रायपुर .
छत्तीसगढ़ में बीजेपी के वरिष्ठ नेता नंद कुमार साय ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. इस्तीफा देने के बाद उन्होंने अपना एक वीडियो जारी किया. जारी वीडियो में उन्होंने कहा कि अब मेरे पास कोई विकल्प नहीं बचा है. मुझे मेरे आत्मसम्मान की भी चिंता है. इसीलिए अब मैं बीजेपी के साथ आगे चल नहीं पाऊंगा. इतने दिनों तक मेरा साथ देने के लिए मैं बीजेपी में अपने साथ काम करने वाले सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं को धन्यवाद देता हूं.
वहीं नंद कुमार साय के इस्तीफे के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्वीट किया. दरअसल, ये ट्वीट नंद कुमार साय के इस्तीफे को लेकर नहीं था, बल्कि आज छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार ‘मजदूर दिवस’ पर बड़ा आयोजन करने जा रही है. इसी को लेकर भूपेश बघेल ने ट्वीट किया था. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इसी ‘मजदूर दिवस’ कार्यक्रम में नंद कुमार साय कांग्रेस का हाथ थाम सकते हैं. हालांकि इसको लेकर अभी कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है.
नंद कुमार साय ने लगाए गंभीर आरोप
यही नहीं नंद कुमार साय ने छत्तीसगढ़ बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष को लिए पत्र में कई बड़े गंभीर आरोप भी लगाए. उन्होंने कहा कि, “कई सालों से मेरी छवि को खराब करने काम किया जा रहा है. इसको लेकर मैंने कभी कुछ नहीं कहा, लेकिन अब पानी सिर से ऊपर जा रहा है तो मुझे आवाज उठानी ही पड़ी. अपनी साफ-सुथरी छवि घूमिल होने से मैं बहुत आहत हूं.”
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम साय को कांग्रेस की सदस्यता दिलाई है। राजीव भवन में वन मंत्री मो अकबर,प्रेमसाय सिंह टेकाम, अनिला भेड़िया, सत्यनारायण शर्मा समेत कई नेता मौजूद हैं।
रविवार को बीजेपी से इस्तीफा देने के बाद आज कांग्रेस में शामिल हो गए। भूपेश बघेल ने कहा,आज अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस है। और ऐसे समय में जिन्होंने गरीबों और आदिवासियों के लिए संघर्ष किया। ऐसे नंद कुमार साय आज कांग्रेस में शामिल हुए हैं। इसलिए उन्हें बधाई देता हूं।
आदिवासी नेता साय ने अपने इस्तीफे में लिखा है, मुझ पर झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं। मेरी गरिमा को लगातार ठेस पहुंचाई जा रही है, जिससे मैं आहत महसूस कर रहा हूं। उन्होंने अपना इस्तीफा स्वीकार करने का आग्रह करते हुए कहा था कि बहुत गहराई से विचार करने के बाद मैंने बीजेपी में अपने सभी पद और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दिया।
चार दशक से ज्यादा पुराना नाता बीजेपी से तोड़ा
तीन बार के लोकसभा सांसद और तीन बार के विधायक साय पूर्व में छत्तीसगढ़ और अविभाजित मध्य प्रदेश दोनों में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। साय ने अपने त्यागपत्र में आरोप लगाया कि उनके सहयोगी साजिश रच रहे थे। और उनकी छवि खराब करने के लिए झूठे आरोप लगा रहे थे। जिससे उन्हें बहुत दुख हुआ।
नंदकुमार साय का राजनीतिक सफर
बीजेपी के प्रमुख आदिवासी चेहरा एवं उत्तरी छत्तीसगढ़ से ताल्लुक रखने वाले साय पहली बार 1977 में मध्य प्रदेश में तपकरा सीट (अब जशपुर जिले में) से जनता पार्टी के विधायक चुने गए थे। वह 1980 में भाजपा की रायगढ़ जिला इकाई के प्रमुख चुने गए। और 1985 में तपकरा से भाजपा विधायक चुने गए।
छात्र जीवन से राजनीति में सक्रिय
1977 में पहली बार विधायक बने
छत्तीसगढ़ के पहले नेता प्रतिपक्ष रहे
2 बार राज्यसभा सदस्य रहे
3 बार लोकसभा सदस्य रहे
3 बार विधायक रहे हैं
छत्तीसगढ़ बीजेपी के अध्यक्ष रहे चुके हैं
अविभाजित मध्यप्रदेश के बीजेपी के अध्यक्ष
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष रहे
छत्तीसगढ़ में बीजेपी संगठन को खड़ा करने में अहम भूमिका
1989, 1996 और 2004 में रायगढ़ से लोकसभा सदस्य और 2009 और 2010 में राज्यसभा सदस्य चुने गए। साय 2003-05 तक छत्तीसगढ़ भाजपा अध्यक्ष और 1997 से 2000 तक मध्य प्रदेश भाजपा प्रमुख रहे।नवंबर 2000 में मध्य प्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद वे छत्तीसगढ़ विधानसभा में विपक्ष के पहले नेता बने। साय 2017 में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) के अध्यक्ष बने।
सरगुजा की राजनीति पर पड़ेगा असर
नंदकुमार साय के भाजपा छोड़ने का असर सरगुजा की राजनीति पर पड़ेगा। साय सरगुजा से वर्ष 2004 में सांसद रहे। इससे पहले साय 1989 और 1996 में रायगढ़ लोकसभा सीट से सांसद चुने गए हैं। वर्तमान में सरगुजा संभाग की 14 विधानसभा सीट में से एक पर भी भाजपा के विधायक नहीं हैं।