नीतीश सरकार को उन्हें छोड़ना ही होगा, आनंद मोहन के बाद प्रभुनाथ और अनंत सिंह की रिहाई की मांग
बिहार
बिहार सरकार के एक फैसले को पलटने के बाद माफिया डॉन से राजनेता बने आनंद मोहन सिंह की हाल ही में जेल से रिहाई हुई है। उन्हें कोर्ट ने एक आईएएस अधिकारी की हत्या का दोषी ठहराया था। उन्हें आजीवन कारावास की सजा मिली थी। हालांकि, बिहार सरकार ने एक कानून में संसोधन कर उनकी रिहाई का रास्ता आसान कर दिया। आनंद मोहन की रिहाई के बाद बिहार के कुछ और बाहुबली नेताओं की रिहाई की मांग उठने लगी है। यह नीतीश कुमार की सरकार की बेचैनी बढ़ाने वाली मांग साबित हो सकती है।
लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनता दल से ताल्लुक रखने वाले एक और पूर्व सांसद प्रभानाथ सिंह के साथ-साथ मोकामा से पूर्व विधायक अनंत सिंह को भी सजा से मुक्त करने के लिए आवाज उठाई जाने लगी है। अनंत सिंह जहां भूमिहार जाति से आते हैं वहीं, आनंद मोहन की तरह प्रभुनाथ सिंह भी राजपूतों के नेता हैं।
आनंद मोहन की रिहाई का हवाला देते हुए पटना में प्रभुनाथ और अनंत सिंह की जल्द रिहाई की मांग करते हुए कई पोस्टर लगाए गए हैं। उनके समर्थकों ने उन्हें मुक्त कराने के लिए अभियान शुरू कर दिया है। आपको यह भी बता दें कि पूर्व सांसद को फायदा पहुंचाने के लिए जेल नियमों में बदलाव करने के लिए बिहार सरकार की काफी आलोचना भी हो रही है। जनता दल के तत्कालीन विधायक अशोक सिंह की 3 जुलाई, 1995 को उनके पटना आवास पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस केस में प्रभुनाथ सिंह को मई 2017 में हजारीबाग की एक अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
वहीं, मोकामा से पांच बार के विधायक अनंत को 10 साल की सजा सुनाई गई थी। अगस्त 2019 में अनंत सिंह के घर हुई छापेमारी के दौरान उनके आवास से एक एके-47 राइफल और अन्य हथियार जब्त किए गए थे। वह आर्म्स एक्ट के मामले में भी जेल की सजा काट रहे हैं।
दोनों बाहुबली नेताओं की रिहाई के लिए चलाए जा रहे अभियान का नेतृत्व कृष्णा सिंह कल्लू कर रहे हैं। उन्होंने शनिवार को मीडिया को बताया कि वह ऊंची जाति के नेताओं के लिए लड़ने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार हैं। स्वर्ण क्रांति दल के प्रमुख होने का दावा करने वाले कल्लू ने कहा, "राज्य सरकार को उन्हें छोड़ना ही पड़ेगा।"
वहीं, सत्तारूढ़ महागठबंधन के नेताओं ने ऐसी मांगों को खारिज कर दिया। जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव राजीव रंजन ने कहा, "इसका कोई मतलब नहीं है। निर्धारित प्रक्रिया के तहत आनंद को जेल से रिहा किया गया। इन नेताओं ने अपनी जेल की अवधि पूरी नहीं की है।''