इलाज करने वाला डॉक्टर असली या नकली? BAMS डॉक्टरों के फर्जी पंजीकरण के खुले राज
उत्तरप्रदेश
आपका इलाज करने वाला डॉक्टर असली है या नकली? बीएएमएस (BAMS) की फर्जी डिग्री के जरिए भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड में पंजीकरण कराने वाले गैंग ने उत्तरप्रदेश और हरियाणा में भी फर्जीवाड़ा किया। देहरादून पुलिस की जांच में कई ऐसे नाम सामने आए हैं जिनका इस गैंग ने फर्जी डिग्री देकर भारतीय चिकित्सा परिषद यूपी और हरियाणा में पंजीकरण कराया।
देहरादून पुलिस इसकी रिपोर्ट यूपी और हरियाणा पुलिस को भेज रही है। ताकि, वहां केस दर्ज किया जा सके। उत्तराखंड एसटीएफ ने बीते 10 जनवरी को इस गैंग पर कार्रवाई की। मुजफ्फरनगर के बाबा ग्रुप ऑफ कॉलेज के चेयरमैन इमरान और दो डाक्टरों को गिरफ्तार किया। इस दौरान खुलासा हुआ कि गैंग का मुख्य सरगना इमरान का भाई इम्लाख है।
बाद में वह भी गिरफ्तार हुआ। पुलिस जांच में अब तक उत्तराखंड में फर्जी डिग्री से पंजीकृत हुए 55 डाक्टर चिन्हित किए जा चुके हैं। इनमें 11 आरोपी गिरफ्तार हुए हैं और तीन ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया। अन्य की पुलिस तलाश कर रही है। हाल में इसकी जांच देहरादून जिले में बनाई गई एसटीआई टीम कर रही हैं।
जिसके प्रभारी एसपी क्राइम सर्वेश पंवार हैं वहीं जांच सीओ नेहरू कॉलोनी अनिल जोशी के पास है। जांच टीम ने बाबा ग्रुप ऑफ कॉलेज में छापेमारी कर भारी मात्रा में दस्तावेज बरामद हुए। दस्तावेज की जांच में छह ऐसे लोगों डाक्टरों के दस्तावेज मिले, जिन्हें फर्जी डिग्री देकर यूपी में पंजीकरण कराया गया। वहीं चार डाक्टर ऐसे मिले, जिन्हें फर्जी डिग्री देकर हरियाणा में पंजीकरण कराया गया। दोनों राज्यों की पुलिस महानिदेशक को जिला पुलिस उक्त दस्तावेजों के साथ मामले में केस दर्ज कर विस्तृत जांच के लिए रिपोर्ट भेज रही है। संभावना है कि इन राज्यों की परिषद में मिलीभगत कर आरोपी वहां भी उत्तराखंड की तरह पंजीकरण कराते रहे।
इम्लाख समेत चार भाई आरोपी
देहरादून पुलिस ने केस की जांच में इम्लाख और उसके भाई इमरान को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। वहीं फर्जीवाड़ा करने वाले इस गैंग में शामिल सरगना इम्लाख के भाई सद्दाम और आशिफ को हाल में आरोपी बनाया गया है। इन दोनों की भी पुलिस तलाश कर रही है।
बीएएमएस डिग्री घपला करने वाले गैंग से कुछ ऐसे लोगों के दस्तावेज मिले, जिनका पंजीकरण यूपी और हरियाणा में हुआ। इसकी जांच वहां की पुलिस अपने राज्य के आयोग सत्यापन के बाद कर सके, इसलिए संबंधित राज्यों को दस्तावेज भेज जा रहे हैं।
दलीप सिंह कुंवर, डीआईजी देहरादून