भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था अमेरिकी कंपनियों के लिए महत्वपूर्ण : USIBC
वाशिंगटन
भारत की आर्थिक वृद्धि अमेरिकी कंपनियों के लिए अवसर प्रदान करने के अलावा द्विपक्षीय व्यापारिक संबंधों को आगे बढ़ाने में मददगार है। अमेरिका-भारत व्यापार परिषद (यूएसआईबीसी) के अध्यक्ष अतुल केशप ने यह बात कही है।
केशप ने कहा कि भारत के साथ अमेरिका के ‘बिजनेस-टू-बिजनेस’ संबंध अमेरिका के मध्यम वर्ग के लिए सीधे नौकरियां पैदा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस साल अमेरिका-भारत का द्विपक्षीय व्यापार 190 अरब डॉलर को पार कर गया है। औद्योगिक मशीनरी, फार्मास्युटिकल्स और इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों के अमेरिकी निर्यात में वृद्धि हुई है।
उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे भारत आगे बढ़ेगा, इसकी अर्थव्यवस्था अमेरिकी कंपनियों के लिए उतनी ही महत्वपूर्ण होती जाएगी। उन्होंने यहां एक कार्यक्रम में कहा कि भारतीय आबादी के शहरीकरण और इसके वैश्विक मध्यम वर्ग में शामिल होने के साथ अमेरिका वस्तुओं के लिए उनकी मांग बढ़ेगी। इससे नवोन्मेषण और संस्कृति का विस्तार होगा।
केशप ने कहा कि वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनने की भारत की महत्वाकांक्षा आगे बढ़ने के साथ ही उसकी अमेरिकी औद्योगिक उपकरणों तथा बौद्धिक संपदा (आईपी) की मांग तेजी से बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था बढ़ रही है और इस वजह से आज यह अमेरिकी नौकरियों का समर्थन करने वाले उद्योगों के लिए सबसे महत्वपूर्ण निर्यात बाजार है।
भारतीय बैंकिंग प्रणाली मजबूत, वैश्विक घटनाक्रमों का प्रतिकूल प्रभाव नहीं : शक्तिकांत दास
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि देश की बैंकिंग प्रणाली मजबूत बनी हुई है और वैश्विक घटनाक्रमों का इसपर खास प्रतिकूल प्रभाव देखने को नहीं मिला है।
रिजर्व बैंक प्रवर्तित ‘कॉलेज ऑफ सुपरवाइजर्स’ द्वारा वित्तीय क्षेत्र की मजबूती पर एक वैश्विक सम्मेलन को संबोधित करते हुए दास ने कहा, ‘‘भारतीय की वित्तीय प्रणाली मजबूत बनी हुई और कुछ आधुनिक अर्थव्यवस्थाओं में वित्तीय अस्थिरता का इसपर प्रतिकूल असर नहीं पड़ा है।’’
उनका यह बयान सिलिकॉन वैली बैंक के डूबने के कुछ सप्ताह बाद आया है। इस घटनाक्रम से अमेरिका और यूरोप के वित्तीय क्षेत्र में संकट की स्थिति पैदा हो गई है। दास ने कहा, ‘‘रिजर्व बैंक के दबाव परीक्षणों से पता चलता है कि अत्यंत संकट वाली स्थिति में भी भारतीय बैंक पूंजी पर्याप्तता अनुपात को न्यूनतम जरूरत से ऊपर रखने में सफल रहेंगे।’’
गवर्नर ने इसके साथ ही अंशधारकों को सतर्क रहने के लिए आगाह करते हुए कहा कि दुनियाभर में परंपरा से हटकर नीतियां अपनाई जा रही हैं। ऐसे में वित्तीय क्षेत्र में किसी तरह का ‘आश्चर्य’ कहीं से भी देखने को मिल सकता है। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक भविष्य के लिए भारतीय वित्तीय प्रणाली को मजबूत करने और इसकी सतत वृद्धि को समर्थन देने के लिए प्रतिबद्ध है।