यमुना एक्सप्रेसवे पर हादसों की प्रमुख वजह वाहनों की स्पीड नहीं, 2012 से 2023 तक 44.2 हादसे
यमुना
यमुना एक्सप्रेसवे पर होने वाले सड़क हादसों का प्रमुख कारण ओवरस्पीडिंग नहीं, बल्कि वाहन चालकों को आने वाली झपकी है। वर्ष 2012 से अब तक वर्ष 2023 के मध्य यमुना एक्सप्रेसवे पर जो हादसे हुये उसमें से 44.2 प्रतिशत हादसे वाहन चालक को झपकी आ जाने से हुये थे, जबकि हादसों का दूसरा मुख्य कारण ओवर स्पीडिंग था लेकिन उसकी वजह से 17.94 प्रतिशत ही हादसे हुये थे। यह सूचना वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन को सूचना अधिकार के अन्तर्गत दी गयी है। उनके द्वारा यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (येडा) से यह जानकारी मांगी गई थी। उन्होंने सरकार से मांग की है कि वाहन संचालकों के लिए आचार संहिता बनाई जानी चाहिए। जिसमें विशेषज्ञ के द्वारा यह स्पष्ट किया जाए कि किसी वाहन की सुरक्षा के लिए अधिकतम कितना चलाया जा सकता है।
वर्ष 2012 से अब तक 7256 हादसे हुये जिनमें से झपकी लगने के कारण हुये हादसों की संख्या 3207 रही। ओवर स्पीडिंग के कारण 1302 हादसे हुए। इन हादसों में 1242 लोगों की मौत हो गयी जिसमें से 488 लोगों की मौत झपकी आने से हुई और 197 लोगों की मौत ओवर स्पीडिंग के कारण हो गई। इस अवधि में घायलों की संख्या 10520 थी जिसमें से 3873 लोग झपकी आने के कारण हुये हादसों में घायल हो गये और 1816 लोग ओवर स्पीडिंग के कारण घायल हुए। हादसों के अन्य कारणों में टायर बर्स्ट भी एक अन्य प्रमुख कारण रहा। इस वजह से 760 हादसे हुए जिनमें 90 लोगों की मौत हो गयी और 1219 लोग घायल हो गये।
हादसे की वजह हादसों की संख्या मृतक संख्या घायलों की संख्या
– नींद आना 3207 488 3873
– ओवरस्पीडिंग 1302 197 1816
– लापरवाही व अन्य 1164 263 2373
– टायर फटना 760 90 1219
– घना कोहरा 341 76 679
– शराब पीकर चलाना 263 87 371
– यांत्रिक कमी 133 17 155
– पदयात्री 86 24 34
– कुल 7256 1242 10520
ऐसे तैयार किया एक्सप्रेसवे पर हादसों का डाटा
येडा द्वारा उपलब्ध करायी गई सूचना में बताया गया कि यमुना एक्सप्रेसवे पर 20 स्थानों पर इलेक्ट्रॉनिक निगरानी के लिए कैमरे लगाये हुए हैं। कैमरों से प्राप्त डाटा को ट्रैफिक पुलिस के लिए नेशनल इनफोरमेटिक सेन्टर (एनआईसी) के सर्वर को भेजा जाता है। इलेक्ट्रोनिक निगरानी व्यवस्था को एनआईसी के साथ अप्रैल 2018 से जोड़ दिया गया है ताकि चालान स्वत हो सके।
वरिष्ठ अधिवक्ता, केसी जैन ने कहा कि वाहन स्वामियों को इस बात का ध्यान रखना होगा कि ड्राइवर को नींद तो नहीं आ रही है। ड्राइवर को जरूरी आराम मिला कि नहीं। उसको मशीन समझने की बजाए एक इंसान माना जाए। स्वयं को आराम देने के साथ ड्राइवर को भी समुचित आराम दिया जाना चाहिए। अत्यधिक थकान की स्थिति में गाड़ी को और चलवाने की बजाए ब्रेक ले लिया जाए। ड्राइवर को चाय-कॉफी में साझीदार बनाया जाए।