मंत्री पटेल द्वारा महर्षि दधीचि पुरस्कार वितरित
16 नव-नियुक्त सहायक संचालकों को दिये गये नियुक्ति-पत्र
भोपाल
सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण मंत्री प्रेमसिंह पटेल ने मंगलवार को दिव्यांगजन के उत्थान और उन्नति के लिये उत्कृष्ट कार्य करने वाले लोगों और संस्थाओं को दधीचि पुरस्कार से सम्मानित किया। मंत्री पटेल ने समारोह में सामाजिक न्याय विभाग में 16 नव-नियुक्त सहायक संचालक को नियुक्ति-पत्र भी प्रदान किये। विभागीय प्रमुख सचिव फैज अहमद किदवई, आयुक्त ई. रमेश कुमार, आयुक्त नि:शक्तजन कल्याण संदीप रजक और पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य प्रदीप पटेल भी कार्यक्रम में मौजूद थे।
मंत्री पटेल ने कहा कि दिव्यांगजनों के लिये जिस मेहनत, लगन और निष्ठा के साथ आप लोगों ने काम किया है, आप पुरस्कार के वास्तविक हकदार हैं। आपके कार्यों ने देश में मध्यप्रदेश का नाम रोशन किया है। पटेल ने श्रवण-बाधित दिव्यांगता व्यक्तिगत श्रेणी वर्ष 2012-13 का प्रथम पुरस्कार पीथमपुर जिला धार के मनोज द्विवेदी को दिया। फ्लेक्सीटफ इंटरनेशनल नामक अपनी संस्था में द्विवेदी ने 150 से अधिक दिव्यांगजनों को रोजगार देकर समाज की मुख्य धारा से जोड़ा है।
श्रवण-बाधित दिव्यांगता व्यक्तिगत श्रेणी वर्ष 2013-14 का पुरस्कार जबलपुर की डॉ. शिरीष जामदार को दिया गया। वे पिछले 20 साल से दिव्यांगजनों के व्यवसायिक पुनर्वास और समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का काम नि:स्वार्थ भाव से कर रही हैं। जामदार हॉस्पिटल में दिव्यांगजनों को नि:शुल्क सर्जरी और उपचार की सुविधा भी दे रही हैं। शिविरों से दिव्यांगजनों को सहायक कृत्रिम अंग और उपकरण भी वितरित करवाने में योगदान देती हैं।
सांकेतिक भाषा में राष्ट्रगान की रचना करने वाले इंदौर के ज्ञानेन्द्र पुरोहित को श्रवण-बाधित दिव्यांगता व्यक्तिगत श्रेणी वर्ष 2014-15 का प्रथम पुरस्कार प्रदान किया गया। इनके सांकेतिक राष्ट्रगान को राष्ट्रीय स्तर पर भी मान्यता मिली है। पुरोहित ने विशेष रूप से जनजातीय और ग्रामीण क्षेत्र में श्रवण-बाधित बच्चों को सामान्य विद्यालयों में प्रवेश दिलाने और विभिन्न शासकीय सेवा में रोजगार दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
श्रवण-बाधित दिव्यांगता व्यक्तिगत श्रेणी वर्ष 2015-16 का दधीचि पुरस्कार जबलपुर के विवेक चतुर्वेदी को दिया गया। चतुर्वेदी ने श्रवण-बाधित युवाओं को डेस्कटॉप पब्लिशिंग का प्रशिक्षण, रोजगार एवं आजीविका की मुख्य धारा से जोड़ने के लिये केन्द्र शासन के कार्यक्रम में रोजगारोन्मुखी कौशल प्रशिक्षण भी दिलाया। उन्होंने श्रवण-बाधितों द्वारा संचालित 'डेफग्राफिक्स' की स्थापना और व्यवसाय के लिये भी भरपूर सहायता की।
विश्व का 5वाँ और भारत का पहला ब्रेल स्क्रिप्ट अरबी केन्द्र स्थापित करने वाली इंदौर की कु. राबिया खान को दृष्टि-बाधित दिव्यांगता व्यक्तिगत श्रेणी वर्ष 2015-16 का द्वितीय पुरस्कार प्राप्त हुआ। उन्होंने वर्ष 2011 में इंदौर में अरबी केन्द्र स्थापित किया था। दृष्टिहीनों के लिये मदरसा नूर रिसर्च इंस्टीट्यूट की स्थापना करने वाली कु. राबिया खान दृष्टिहीन छात्र-छात्राओं को शैक्षणिक और व्यावसायिक मुख्य धारा में लाने के लिये लगातार प्रयासरत हैं।
मानसिक मंदता दिव्यांगता व्यक्तिगत श्रेणी वर्ष 2015-16 का द्वितीय पुरस्कार प्राप्त करने वाले उज्जैन के जगदीश प्रसाद शर्मा ने 25 हजार से अधिक मानसिक अविकसित दिव्यांगों को बौद्धिक परीक्षण के बाद प्रमाण-पत्र दिलवाया। मानसिक रूप से अविकसित 3572 छात्र को विद्यालय में प्रवेश, छात्रवृत्ति और स्पेशल एजुकेशन सुविधा दिलवाई। उन्होंने 495 दिव्यांग को व्यवसाय से जोड़ कर आत्म-निर्भर बनाया और 2875 लोगों को दिव्यांगों के लीगल गार्जियनशिप दिलाई।
स्वयं दिव्यांग होने के बावजूद दिव्यांगजनों के लिये उद्दीप सोशल वेलफेयर सोसायटी की स्थापना करने वाली कु. पूनम श्रोती को अस्थि-बाघित दिव्यांगता श्रेणी वर्ष 2019-20 का प्रथम पुरस्कार दिया गया। वह दिव्यांगजनों की शिक्षा, कौशल विकास और रोजगार के लिये कार्य कर रही हैं।
स्वयं नेत्रहीन होने के बावजूद दिव्यांगजनों के लिये रोजगार प्रशिक्षण शिविर आयोजित करने वाले भोपाल के उदय हतवलने को दृष्टि-बाधित दिव्यांगता व्यक्तिगत श्रेणी वर्ष 2019-20 प्रथम पुरस्कार से नवाजा गया। हतवलने, दृष्टि-बाधितों की शिक्षा एवं सामाजिक समायोजन के लिये विशेष रूप से प्रयासरत है।
नर्मदापुरम की श्रीमती आरती दत्ता को मानसिक मंदता व्यक्तिगत श्रेणी वर्ष 2019-20 के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। श्रीमती दत्ता ऑटिज्म, सेरेबल पॉल्सी, मानसिक मंदता का गहन अध्ययन कर इससे ग्रसित दिव्यांगजनों को आत्म-निर्भर बनाते हुए उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ने और पुनर्वास का महत्वपूर्ण काम कर रही हैं।