छत्तीसगढराज्य

केन्द्रीय कृषिमंत्री नरेंद्रसिंह तोमर ने बस्तर के डॉ राजाराम को दिया देश का सर्वश्रेष्ठ किसान अवार्ड

कोंडागांव

केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने पिछले दिनो बस्तर छत्तीसगढ़ के मां दंतेश्वरी हर्बल समूह के संस्थापक डॉ राजाराम त्रिपाठी को देश के सर्वश्रेष्ठ किसान अवार्ड से सम्मानित किया। उल्लेखनीय है कि देश के 5-पांच अलग-अलग कृषि मंत्रियों के हाथों,, 5 पांच बार देश के सर्वश्रेष्ठ किसान का अवार्ड प्राप्त करने वाले देश के इकलौते किसान हैं।

इस वर्ष का देश का प्रतिष्ठित सर्वश्रेष्ठ किसान अवार्ड-2023 कोंडागांव छत्तीसगढ़ के जैविक पद्धति से दुर्लभ वनौषधियों की खेती के पुरोधा कहलाने वाले किसान डॉ राजाराम त्रिपाठी को 27 अप्रैल गुरूवार को नई दिल्ली में आयोजित जैविक खेती के बायो- एजी इंडिया सम्मिट व अवार्ड समारोह-2023 के शिखर सम्मेलन के समापन समारोह में प्रदान किया। इस शिखर सम्मेलन में केंद्रीय कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर की गरिमामय उपस्थिति के साथ ही देश के किसानों की आय दोगुनी करने हेतु गठित पीएम टास्क फोर्स के अध्यक्ष डॉ अशोक दलवई आईएएस, श्री जीपी उपाध्याय आईएएस, डॉ. सावर धनानिया अध्यक्ष रबर-बोर्ड, श्री रिक रिगनर ग्लोबल वीपी वर्डेसियन (यूएसए), डॉ. तरुण श्रीधर पूर्व सचिव भारत सरकार, डॉ. एमएच मेहता अध्यक्ष, जीएलएस, डॉ. एमजे खान, अध्यक्ष , आईसीएफए तथा बड़ी संख्या में देश विदेश से पधारी कृषि क्षेत्र की गणमान्य विभूतियां उपस्थित थीं।

डॉ राजाराम को यह प्रतिष्ठित सम्मान 27 अप्रैल गुरूवार को दिल्ली में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में दिया गया। इस अवसर पर देश के कृषि मंत्री ने राजाराम त्रिपाठी द्वारा बस्तर में जैविक तथा हर्बल खेती किए गए कार्यों की सराहना करते हुए इसे भावी भारत का भविष्य बताया। इस अवसर पर डॉक्टर त्रिपाठी ने माननीय कृषि मंत्री अपने हर्बल फार्म पधारने का न्योता भी दिया, जिसे स्वीकार करते हुए माननीय कृषि मंत्री ने कहा अगली बार वे जब भी छत्तीसगढ़ आऐंगे, मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म पर अवश्य आएंगे। डॉ राजाराम त्रिपाठी ने अपना यह सम्मान छत्तीसगढ़ बस्तर को समर्पित करते हुए कहा कि जैविक खेती की बातें तो बहुत होती है लेकिन जब बजट आवंटन का अवसर आता है तो सारा पैसा और अनुदान रासायनिक खेती को दे दिया जाता है और जैविक खेती को केवल झुनझुना थमा दिया जाता है। कृषि क्षेत्र तथा किसानों की स्थिति अत्यंत शोचनीय है तथा इसके लिए अभी बहुत कुछ किया जाना शेष है।

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