रायपुर
भारत एक कृषि प्रधान देश है और इसकी अर्थ व्यवस्था कृषि पर आधारित है। देश की प्रगति के लिए कृषि का विकास तथा किसानों की खुशहाली पहली प्राथमिकता है। कृषि ग्रजुएट तथा पोस्ट ग्रेजुएट विद्यार्थी नवीन कृषि अनुसंधानों तथा नवाचारों से देश के विकास को एक नई दिशा दे सकते हैं। विद्यार्थियों का यह कर्तव्य है कि वे अपनी शिक्षा का उपयोग राष्ट्र व समाज की उन्नति में करें।
छत्तीसगढ़ के राज्यपाल एवं इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री विश्वभूषण हरिचंदन ने यह उद्गार आज यहां इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के नवम् दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए व्यक्त किये। दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कृषि विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों से आव्हान किया कि वे कृषि शिक्षा, शोध और प्रसार के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान स्थिपित करते हुए समाज एवं राष्ट्र को नई दिशा प्रदान करें। समारोह के विशिष्ट अतिथि प्रदेश के कृषि, जल संसाधन, पंचात एवं ग्रामीण विकास तथा संसदीय कार्य मंत्री श्री रविन्द्र चौबे थे। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्व महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्रा ने विद्यार्थियों को दीक्षांत उद्बोधन दिया। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने विद्यार्थियों दीक्षोपदेश दिया।
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के सभागार में आयोजित भव्य एवं गरिमामय दीक्षांत समारोह में 12 हजार 384 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की गयी। जिनमें 9 हजार 908 स्नातक, 2 हजार 96 स्नातकोत्तर और 380 पीएचडी डिग्री धारी विद्यार्थी शामिल हैं, इनमें से लगभग साढ़ पांच हजार विद्यार्थियों ने भौतिक रूप से उपस्थित होकर उपाधि प्राप्त की। प्रावीण्य सूची के 62 छात्रों को स्वर्ण, 140 रजत और 23 कांस्य पदक प्रदान किये गये। दीक्षांत समारोह के दौरान भव्य शोभा यात्रा भी निकाली गई जिसमें राज्यपाल, मुख्यमंत्री, कृषि मंत्री, कृषि उत्पादन आयुक्त, धरसिंवा विधायक, कुलपति, कुलसचिव एवं विश्वविद्यालय प्रबंध मण्डल के सदस्यगण, विद्या परिषद के सदस्यगण, प्रशासनिक परिषद के सदस्यगण सहित अन्य आमंत्रित अतिथि शामिल हुए।
कार्यक्रम के अध्यक्षीय उद्बोधन में राज्यपाल श्री विश्वभूषण हरिचंदन ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा अनुसंधान और विस्तार शिक्षा प्रदान करके राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के समय इस विश्वविद्यालय में केवल एक कृषि महाविद्यालय था और वर्तमान में कृषि और द्मद्मसंबद्ध विषयों के 39 महाविद्यालय हैं। वर्तमान में विश्वविद्यालय में लगभग करीब 15 राज्यों के 11000 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। विश्वविद्यालय ने अब तक 50 से अधिक फसलों की 162 किस्में विकसित और जारी की हैं जो किसानों के बीच बहुत लोकप्रिय हैं। विश्विद्यालय की 12 शोध परियोजनाओं को देश के सर्वश्रेष्ठ शोध परियोजनाओं का पुरस्कार मिल चुका है।
राज्यपाल ने कहा कि लगातार बढती आबादी के भोजन की जरूरतों को पूरा करने के लिए रासायनिक उत्पादों और नई तकनीको ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। लेकिन रासायनिक खाद के अधिक उपयोग के परिणाम स्वरूप मानव और मिट्टी के स्वास्थ पर बुरा प्रभाव पड़ा। इन समस्याओं के समाधान हेतु जैविक खेती को एक बेहतर विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। कृषि के विद्यार्थियों को इस क्षेत्र में अपना योगदान देने की आवश्यकता है। जैविक खेती के प्रयोग से किसान को ने केवल दूरगामी लाभ मिलते हैं, बल्कि उत्पादन लागत में भी 25-30 प्रतिशत की कमी आती है। भूमि की गुणवत्ता और उर्वरता बढ़ाने के साथ-साथ यह भूमि में कार्बन पृथक्करण में भी योगदान देता है। किसानो की आशा और विश्वास को पूरा करने के लिए सभी वैज्ञानिकां, शिक्षकों और विद्यार्थियों को कड़ी मेहनत करनी होगी।