धार्मिक

स्वर्ग नहीं, मोक्ष हो काम्य

जब भी किसी पुण्यात्मा की मृत्यु होती है तो हमारे मुख से निकलता है कि इसको जरूर स्वर्ग की प्राप्ति हुई होगी। इस विषय में महर्षि व्यास द्वारा बोले और प्रथम पूज्य गणेश जी द्वारा लिखी गई महाभारत में इसका विस्तार से वर्णन है। कुरूक्षेत्र में रहने वाले मुद्गल ऋषि की दुर्वासा मुनि द्वारा जब परीक्षा ली गई और मुद्गल ऋषि परीक्षा में खरे उतरे तो एक देवदूत उन्हें स्वर्ग ले जाने के लिए विमान सहित उतरा। तब यही प्रश्न पूछा गया। देवदूत ने कहा-स्वर्ग यहां से बहुत ऊपर का लोक है, जिसे स्वर्गलोक भी कहते हैं।

असत्यवादी, नास्तिक और जो तप, दान, यज्ञ नहीं करता, यहां प्रवेश नहीं कर सकता। धर्मात्मा, जितेंद्रिय, शम-दम से संपन्न, द्वेषरहित, दानी, युद्ध में मारे गए शूरवीरों को ही यहां प्रवेश मिलता है। देवता, साध्य, विश्वेदेव, महर्षि याम, धाम, गन्धर्व और अप्सरा-इन सबके अलग-अलग लोक हैं। यहां इच्छानुसार भोग उपलब्ध है। सोने का पर्वत सुमेरूगिरि है। यहां किसी को भूख-प्यास नहीं लगती, उदासी नहीं आती मन में, पसीना नहीं निकलता, गर्मी और जाड़ा नहीं होता, कष्ट और भय नहीं होता। विलाप और अशुभ वस्तु नहीं होती। बुढ़ापा और थकावट नहीं होती। दुर्गंध नहीं आती और मल-मूत्र भी नहीं निकलता। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि स्वर्गवासियों के शरीर में तैजस तत्त्व की प्रधानता होती है। कपड़े मैले नहीं होते। दिव्य कुसुमों की मालाएं दिव्य सुगंध फैलाती रहती हैं।

स्वर्ग के दोष में सबसे बड़ा दोष यह है कि यहां नया कर्म नहीं किया जाता। स्वर्ग का भोग अपनी मूल पूंजी गंवा कर ही प्राप्त होता है। जिस दिन पुण्य समाप्त होता है, उस दिन स्वर्ग में रहने वाले के गले की माला कुम्हला जाती है। यही स्वर्ग से गिरने की सूचना है। यह देखते ही भयवश विचार आता है कि अब गिरा, अब गिरा। उन पर रजोगुण का प्रभाव पड़ता है। स्वर्ग से जब कोई गिरने लगता है तो उसकी चेतना लुप्त हो जाती है, सुध-बुध नहीं रहती।

यह सुन कर मुद्गल ऋषि ने कहा-मेरा आपको प्रणाम है। स्वर्ग में तो भारी दोष है। मुझे स्वर्ग और उसके सुख से कोई काम नहीं है। मैं तो वहां जाऊंगा, जहां व्यथा और शोक से पिंड छूट जाए। शास्त्रों में इसीलिए कहा गया है किसी सिद्धि के और स्वर्ग में रुचि न लें। केवल मोक्ष पर ध्यान दें।

 

Pradesh 24 News
       
   

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button