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मेक्सिको में छिपी हजारों संरचनाएं मिली, शहर में मंदिर पिरामिड और बॉल कोर्ट

न्यू मेक्सिको
मेक्सिको में युकाटन प्रायद्वीप पर 1,500 साल पुराने माया सभ्यता के एक विशाल शहर का पता लगाया गया है। ये खोज खास तरह के लेजर सर्वे (लिडर तकनीक) के जरिए की गई है। लाइव साइंस ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि जर्नल एंटिक्विटी ने मंगलवार को इस नई रिसर्च को पब्लिश किया है। रिसर्च कहती है कि खोजे गए शहर में 6,674 स्ट्रक्चर हैं। इनमें चिचेन इट्जा और टिकाल जैसे पिरामिड शामिल हैं। शोधकर्ताओं ने 1,500 साल पुरानी साइट में अपनी खोज के लिए लिडार मैप्स का इस्तेमाल किया, जो जमीन पर लेजर पल्स शूट करके बनाए जाते हैं।

लिडार तकनीक के आने के बाद से प्राचीन बस्तियों के अवशेषों की खोज में बहुत तेज वृद्धि हुई है। हालांकि यह एक तकनीक महंगी है। एरिजोना विश्वविद्यालय के पुरातत्वविद् और अध्ययन के पहले लेखक ल्यूक औल्ड-थॉमस का कहना कि उनके जैसे शुरुआती करियर वाले वैज्ञानिकों के लिए ये तकनीक सुलभ नहीं थी। थॉमस ने कहा कि इस क्षेत्र का लिडार सर्वेक्षण पहले से मौजूद होना काफी काम आया।

खेतों और राजमार्गों के भीतर माया शहर के निशान

थॉमस ने पहले से कमीशन किए गए लिडार अध्ययनों को खंगालकर मेक्सिको के जंगलों में कार्बन को मापने और निगरानी करने के लिए बनाए गए सर्वेक्षण का पता लगाया। उन्होंने मेक्सिको के पूर्व-मध्य कैम्पेचे में 50 वर्ग मील का विश्लेषण किया, जहां पहले कभी माया संरचनाओं की खोज नहीं की गई । इस दौरान थॉमस और उनके सहयोगियों ने खेतों और राजमार्गों के भीतर छिपे हुए माया शहर के निशान पाए।

शोधकर्ताओं ने इस शहर का नाम पास के मीठे पानी के लैगून के नाम पर वेलेरियाना रखा है। ये शहर 250 से 900 ईस्वी का है। शोधकर्ताओं का कहना है कि इसमें क्लासिक माया राजधानी के सभी लक्षण दिखते हैं। इसमें एक बड़ा रास्ता, मंदिर पिरामिड और एक बॉल कोर्ट से जुड़े प्लाजा शामिल हैं। वेलेरियाना शहर के केंद्र से दूर पहाड़ी पर छतें और घर हैं, जो एक घने शहरी फैलाव का संकेत देते हैं।

यह अपनी तरह की पहली रिसर्च

यह पूर्व-मध्य कैम्पेचे में माया संरचनाओं को प्रकट करने वाली पहली रिसर्च है। थॉमस का कहना है कि इसके बारे में वैज्ञानिक समुदाय को पता नहीं था। उन्होंने ये भी कहा कि हमने सब कुछ नहीं पाया है। अभी और भी बहुत कुछ खोजा जाना बाकी है। शोध में अगला कदम पुरातत्वविदों के लिए साइट पर शहर की पुष्टि करना है। इस पर रिसर्चर कदम बढ़ा सकते हैं।

Pradesh 24 News
       
   

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