राहुल गांधी की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी ने रखीं कई दलीलें, 2 मई को आ सकता है फैसला
अहमदाबाद
मोदी सरनेम मानहानि केस में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की अपील पर गुजरात हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। हाईकोर्ट के जस्टिस हेमंत एम प्राच्छक की कोर्ट राहुल गांधी की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलीलें रखीं और सजा पर रोक की मांग की। सिंघवी के करीब पौने दो घंटे तक दलीलें रखीं तो राहुल गांधी पर मानहानि का केस करने वाले पूर्णेश मोदी के वकीलों ने कुछ दस्तावेज देने के समय की मांग की। इस पर जस्टिस हेमंत एम प्राच्छक ने कहा कोर्ट आखिरी सुनवाई करते हुए दो मई को इस केस को खत्म करेंगे। उन्होंने पूर्णेश मोदी के वकीलों को सोमवार की शाम तक अपने दस्तावेज जमा करने के निर्देश दिए। इसके बाद जस्टिस हेमंत एम प्राच्छक ने कहा कि मामले की सुनवाई दो मई को लंच के बाद 2:30 बजे होगी। कोर्ट में आखिरी दलीलें रखीं जाएगी। ऐसी उम्मीद है कि कोर्ट उसी दिन फैसला सुना सकती है, क्याेंकि जस्टिस हेमंत एम प्राच्छक ने कि वह और समय नहीं देंगे। वह उसी दिन इस केस से जुड़ी कार्यवाही को पूरा करेंगे। जस्टिस हेमंत एम प्राच्छक ने कहा कि पांच मई से बाहर जा रहे हैं, ऐसे में वह जल्दी इस खत्म करेंगे। तो अभिषेक मनु सिंघवी ने इसका स्वागत किया।
डेढ़ घंटे तक बोले सिंघवी
हाईकोर्ट के जस्टिस हेमंत एम प्राच्छक की कोर्ट में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की तरफ एडवाकेट अभिषेक मनु सिंघवी पेश हुए और दलीलें रखीं। उन्होंने निचली कोर्ट के फैसले पर गलत बताते हुए सजा पर रोक की मांग की। तो वहीं मानहानि याचिकाकर्ता पूर्णेश मोदी की तरफ राहुल गांधी की तरफ से दाखिल की गई एप्लीकेशन पर सवाल खड़े किए और कहा गया कि यह स्पष्ट नहीं किया। वे क्या चाहते हैं। इसके बाद कोर्ट ने पूर्णेश मोदी की तरफ से पेश हुए निरुपम नानावती को 4 मई तक जवाब दाखिल करने का समय दिया। सिंघवी ने सूरत कोर्ट के फैसले को गलत बताते हुए कई सारे फैसलों के रेफरेंस भी रखे। सिंघवी ने अन्य एमपी विधायक मामलों की अयोग्यता के बारे में तर्क दिया। उन्होंने लक्षद्वीप के सांसद नजीर मोहम्मद का उदाहरण दिया गया है। सिंघवी ने मानहानि केस, ट्रायल कोर्ट की प्रक्रिया और फैसले पर सवाल खड़े किए उन्होंने कहा सेशंस कोर्ट में भी हमें नहीं सुना गया।
दूसरे पक्ष ने रखीं दलीलें
सुनवाई के दौरान मानहानि केस के याचिकाकर्ता पूर्णेश मोदी के वकील भी मौजूद रहे। राहुल गांधी की तरफ से पेश हुए अभिषेक मनु सिंघवी ने मोदी समाज के रिकॉर्ड में होने और सही से डिफाइन नहीं होने को लेकर भी सवाल खड़े किए। तो वहीं सरकार की तरफ से पेश हुए वकील के कहा कि निचली कोर्ट ने जो फैसले सुनाए हैं। वे उनके अधिकार क्षेत्र में है और उतनी ही सजा दी है जो स्वीकृत है।