रायपुर.
छत्तीसगढ़ और झारखंड में ईडी ने 17 ठिकानों पर छापेमारी की है, यह कार्रवाई कथित शराब घोटाले मामले में की गई है। बताया जा रहा है कि कई बड़े IAS अधिकारियों के खिलाफ भी एक्शन हुआ है। बताया जा रहा है कि ईडी ने वरिष्ठ आईएएस अधिकारी विनय चौबे, उत्पाद विभाग के संयुक्त सचिव गजेंद्र सिंह और उनके करीबी रिश्तेदारों के ठिकारनों पर रेड डाली।
बताया जा रहा है कि ईडी ने कई इनपुट मिलने के बाद अचानक से इस बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया गया। जानकारी के लिए बता दें कि इस मामले में पहले ही छत्तीसगढ़ पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने एक केस दर्ज किया था। मामले में विनय कुमार चौबे और गजेंद्र सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हुई थी। उस शिकायत के लिए रांची के विकास कुमार ने ही आवेदन किया था। ऐसा आरोप है कि इस शराब घोटाले का एपीसेंटर रायपुर रहा है, यही पर आबकारी नीति में फरबदल हुआ था।
शराब घोटाले से जुड़ा है मामला
छत्तीसगढ़ के शराब सिंडिकेट के द्वारा शराब नीति में बदलाव कर झारखंड और छत्तीसगढ़ में शराब कारोबार पर कब्जे को लेकर छत्तीसगढ़ एसीबी में भी एफआईआर दर्ज किया गया था. एफआईआर में झारखंड के तत्कालीन उत्पाद विभाग के सचिव विनय कुमार चौबे, उत्पाद विभाग के संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह समेत अन्य अधिकारियों, छत्तीसगढ़ के आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा के साथ साथ झारखंड में शराब की सप्लाई, मैन पावर और होलोग्राम बनाने वाली कंपनियों को भी आरोपी बनाया गया है. अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 2018, धारा 420, 120 बी के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी.
इनपर दर्ज हुई है एफआईआर
- आईएएस विनय कुमार चौबे, तत्कालीन उत्पाद सचिव, जेएसबीसीएल के एमडी
- संयुक्त आयुक्त उत्पाद गजेंद्र सिंह व अन्य अधिकारी
- अनिल टुटेजा, तत्कालीन संयुक्त सचिव, वाणिज्य एवं उद्योग, छत्तीसगढ़
- अरूणपति त्रिपाठी, तत्कालीन प्रबंध संचालक, छग स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड
- अनवर ढेबर, अरविंद सिंह
- मेसर्स सुमित फैसिलिटी के संचालक
- विधु गुप्ता, प्रिज्म होलोग्राफी एंड सिक्योरिटी प्राइवेट लिमिटेड
- मैन पावर सप्लाई एवं मदिरा सप्लाई करने वाली एजेंसियां
एफआईआर में क्या है
छत्तीसगढ़ एसीबी में दर्ज एफआईआर में यह बताया गया है कि छत्तीसगढ़ में शराब कारोबार के जरिए अवैध कमाई करने वाले सिंडिकेट के सदस्य आईएएस अनिल टुटेजा, अनवर ढबेर समेत अन्य ने झारखंड में भी अवैध कारोबार करने के उद्देश्य से जनवरी 2022 में विनय कुमार चौबे समेत झारखंड के आबकारी विभाग के अफसरों के साथ मिलकर ठेकेदारी प्रथा के स्थान पर छत्तीसगढ़ स्टेट की शराब कंपनी के जरिए शराब बिक्री का नियम बनवाया. इसके लिए दोनों राज्यों के आबकारी विभाग के अधिकारियों की रायपुर में मीटिंग की गई थी. इसके बाद विधानसभा में रिजॉल्यूशन लाया गया.
छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन के एमडी अरूणपति त्रिपाठी को झारखंड में भी कंसल्टेंट बनाया गया. इसके लिए अरूणपति को 1.25करोड़ का भुगतान भी झारखंड सरकार के द्वारा किया गया. एफआईआर में बताया गया है कि विनय कुमार चौबे, गजेंद्र सिंह ने अनवर ढेबर और उसके सिंडिकेट के सदस्यों को लाभ दिखाने के लिए मदिरा सप्लाई एजेंसी और प्लेसमेंट एजेंसियों के लिए निविदा शर्त में 100 करोड़ के टर्नओवर की शर्त डाली गई. ऐसे में जहां झारखंड में ठेकेदारी प्रथा शराब कारोबार में लागू थी, यहां की कोई कंपनी निविदा में शामिल नहीं हो पायी. इसी तरह मैनपावर सप्लाई करने वाली प्लेसमेंट एजेंसी के लिए 310 दुकानों के लिए ईएमडी राशि 49.67 लाख एवं बैंक गारंटी के रूप में 11.28 करोड़ की राशि निविदा शर्त के तौर पर रखी गई.
निविदा में भाग लेने के लिए कंपनियों के लिए शासकीय कार्य में दो साल में चार करोड़ रुपये के काम का अनुभव रखा गया. इस तरह झारखंड में छत्तीसगढ़ की कंपनियों सुमित फैसिलिटी, इगल हंटर सॉल्यूशंस, एटूजेड इंफ्रा को काम दिया गया.इसके बाद इन सभी कंपनियों के मालिकों के द्वारा सिद्धार्थ सिंघानिया को अपनी ओर से मैनपावर सप्लाई का काम दिया गया. सिंघानिया ने नए मैनपावर रखने के बजाय पुराने ठेकेदारों के अधीन शराब दुकानों में काम कर रहे लोगों को ही काम पर रखा.
राजस्व का हुआ नुकसान
एफआईआर में जिक्र है कि शराब सिंडिकेट की आपराधिक साजिश के कारण झारखंड में साल 2022- 23 में राजस्व का भारी नुकसान हुआ. एसीबी छत्तीसगढ़ में शिकायत मिलने पर की गई आरंभिक जांच में पाया है कि नियम में फेरबदल कर शराब कंपनियों के मालिक से करोड़ों का कमीशन लिया गया.