पूर्व उपमुख्यमंत्री की जमानत तक जब्त, पार्टी को 1 फीसद भी वोट नहीं मिला
चंडीगढ़
हरियाणा विधानसभा चुनाव के कुछ महीनों पहले तक दुष्यंत डिप्टी सीएम पद पर काबिज थे, लेकिन भाजपा में हुई हलचल ने सारे समीकरण बदल दिए। जेजेपी और भाजपा का गठबंधन टूटा। इसके बाद उनकी पार्टी के कई विधायक भी टूट गए। उनकी वापसी की उम्मीद कहे जा रहे 2024 विधानसभा चुनाव भी बड़ा जेजेपी और दुष्यंत के लिए बड़े झटके की तरह रहे। हरियाणा की उचाना कलां सीट से मैदान में उतरे दुष्यंत 5वें स्थान पर रहे। उन्हें 5 फीसदी से भी कम वोट मिले।
वह दल के उन नेताओं में शामिल थे, जिनकी जमानत जब्त हो गई थी। सीट पर भाजपा के देवेंद्र चतुर्भुज अत्तरी ने महज 32 वोट के अंतर से कांग्रेस के बृजेंद्र सिंह को हराया है। दुष्यंत इस सीट पर दो निर्दलीय उम्मीदवारों विकास और वीरेंद्र घोघारियां से भी पिछड़ गए। उन्होंने सीट 41 हजार से ज्यादा वोट से गंवाई।विधानसभा चुनाव में जेजेपी का एक भी उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत सका। यहां तक कि पार्टी का वोट शेयर भी 15 प्रतिशत से घटकर 1 फीसदी से भी कम पर आ गया था।
दुष्यंत पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला के पोते और पूर्व उप प्रधानमंत्री देवी लाल के परपोता हैं। हालांकि, पूर्व मुख्यमंत्री देवी लाल, बंसी लाल और भजन लाल के परिवार के सदस्य जीतने में कामयाब रहे। पूर्व सीएम भजन लाल के बेटे चंद्र मोहन पंचकूला से जीते, पूर्व उप प्रधानमंत्री देवी लाल के पोते आदित्य देवी लाल डबवाली से जीते, अर्जुन चौटाला रनिया से विजयी रहे। पूर्व सीएम बंसी लाल की परपोती श्रुति चौधरी तोषाम से जीतीं। हालांकि, भजन लाल के परिवार से भव्य बिश्नोई बड़ा झटका साबित हुआ। शुरुआती राउंड्स में आदमपुर सीट से आगे चल रहे भव्य को हार का सामना करना पड़ा। खास बात है कि आदमपुर सीट पर 50 सालों से ज्यादा समय तक भजन लाल परिवार का कब्जा रहा।
हरियाणा-जम्मू में चला योगी का जादू, जहां-जहां किया प्रचार, खिल गया कमल
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता ने हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में हालिया विधानसभा चुनावों में भी अपना प्रभाव दिखाया है। उनकी रैलियों की मांग हमेशा बनी रही और उम्मीदवारों के बीच उनकी उपस्थिति जीत की पक्की गारंटी मानी जाती है। योगी ने हरियाणा में 14 रैलियां और जम्मू में 4 रैलियां की थी। जम्मू में उन्होंने जिन विधानसभा क्षेत्रों में प्रचार किया, वहां बीजेपी ने जीत हासिल की।
हरियाणा में भी एंटी-इन्कंबेंसी माहौल के बावजूद योगी की रैलियों ने बीजेपी को 14 में से 9 सीटें जीतने में मदद की। क्योंकि पार्टी को पिछले दस सालों में सत्ता के खिलाफ जनता की नाराजगी का सामना करना पड़ा था। योगी की रैलियों में उमड़ने वाली भीड़ और उनका बोलने का अंदाज चुनावी नतीजों में सीधे तौर पर परिवर्तित होता है। उनकी लोकप्रियता के चलते बीजेपी ने दोनों राज्यों में उनकी रैलियों को एक प्रमुख रणनीति का हिस्सा बनाया था।
इन चुनावों के परिणाम ने यह साबित कर दिया कि सीएम योगी, पीएम मोदी के बाद, बीजेपी के सबसे लोकप्रिय चेहरे हैं। उनके प्रभावी प्रचार से न केवल बीजेपी की स्थिति मजबूत हुई, बल्कि उन्होंने पार्टी की जीत तय करने में भी अहम भूमिका निभाई है। इस प्रकार योगी की रैलियों की सफलता ने साबित किया है कि उनकी रणनीतियां अन्य राज्यों के चुनावों में भी बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित हो सकती हैं।