अतीक हत्याकांड मामले पर हलफनामा दाखिल करे यूपी सरकार, SC का निर्देश
नईदिल्ली
प्रयागराज ( Prayagraj ) में हुए माफिया डॉन Atiq Ahmed और उसके भाई Ashraf के मर्डर केस में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। देश की सर्वोच्च न्यायालय ने सबसे बड़े हत्याकांड पर राज्य सरकार से हलफनामा दाखिल करने को भी कहा है। माफिया अतीक-अशरफ हत्या मामले की जांच की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर करते हुए Supreme Court ने यूपी सरकार को ये निर्देश दिया। अब तीन हफ्ते बाद अदालत फिर मामले पर सुनवाई करेगी।
सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार ने बताया कि मामले में जांच आयोग का गठन किया गया है और SIT भी जांच कर रही है। याचिकाकर्ता की ओरस से यूपी सरकार के जांच आयोग पर सवाल उठाया। उसने कहा कि इसमें सरकार की भूमिका भी संदेह के दायरे में है। इस पर यूपी की तरफ से मुकुल रोहतगी ने अदालत में पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि मामले की एक कमीशन जांच कर रहा है। अतीक और उसके परिवार के खिलाफ तमाम मुकदमे हैं। अतीक, उसका भाई, बेटा, सभी जघन्य अपराध में शामिल हैं।
अदालत ने सरकार से पूछे सवाल
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एस रविन्द्र भट्ट और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने कहा कि उनकी (अतीक और अशरफ) को सुरक्षा क्यों नहीं की गई। उनको यानी आरोपियों को परेड कराते हुए क्यों ले जाया गया? कोर्ट ने पूछा कि एंबुलेंस को हॉस्पिटल के अंदर तक क्यों नहीं ले जाया गया, क्यों गेट से पैदल परैड कराया गया? बाद में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से उठाए गए कदमों पर स्टेटस रिपोर्ट और हलफनामा मांगा।
अतीक हत्याकांड के बाद दायर की गई याचिका
यूपी सरकार हलफनामे में बताएगी कि किन परिस्थितियों में अतीक अशरफ की हत्या हुई और विकास दुबे एनकाउंटर की जांच के लिए गठित जस्टिस बीएस चौहान की रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने क्या कदम उठाए? बताते चलें कि अतीक और अशरफ की मौत के बाद सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी। याचिका में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में स्वतंत्र जांच की मांग की गई। साथ ही 2017 से उत्तर प्रदेश में अब तक हुए 183 एनकाउंटर की जांच सुप्रीम के रिटायर्ड जज की निगरानी में एक्सपर्ट कमिटी से कराने की मांग की गई है।
पुलिस कस्टडी के दौरान हुई अतीक की हत्या
मालूम हो कि उमेश पाल हत्याकांड के आरोपी अतीक अहमद की हाल ही में सरेआम हत्या कर दी गई थी। अतीक के साथ उसके भाई अशरफ को गोलियों से भून डाला गया था। तीन हमलावरों ने पुलिस कस्टडी में जा रहे अतीक और अशरफ को मार डाला था। हालांकि बाद में तीनों ने खुद ही सरेंडर कर दिया था। अतीक अहमद के खिलाफ 100 से भी ज्यादा मुकदमे थे। उमेश पाल के अपहरण मामले में उसे पहली बार दोषी ठहराया गया था।