राजनीति

वसुंधरा राजे की राह में रोड़े नहीं, बड़े-बड़े पत्थर हैं, चट्टानें अलग

जयपुर

राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने अपने जन्मदिन पर शक्ति प्रदर्शन कर पार्टी आलाकमान को अपनी शक्ति का अहसास करा दिया है।  राजे के शक्ति प्रदर्शन से अंदरखाने उनका धुर विरोधी धड़ा सक्रिय हो गया है। राजस्थान की राजनीति में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुन मेघवाल, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया धुर विरोधी माने जाते हैं। किरोड़ी लाल मीणा से संबंध बनते-बिगड़ते रहे हैं। यही वजह मानी जा रही है कि राजस्थान में पार्टी नेतृत्व मुख्यमंत्री के चेहरे का ऐलान नहीं करने में असहज है। सीएम फेस के नाम पर घुमा फिरा के पार्टी के नेता पीएम मोदी और पार्टी के चुनाव चिन्ह कमल के नाम पर चुनाव लड़ने की बात कहते रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भले ही वसुंधरा राजे ने शक्ति प्रदर्शन कर अपनी ताकत का अहसास करा दिया है। लेकिन राह आसान नहीं है। केंद्री नेतृत्व पुराने चेहरों के आधार नहीं चलना चाहता है। भाजपा ने देश के अन्य राज्यों में चेहरा बदलकर सत्ता में वापसी की है। उससे साफ जाहिर है कि पार्टी पुराने चेहरों के साथ नहीं चलना चाहती है।

वसुंधरा- पूनिया इशारों में साधते रहे हैं निशाना

राजस्थान भाजपा में खेमेबाजी इतनी ज्यादा है कि केंद्रीय मंत्री शेखावत, पूनिया और वसुंधरा राजे एक मंच पर बहुत अवसरों पर दिखाई दिए है। शेखावत, पूनिया और वसुंधरा राजे इशारों में एक-दूसरे पर निशाना साधते रहे है। बता दें, वर्ष 2019 के बाद सिर्फ एक बार ही ऐसा मौका आया जब ये चारों नेता एक साथ किसी मंच पर बैठे। हालांकि इनके एकसाथ बैठने की वजह पीएम मोदी थे। वरना 12 फरवरी की सभा से पहले ही पार्टी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां की वर्किंग पर किरोड़ी मीणा ने सार्वजनिक रूप से सवाल खड़े करके पूरे बीजेपी संगठन को कठघरे में खड़ा कर दिया था। किरोड़ी लाल का कहना है कि पेपर लीक के मामले को सतीश पूनिया उठाने में विफल रहे हैं।

नड्डा की सभा में कुर्सियां रही थीं खाली

उल्लेखनीय है कि अमित शाह जब जाेधपुर सभा करने आए थे। उससे पहले बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को रामदेवरा यात्रा निकालनी थी। ये यात्रा केंद्रीय संगठन के इशारे पर स्थगित हुई थी। इसके बाद पूनियां ने अकेले ही पैदल चलकर यात्रा निकाल पार्टी में एक अलग ही संदेश दिया। उन्होंने ने सोशल मीडिया पर लिखा-एकला चाला। राजस्था की राजनीति में पूनिया को वसुंधरा राजे का धुर विरोधी माना जाता है। नड्डा ने जयपुर से जन आक्रोश यात्रा के रथ रवाना किए थे। बीजेपी में फूट और नेताओं के बीच मनमुटाव का ही नतीजा था कि नड्डा के आने से कुछ मिनट पहले पांडाल की कुर्सियां खाली थी। आराेप लगा कि नेताओं ने भीड़ जुटाने के प्रयास ही नहीं किए।

 

Pradesh 24 News
       
   

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button