मारे गए आईएएस अधिकारी की पत्नी ने पूर्व सांसद को रिहा करने के बिहार सरकार के फैसले पर नाराजगी जताई
हैदराबाद
भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी जी. कृष्णैया की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे पूर्व सांसद आनंद मोहन को रिहा करने के बिहार सरकार के फैसले पर नाराजगी जताते हुए मारे गए आईएएस अधिकारी की पत्नी उमा कृष्णैया ने कहा कि राजनीतिक कारणों से ऐसे निर्णय नहीं लिए जाने चाहिए और राजनीति में अपराधियों को बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए।
1994 में हुई कृष्णैया की नृशंस हत्या के बारे में बात करते हुए उमा कृष्णैया ने कहा कि उनके पति को बिना किसी गलती के मार दिया गया था। उन्होंने कहा, ‘‘यह (बिहार के) मुख्यमंत्री का बेहद गलत फैसला है। अच्छे लोगों को चुनाव लड़वाना चाहिए, तभी अच्छी सरकार बनेगी। अगर अपराधियों को चुनाव लड़वाया जाएगा, तो हर कोई विरोध करेगा।’’
हैदराबाद में रहने वाली उमा कृष्णैया ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम लोग दुखी हैं। इतने अच्छे अधिकारी की हत्या कर दी गई। उन्हें मारने का कोई कारण नहीं था।’’
उन्होंने कहा कि दोषियों को आजीवन कारावास की सजा होनी चाहिए।
इस मामले में उनके भविष्य के कदम के बारे में पूछे जाने पर उमा कृष्णैया ने कहा कि वह अकेले निर्णय नहीं ले सकती हैं और उनके पति के 1985 बैच के साथी आईएएस अधिकारी उनके संपर्क में हैं।
राजनीति में अपराधियों की मौजूदगी की निंदा करते हुए उमा कृष्णैया ने कहा कि ‘गलत लोग’ दूसरों की हत्या करने से नहीं हिचकिचाएंगे, जैसा कि उनके पति के मामले में हुआ।
29 साल पहले अपने पति की हत्या के बाद के संघर्ष को याद करते हुए उमा कृष्णैया ने कहा कि वह यही दुआ करती हैं कि किसी अन्य परिवार को ऐसी स्थिति का सामना न करना पड़े।
उन्होंने कहा, ‘‘(दूसरों के लिए) ऐसी स्थिति की पुनरावृत्ति न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए नेताओं को अच्छे फैसले लेने चाहिए। उन्हें अपने स्वार्थ से ऊपर उठना चाहिए।’’
उमा कृष्णैया ने कहा कि जाति की राजनीति खत्म होनी चाहिए और जातियों के वोट सरकार के फैसले लेने का पैमाना नहीं होने चाहिए।
उन्होंने कहा कि चूंकि, कृष्णैया अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी थे, ऐसे में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बिहार सरकार का फैसला वापस लिया जाए।
उमा कृष्णैया ने कहा कि उनके पति एक बैठक में हिस्सा लेने के बाद लौट रहे थे, तभी उन पर हमला किया गया, क्योंकि वह एक लोक सेवक थे।
उन्होंने कहा कि पति की मौत के बाद उन पर अपनी दो बेटियों की परवरिश की जिम्मेदारी थी, जो उस वक्त पांच और छह साल की थीं। उमा कृष्णैया ने बताया कि बच्चियों को अच्छी परवरिश देने के लिए उन्होंने नौकरी की।
इस बीच, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की तेलंगाना इकाई के अध्यक्ष आर. एस. प्रवीण कुमार ने कृष्णैया की हत्या पर प्रतिक्रिया देने के लिए पार्टी सुप्रीमो मायावती का आभार जताया। उन्होंने यहां एक विज्ञप्ति में कहा कि आनंद मोहन को आजीवन जेल में रखा जाना चाहिए।
कृष्णैया की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे पूर्व सांसद आनंद मोहन को 14 साल से अधिक समय से राज्य की विभिन्न जेलों में बंद 26 अन्य लोगों के साथ रिहा किया जाना है।
बिहार सरकार ने सोमवार देर रात इस आशय की अधिसूचना जारी की थी।
बिहार में गोपालगंज के जिलाधिकारी रहे दलित आईएएस अधिकारी कृष्णैया को 1994 में भीड़ ने उस समय पीट-पीटकर मार डाला था, जब उनका वाहन मुजफ्फरपुर जिले से गुजर रहा था।
आनंद मोहन हत्या के समय मौके पर मौजूद था, जहां वह मुजफ्फरपुर शहर में गोलियों से छलनी हुए खूंखार गैंगस्टर छोटन शुक्ला की अंतिम यात्रा में शामिल होने के लिए पहुंचा था।
उल्लेखनीय है कि बिहार के विधि विभाग की अधिसूचना नियमों में एक हालिया संशोधन के बाद जारी की गई है, जिसके तहत यह प्रावधान किया गया है कि सरकारी कर्मचारी/अधिकारी की हत्या या बलात्कार जैसे गंभीर अपराधों के लिए दोषी ठहराए गए लोगों को 14 साल कैद की सजा पूरी करने के बाद भी रिहा नहीं किया जा सकता है।