रायपुर
आखातीज पर्व के अवसर पर सीमंधर स्वामी जैन मंदिर व चमत्कारी जिनकुशल सूरि जैन दादाबाड़ी , भैरव सोसायटी में अनेक श्रद्धालुओं ने भगवान आदिनाथ के जीवन की घटना 1 वर्ष 39 दिन उपवास फिर अक्षय तृतीया पर पारणे की घटना से प्रेरणा लेकर जीवदया की ओर कदम बढ़ाया। आदिनाथ भगवान के जीवन की घटना हमें प्रेरणा देती है। घटना इस प्रकार है कि पूर्व भव में एक बैल बार बार खाने की सामग्री में मुंह डालकर खाने का प्रयास कर रहा था और उसका मालिक इसके लिए उस बैल को बार बार पिटाई कर रहा था।
भगवान आदिनाथ उस भव में बैल की पिटाई से दु:खी हो रहे थे , बैल पर जीवदया के भाव से उसके मालिक को सलाह दी कि इसका मुँह पर छीका बांध दो तो यह खाने में मुंह नही डालेगा और पिटाई से बच जावेगा। मालिक ने सलाह मानकर बैल का मुँह बंधवा दिया। बैल पिटाई से तो बच गया लेकिन भोजन में अंतराय हो गई , जिसके परिणाम स्वरूप भगवान आदिनाथ के भोजन में अंतराय आई। परन्तु भगवान ने कर्मो के परिणाम को उपवास तप के क्रम में बदलकर कर्मो की निर्जरा की। क्या यह घटना हमें जयणा पूर्वक जीवदया करने की प्रेरणा देती है। अनेक श्रद्धालुओं ने आज जिनमंदिर व दादाबाड़ी के दर्शन पूजन पश्चात पक्षियों के लिए दाना फीडर व सकोरा लिया, घर जाकर सर्वप्रथम फीडर में दाना भरा, फीडर व पानी भरे सकोरे को बाल्कनी , छत या गार्डन में रखा में रखा। जीवदया करने के बाद ही आज का पारम्परिक खीच घी इमलानी व बड़ी की सब्जी का सामुहिक भोजन गृहण किया। सीमंधर स्वामी जैन मंदिर व दादाबाड़ी ट्रस्ट के अध्यक्ष संतोष बैद व महासचिव महेन्द्र कोचर ने बताया कि अरिहंत हाईट्स के बाजू मूक पशु पक्षियों के लंगर में चारा दाना पानी की सेवा की गई। सोमवार को सीमंधर स्वामी जैन मंदिर, भैरव सोसायटी, पचपेड़ी नाका में प्रात: 9.30 से 10.30 बजे तक दाना फीडर व सकोरे का वितरण किया जावेगा।