ी बात यह है इसमें हर त्यौहार को मनाया जाता है. होली पर्व को भी भस्म आरती के दौरान धूमधाम के साथ मनाया गया.
की गई शृंगारित कर भस्म आरती
महाकालेश्वर मंदिर के प्रदीप गुरु ने बताया कि भस्म आरती में सबसे पहले भगवान का जल से अभिषेक किया गया. इसके बाद दूध, फलों के रस से भगवान को स्नान कराया गया. इसके बाद भगवान महाकाल को चंदन, भांग, सूखे मेवे आदि से शृंगारित कर भस्म आरती की गई. इस भस्म आरती में भगवान और भक्तों के बीच गुलाल उड़ाया गया. फाग का यह रंग देखकर शिवभक्त भी भाव विभोर हो गए. रंग पंचमी तक भगवान को प्रतिदिन आरती गुलाल चढ़ाया जाएगा.
महाकाल में उड़ने वाले गुलाल की खासियत
महाकालेश्वर मंदिर में भक्त और भगवान के बीच खेली जाने वाली होली विश्व भर के शिव भक्तों में हमेशा से काफी लोकप्रिय रही है. होली को लेकर पंडित और पुरोहित परिवारों द्वारा पहले से तैयारियां की जाती हैं. महाकालेश्वर मंदिर समिति भी होली पर्व पर सभी परंपराओं को निभाने के लिए विशेष तैयारी करती है. महाकालेश्वर मंदिर में उड़ने वाले गुलाल को विशेष रूप से मंगवाया जाता है. यह गुलाल हर्बल होता है. मंदिर में भगवान को चढ़ने वाली सामग्री को लेकर भी खास तौर पर बारीकी से अध्ययन होता है.
द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक महाकालेश्वर मंदिर में सबसे पहले होली का पर्व मनाया जाता है. महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी दिनेश ने बताया कि अनादिकाल से यह परंपरा चली आ रही है. महाकालेश्वर मंदिर में संध्या कालीन आरती के पूर्व भगवान महाकाल का भांग और सूखे मेवे से श्रृंगार किया गया. इसके बाद संध्या कालीन आरती में पंडित और पुरोहित परिवारों ने श्रद्धालुओं के साथ जमकर होली खेली.
भगवान और भक्त के बीच अद्भुत होली
पंडित दिनेश के मुताबिक द्वादश ज्योतिर्लिंग को एकमात्र दक्षिणमुखी महाकालेश्वर मंदिर में ही इस परंपरा का निर्वहन किया जाता है. श्रद्धालु अपने साथ हर्बल गुलाल लेकर महाकाल मंदिर आते हैं. यहां पर संध्या कालीन आरती के बाद एक दूसरे को गुलाल लगाकर होली की बधाई दी जाती है. इस दौरान भगवान और भक्त के बीच अद्भुत होली खेली जाती है.
श्रद्धालुओं ने कहा- होली का शब्दों में वर्णन नहीं
भगवान महाकाल के साथ होली पर्व मनाने के लिए जम्मू से माहिरा शर्मा उज्जैन पहुंची. उन्होंने कहा कि केवल भगवान महाकाल के साथ होली पर्व की मनोकामना लेकर ही वे उज्जैन आई हैं. उन्होंने यह भी कहा कि अद्भुत तरीके से पर्व मनाया गया. महाकालेश्वर मंदिर के बारे में जितना सुना था, उससे कई गुना अधिक अद्भुत नजारा देखने को मिला. इंदौर से होली पर्व मनाने के लिए आई निहारिका सिंह ने बताया कि होली पर्व को लेकर महाकाल मंदिर में निभाई जाने वाली परंपरा का शब्दों में वर्णन करना मुश्किल है.