रायपुर
विद्यार्थियों के लिए यह गर्व का विषय है कि वे विश्व के सबसे बडे़ प्रजातांत्रिक देश के नागरिक है। उनकी उपलब्धि में राष्ट्र एवं समाज का महत्वपूर्ण योगदान हैं। विद्यार्थियों का भी यह कर्तव्य है कि वे अपनी शिक्षा का उपयोग राष्ट्र व समाज की उन्नति में करें। उक्त उद्गार राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन ने बुधवार को इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के 9वें दीक्षांत समारोह में व्यक्त किये। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और विशिष्ट अतिथि के रूप में कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे और डॉ. त्रिलोचन महापात्रा पूर्व महानिदेशक आई.सी.ए.आर. उपस्थित थे।
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के सभागार में आयोजित दीक्षांत समारोह में 12 हजार 384 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की गयी। इनमें 9 हजार 908 स्नातक, 2 हजार 96 स्नातकोत्तर और 380 पीएचडी डिग्री धारी विद्यार्थी शामिल हैं। प्रावीण्य सूची के 62 छात्रों को स्वर्ण, 140 रजत और 23 कांस्य पदक प्रदान किये गये।
कार्यक्रम के अध्यक्षीय उद्बोधन में राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा अनुसंधान और विस्तार शिक्षा प्रदान करके राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के समय इस विश्वविद्यालय में केवल एक कृषि महाविद्यालय था और वर्तमान में कृषि और संबद्ध विषयों के 39 महाविद्यालय हैं। वर्तमान में विश्वविद्यालय में लगभग करीब 15 राज्यों के 11000 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। विश्वविद्यालय ने अब तक 50 से अधिक फसलों की 162 किस्में विकसित और जारी की हैं जो किसानों के बीच बहुत लोकप्रिय हैं। विश्विद्यालय की 12 शोध परियोजनाओं को देश के सर्वश्रेष्ठ शोध परियोजनाओं का पुरस्कार मिल चुका है।
राज्यपाल ने कहा कि लगातार बढती आबादी के भोजन कीे जरूरतों को पूरा करने के लिए रासायनिक उत्पादों और नई तकनीको ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। लेकिन रासयनिक खाद के अधिक उपयोग के परिणाम स्वरूप मानव और मिट्टी के स्वास्थ पर बुरा प्रभाव पड़ा। इन समस्याओं के समाधान हेतु जैविक खेती को एक बेहतर विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। कृषि के विद्यार्थियों को इस क्षेत्र में अपना योगदान देने की आवश्यकता है। जैविक खेती के प्रयोग से किसान को ने केवल दूरगामी लाभ मिलते हैं, बल्कि उत्पादन लागत में भी 25-30 प्रतिशत की कमी आती है। भूमि की गुणवत्ता और उर्वरता बढ़ाने के साथ-साथ यह भूमि में कार्बन पृथक्करण में भी योगदान देता है। किसानों की आशा और विश्वास को पूरा करने के लिए सभी वैज्ञानिकों, शिक्षकों और विद्यार्थियों को कड़ी मेहनत करनी होगी। विश्वविद्यालय के ज्ञान के निरंतर प्रवाह से राज्य और देश के किसानो को और आम लोगों को लाभ मिलेगा।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ कृषि प्रधान राज्य है और यहां धान की खेती सर्वाधिक होती है। कृषि प्रधान इस राज्य में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय का विशिष्ट स्थान है। इस विश्वविद्यालय ने कृषि अनुसंधान और खेती-किसानी के अत्याधुनिक तौर तरीकों और तकनीकी के प्रचार-प्रसार में अनेक महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की है। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय ने 40 से अधिक फसलों की उन्नत प्रजातियों को विकसित करने के साथ-साथ 40 कृषि यंत्र तैयार किए हैं, जो खेती किसानी में काफी उपयोगी हैं। इस विश्वविद्यालय में धान के 23 हजार 250 जर्मप्लाज्म संरक्षित हैं। आज यदि छत्तीसगढ़ की कृषि समृद्ध और उन्नत है, तो इसमें छत्तीसगढ़ के किसानों के साथ-साथ इस विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों का महत्वपूूर्ण योगदान है।
समारोह के विशिष्ट अतिथि कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि छत्तीसगढ़ में कृषि क्रांति के लिए विश्वविद्यालय का महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने आव्हान किया कि कृषि के क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा शोध हो व नई तकनीक ईजाद करें जिसका लाभ किसानों को मिलेगा। समारोह में दीक्षांत भाषण डॉ. त्रिलोचन महापात्रा पूर्व महानिदेशक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली ने दिया। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने दीक्षांत प्रतिवेदन प्रस्तुत किया उन्होंने विश्वविद्यालय की गतिविधियों एवं उपलब्धियों पर विस्तृत प्रकाश डाला। आभार प्रदर्शन कुलसचिव द्वारा किया गया।