धार्मिक

आज होलिका दहन का केवल 2 घंटे 27 मिनट ही है शुभ मुहूर्त

नई दिल्ली
होलिका दहन सात मार्च शाम 5.48 से 7.22 बजे के बीच होगा। ज्यादातर ज्योतिष और पंचांग के जानकार होलिका दहन के मुहूर्त को लेकर एकमत हैं। आचार्य माधवानंद (माधव जी) कहते हैं कि सात मार्च शाम को प्रदोष काल में होलिका दहन का शास्त्रत्तेक्त मुहूर्त है। पंडित शंभूनाथ झा कहते हैं कि घर के आंगन में भक्त प्रह्लाद के साथ होलिका गोधूलि बेला में जलाई गई थी। इस वर्ष सात मार्च को सवा छह बजे से 7.24 बजे तक गोधूलि बेला में होलिका दहन का सबसे बढ़िया मुहूर्त है।
 
ज्योतिषाचार्य शंभू प्रसाद कहते हैं कि छह मार्च को भद्रा लग रहा है जो सात मार्च सुबह 4.48 बजे समाप्त हो रहा है। होलिका दहन भद्रा समाप्ति के बाद ही करना उचित माना जाता है। दूसरी ओर, सोशल साइट पर सात मार्च की रात 12.23 बजे से 1.35 बजे के बीच होलिका दहन को लेकर कई पोस्ट वायरल हैं। इन पोस्टों को लेकर लोगों के बीच होलिका दहन को लेकर भ्रम की स्थिति भी बनी हुई है। बताते चलें कि होलिका दहन के दिन पुरानी मान्यता के अनुसार राजा हिरण्यकशिपु ने अपनी बहन होलिका को भगवान विष्णु के भक्त व अपने पुत्र भक्त प्रह्लाद को जलाने के लिए कहा था। होलिका की गोद में बैठे प्रह्लाद बच गए और होलिका जल गई थी।

दो दिन पूर्णिमा और दो दिन होलिका दहन-

दो दिन पूर्णिमा और भद्रा के कारण इस बार होलिका दहन दो दिन हो गया। अधिकांश ज्योतिषाचार्यों के मतानुसार, होलिका दहन मंगलवार 7 मार्च को होगा। होलिका दहन भद्रा मुक्त होगी और इस बार कई शुभ संयोग भी मिल रहे हैं। केदार, हंस, मालव्य, चतुष्चक्र और महाभाग्य पांच बड़े योग मिल रहे हैं।

7 मार्च को सुबह से ही प्रारंभ। सुबह से ही पूर्णिमा तिथि उपस्थित रहेगी। दोपहर तीन बजे से साढ़े चार बजे तक राहुकाल रहेगा। इस दौरान होली पूजन न करें। मंगलवार 7 मार्च की शाम 06.24 मिनट सूर्यास्त होगा। इसके बाद होलिका दहन किया जा सकता है।

30 वर्ष बाद विशेष संयोग। शनि का कुंभ राशि में प्रवेश।

होलिका दहन 2023 का शुभ मुहूर्त-

होलिका दहन 7 मार्च मंगलवार

होली पूजन 7 मार्च प्रातकाल से दोपहर 3 बजे तक

होलिका दहन 7 मार्च की शाम 6:24 से आरम्भ

दुल्हैंडी (रंगोत्सव) 8 मार्च बुधवार

भद्रा में नहीं होता दहन

कड़कड़डूमा स्थित शिव मंदिर के पुजारी अमन शर्मा ने कहा कि होलिका दहन भद्रा रहित समय में होता है। भले सोमवार को फाल्गुन माह की पूर्णिमा थी, लेकिन भद्रा की वजह से होलिका दहन नहीं किया गया।
 
कैसे करें पूजन

अपनी-अपनी मान्यतानुसार सवेरे हनुमानजी को रोठ चढ़ेगा। इसके बाद होलिका पूजन करें। होलिका दहन के समय रोली, गुलाल, गुझिया के साथ पूजन करें। गेहूं की बालियां भूनें और ऊं नमो भगवते वासुदेवाय का जाप करते हुए परिक्रमा करें।

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