उत्तराखंड चार धाम यात्रा 2023 केदारनाथ में पायलट पीछे जाने से मना करता रह गया…हेलीकॉप्टर के पंख से कटकर यूका
नई दिल्ली
केदारनाथ धाम में उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण (यूकाडा-UCADA) के वित्त विभाग के अफसर अमित सैनी के लिए हेलीकॉप्टर का पहला सफर ही अंतिम साबित हुआ। उत्तराखंड चार धाम 2023 यात्रा में केदारनाथ में करीब पौने दो बजे वह आईएएस सी रविशंकर के साथ निरीक्षण कर हेलीकॉप्टर में सवार होने के लिए पहुंचे थे। वापसी के समय हेलीकॉप्टर में सवार होने के दौरान सैनी टेल रोटर (पीछे का पंख) की जद में आ गए थे। पंखे से सिर कटने पर उनकी मौके पर ही मौत हो गई। चॉपर में बैठने के लिए आगे सी रविंशकर और पीछे अमित सैनी थे। बकौल सी रविशंकर, अमित सैनी अचानक हेलीकॉप्टर के पीछे की तरफ गए। वह बैठने के लिए दूसरे दरवाजे की तरफ जाना चाहते थे।
इसके लिए उन्हें हेलीकॉप्टर को आगे से पार करना चाहिए था। पीछे गए तो रोकने के लिए हेलीकॉप्टर का पायलट और वहां मौजूद सभी लोग चिल्लाए। हेलीकॉप्टर का शोर इतना तेज था कि अमित सुन नहीं पाए। गेट से हेलीकॉप्टर टेल की तरफ करीब दो सेकेंड ही चले कि टेल रोटर ने चपेट में ले लिया। उसका ब्लेड तेजी से अमित के सिर पर लगा। रविवार शाम अमित के शव का दून के कोरोनेशन अस्पताल में पीएम हुआ।
यहां आईएएस रविनाथ रमन और अमित के साथ केदारनाथ गए सी रविशंकर भी मौजूद थे। सी रविशंकर ने अपने अफसरों से बातचीत में बताया कि करीब 10 बजे वह साथ निकले। दोनों ने पहले फाटा हेलीपैड का निरीक्षण किया। यहां स्टाफ को बताया गया कि कैसे लोगों की टिकट जांच कर उन्हें बोर्ड कराना या वापस भेजना है। उसके बाद केदारनाथ गए। वहां 15 से 20 मिनट रुके। सूचना मिली कि उनका हेलीकॉप्टर जाने के लिए तैयार है। सी रविशंकर ने बताया कि अमित काम के प्रति बहुत कर्मठ थे। सोमवार और फिर कपाट खुलाने के दौरान अमित ने संग जाने की हामी भरी थी। अमित ने कहा था कि वह बाबा केदार के दर्शन भी कर लेंगे। इस बातचीत के 10 मिनट बाद ही उनका निधन हो गया।
हेली ऑपरेशन के अहम रोल में थे अमित सैनी
हादसे का शिकार हुए यूकाडा के वित्त नियंत्रक अमित सैनी के निधन से विभाग हतप्रभ है। यूकाडा में उनकी भूमिका वित्त नियंत्रक से अधिक एक सक्रिय अधिकारी की थी। इस बार यूकाडा ने सबसे बड़ा बदलाव टिकट बुकिंग का काम जीएमवीएन के बजाय आईआरसीटीसी को सौंपने का किया है।
केदारनाथ हेली ऑपरेशन के दौरान मौसम में बदलाव के चलते उड़ान कैंसिल होने की परेशानियों को देखते हुए कंपनी शुरुआत में इस प्रोजेक्ट से जुड़ने में झिझक रही थी, लेकिन अमित सैनी ने तमाम बारीकियों के साथ यूकाडा और आईआरसीटीसी के बीच एमओयू कराने में कामयाबी हासिल की। इस साल तीन साल बाद इस बार नए सिरे से हेली कंपनियों के चयन से लेकर किराया भी तय किया गया है, इसमें बतौर वित्त नियंत्रक उनकी अहम भूमिका रही।
गमगीन हो गए अफसर, मौके पर पायलट भी रोया
हादसे के बाद मौके पर अफसर गमगीन हो गए। करीब दो से तीन सेकेंड के बीच हुए इस हादसे को शायद आईएएस अफसर सी रविशंकर कभी न भुला पाएं। रविवार शाम अमित के शव के पोस्टमार्टम के दौरान वह मौके पर पहुंचे तो गमगीन नजर आए। उन्होंने इस दौरान कहा कि हादसे के बाद हेलीकॉप्टर के पायलट समेत कई कर्मचारी वहां सदमे में रोने लगे।
इंतजाम परखने आई टीम के सामने हादसा
केदारनाथ में हेली सेवाओं के संचालन में कितनी लापरवाही बरती जाती है, इसका दुखद उदाहरण रविवार को खुद नागरिक उड्डयन विभाग के एक युवा अधिकारी की आकस्मिक मृत्यु के रूप में सामने आया। यह हादसा तब हुआ जब यात्री सुविधा और सुरक्षा का जायजा लेने के लिए देश की सबसे बड़ी हवाई यातायात सुरक्षा एजेंसी डीजीसीए की टीम वहां मौजूद थी। उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विभाग सिर्फ सिरसी, फाटा के साथ गुप्तकाशी में हेली उड़ान की लॉगबुक भरने का काम करता है। मुख्य भूमिका किराया निर्धारण और हेलीपैड पर भीड़ नियंत्रण की रहती है। कई बार टेक ऑफ का नंबर आने के लिए लोगों में धक्कामुक्की तक की नौबत आती है।
डीजीसीए से मिलती है वन टाइम एनओसी
केदारनाथ में कपाट खुलने से पहले हर साल डीजीसीए की टीम हेलीपैड पर फायर सेफ्टी, लैडिंग, टेकऑफ पर सुरक्षा इंतजाम की जांच करने आती है। रविवार को भी टीम इसी कसरत के लिए केदारनाथ पहुंची थी। इसी टीम के साथ उत्तराखंड के अधिकारी भी वहां पहुंचे थे। जिस दौरान यह हादसा हो गया। एजेंसी ऑपरेटर को एक बार में ही पूरे सीजन के लिए एनओसी देती है। इसके बाद शिकायत पर ही टीम यहां का रुख करती है।