देश

भारत में 2060 तक कहर बरपाएगा हीटवेव, IMD ने जारी की डरा देने वाली रिपोर्ट

नई दिल्ली
 भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने 25 अप्रैल को एक नई रिपोर्ट जारी की है, जिसमें आने वाले मौसम को लेकर बड़ी चेतावनी दी गई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, प्रायद्वीपीय और तटीय भारत के अधिकांश हिस्सों में वर्ष 2060 तक हीटवेव की अवधि में 12-18 दिनों की वृद्धि होगी। साथ ही आईएमडी ने इससे निपटने का तरीका भी सुझाया है, जिसमें सांस्कृतिक, संस्थागत, तकनीकी और पारिस्थितिक तंत्र आधारित अनुकूलन रणनीतियां शामिल हैं। 'भारत में गर्मी और शीत लहर की प्रक्रिया और भविष्यवाणी' शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में वेंटिलेशन और इन्सुलेशन के माध्यम से भारत की इमारतों में सुधार; गर्मी के कारण स्वास्थ्य पर पड़ने वाले विपरीत प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाना; वर्क शेड्यूल में बदलाव; पूर्व चेतावनी प्रदान करना; और ठंडे आश्रयों का निर्माण जैसे कई सिफारिशों को शामिल किया गया हैं।

हीटवेव से भारत में होती हैं अधिक मौतें
आईएमडी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के अपवाद के साथ अन्य प्राकृतिक खतरों की तुलना में हीटवेव से भारत में सबसे अधिक मौतें होती हैं। हीट वेव क्लाइमेटोलॉजी और घटना को समझने के लिए IMD ने 1961-2020 के डेटा का इस्तेमाल किया है।

हीटवेव और भीषण गर्मी की लहर
बता दें कि जब अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर और सामान्य से 4.5 डिग्री अधिक होता है, तब हीटवेव शुरू होती है। भारत के किसी भी राज्यों में अगर तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर और सामान्य से 6.5 डिग्री अधिक होता है, तो यह भीषण गर्मी की लहर में मापा जाता है। आईएमडी इन्हीं तापमान के हिसाब से हीटवेव और भीषण गर्मी को घोषित करती है। आमतौर पर हीटवेव की स्थिति मध्य और उत्तर-पश्चिमी भारत (हीटवेव जोन) और आंध्र प्रदेश और ओडिशा के तटीय क्षेत्रों में मार्च से जून की अवधि में बनती है। इस क्षेत्र में गर्मी की लहरों की फ्रीक्वेंसी उत्तरी भारत की तुलना में थोड़ी कम है।

30 सालों में हीटवेव की अवधि में हुई वृद्धि
देश के उत्तरी भागों और तटीय आंध्र प्रदेश और ओडिशा में औसतन दो से अधिक हीटवेव घटनाएं होती हैं। कुछ इलाकों में, एक मौसम में हीटवेव की फ्रीक्वेंसी 4 से भी अधिक हो जाती है। अधिकांश आईएमडी स्टेशन हीटवेव पीरियड के संदर्भ में 60 साल की अवधि के दौरान फ्रीक्वेंसी और गंभीरता के परिप्रेक्ष्य में हीटवेव घटनाओं के बढ़ते रुझान दिखाते हैं। एक वर्ष में औसतन दो से तीन लू चलती हैं; पिछले 30 वर्षों में हीटवेव की कुल अवधि में तीन दिनों की वृद्धि हुई है।

भविष्य में बढ़ेगा हीटवेव
भविष्य में प्रति वर्ष दो हीटवेव में वृद्धि की उम्मीद की जा सकती हैं, इसका मतलब है कि 2060 तक 12 से 18 हीटवेव दिन होगा। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव और रिपोर्ट के सह-लेखक एम राजीवन ने कहा कि इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रायद्वीपीय भारत और तटीय क्षेत्र जहां गर्मी की लहरें आम नहीं हैं, भविष्य में यहां भी हीटवेव रिकॉर्ड किए जा सकते है। सबसे लंबी गर्मी की लहर कई स्टेशनों पर 10 दिनों से अधिक हो जाती है। इसमें मध्य और उत्तर-पश्चिमी भारत और तटीय आंध्र प्रदेश भी शामिल है। वहीं, सबसे लंबा हीटवेव समय 15 दिनों से भी अधिक भारत के सुदूर उत्तर पश्चिम में रिकॉर्ड किया गया है।
 
हीटवेव के बढ़ने का मुख्य कारण यह
सबसे लंबी भीषण गर्मी की लहर आम तौर पर पांच दिनों से अधिक मध्य और उत्तर-पश्चिमी भारत में रहती है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आंध्र प्रदेश तट सहित दक्षिणी प्रायद्वीप गर्मी की लहर इसके मुकाबले कम रहती है। यह काफी गंभीर बात है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण 2020-2064 की अवधि में लगभग 2 हीटवेव की वृद्धि हो जाएगी। यह हीटवेव 12-18 दिनों तक रहेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि मिट्टी की नमी में कमी और गर्मी के प्रवाह के कारण हीटवेव में तेजी से वृद्धि हुई हैं।

Pradesh 24 News
       
   

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button