रायपुर
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि राज्यपाल की शक्तियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी के बाद राजभवन को आरक्षण संशोधन विधेयक के साथ राज्यपाल के हस्ताक्षर के इंतजार में बीते कई महीनों से अटके कई महत्वपूर्ण विधेयक के विषय में अपना रुख साफ करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने भी माना है कि राज्य सरकारों के द्वारा राज्य की जनता के हित में जब सदन में कोई विधेयक पारित किया जाता है तो उस विधेयक पर राजभवन को त्वरित और जल्द निर्णय लेना चाहिए।
ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार ने प्रदेश की अधिसंख्यक आबादी को 76 प्रतिशत आरक्षण का अधिकार देने के लिए 2 दिसंबर को सदन में आरक्षण संशोधन विधेयक पारित किया था जिसमें ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत, एससी वर्ग को 13 प्रतिशत, एसटी वर्ग को 32 प्रतिशत और ईडब्ल्यूएस के दायरे में आने वालों को 4 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रस्ताव है जो हस्ताक्षर नहीं होने के चलते बीते 5 माह से राजभवन में अटकी हुई है जिसका खामियाजा प्रदेश के लाखों युवाओं को भुगतना पड़ रहा है। सरकार के विभिन्न पदों में जो भर्ती की प्रक्रिया है आरक्षण विधायक में हस्ताक्षर नहीं होने के चलते अटकी हुई है स्कूल कॉलेज में भी आरक्षण का लाभ आरक्षित वर्ग को नहीं मिल पा रहा है। इसका नुकसान प्रदेश के भविष्य को हो रहे हैं।
राजभवन को सुप्रीम कोर्ट के अहम टिप्पणी के बाद उक्त आरक्षण विधेयक में हस्ताक्षर कर देना चाहिए यदि राजभवन को उक्त बिल में कोई आपत्ति है तो राज्य सरकार को लौटा देना चाहिए ताकि उक्त विधेयक के बारे में राज्य सरकार विधानसभा में कोई निर्णय ले सके। ठाकुर ने कहा कि जिन राज्यों में भाजपा की सरकार नहीं है उन राज्यों में भाजपा के नेता राज भवन के पीछे छुप कर राजनीति कर रहे हैं राज्य के हितों को बाधित कर रहे हैं छत्तीसगढ़ में भी भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस की सरकार की नीतियों के आगे खुद को कमजोर मान रही है राजनीतिक धरातल खो चुकी है ऐसे में राजभवन और केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर छत्तीसगढ़ में अपनी राजनीति को बचाने का षड्यंत्र कर रही है और छत्तीसगढ़ के खेत में लाए जा रहे विधयको को साजिश पूर्वक रुकवा रही है।