भारत पढ़ने आई अफगानी महिला ने तालिबान को दिया जवाब, गुजरात के विश्वविद्यालय में किया टॉप
अहमदाबाद
गुजरात के एक विश्वविद्यालय में अफगानिस्तानी महिला ने गोल्ड मेडल जीता है। अफगानिस्तान की रहने वाली मुरादी ने वीर नर्मद साउथ गुजरात यूनिवर्सिटी में एमए (पब्लिक रिलेशन) में टॉप किया। उन्होंने लड़कियों के अधिकारों और शिक्षा का बेड़ागर्क करने वाले तालिबानियों को कड़ा संदेश दिया है। मुरादी ने कहा कि तालिबान को समझ जाना चाहिए कि अगर महिलाओं को अवसर मिले तो हर क्षेत्र में झंडा लहरा सकती हैं।
तीन साल से परिवार से नहीं मिलीं मुरादी
मुरादी पिछले तीन साल से अपने परिवार से नहीं मिल पाई हैं। उन्होंने परीक्षा में 8.60 क्यूमुलेटिव ग्रेड पॉइंट (CGPA) प्राप्त किया। अप्रैल 2022 में उन्होंने एमए पूरा कर लिया था और अब पब्लिक ऐडमिनिस्ट्रेशन में ही पीएचडी कर रही हैं। जब वह भारत आई थीं तब कोविड लॉकडाउन था। इसलिए मुरादी ने ऑनलाइन मोड से ही पढ़ाई शुरू की थी। पहले दो सेमेस्टर की ज्यादातर कक्षाएं और परीक्षाएं ऑनलाइन ही हुईं।
मुरादी ने बताया कि वह लगातार लेक्चर अटेंड करती थीं और परीक्षा से पहले अच्छी तरह रिविजन करती थीं। तालिबान में चल रही उथल-पुथल और कोविड के बुरे दौर का प्रभाव उन्होंने अपनी पढ़ाई पर नहीं पड़ने दिया। दीक्षांत समारोह में उन्हें शारदा अंबेलाल देसाई पुरस्कार भी दिया गया। तालिबान को जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि वहां पर महिलाओं की शिक्षा पर प्रतिबंध ळगा दिया है। उन्होंने कहा, मैं भारत सरकार की आभारी हूं और भारत के लोगों की आभारी हूं कि उन्होंने मुझे पढ़ाई का अवसर दिया।
मुरादी ने कहा, इस समय मैं खुश भी हूंऔर दुखी भी हूं। गोल्ड मेडल जीतने को लेकर खुशी है लेकिन परिवार से ना मिल पाने का दुख भी है। मैं फोन करके उन्हें इसकी जानकारी दूंगा तो वे भी बहुत खुश होंगे। बता दें कि भारत में इस समय अफगानिस्तान के 14 हजार से ज्यादा छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। ICCR और अन्य जगहों से उन्हें छात्रवृत्ति भी मिलती है। मुरादी ने कहा वह दो साल की पढ़ाई के लिए भारत आई थीं लेकिन फिर अफगानिस्तान वापस नहीं जा पाईं। उन्होंने कहा, वैश्विक समुदाय को देखना चाहिए कि अफगानिस्तान की क्या हालत है। वहां के लोग कैसे जीवन जी रहे हैं। मैं अफगानिस्तान वापस जाना चाहती हूं और अपनी मातृभूमि के लिए कुछ करना चाहती हूं।