‘भीख मांगने के लिए नहीं बनाया गया था पाकिस्तान’, IMF प्रोग्राम फिर से फेल होने पर बौखलाए शहबाज शरीफ
पाकिस्तान
IMF की कठिन शर्तों ने पाकिस्तान को बेबस कर दिया है और अब पाकिस्तानी नेताओं की बेबसी सार्वजनिक तौर पर नजर आ ने लगी है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अपने ताजा बयान में कहा है, कि 'पाकिस्तान का निर्माण भीख मांगने के लिए नहीं हुआ था।' पाकिस्तानी अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने शनिवार को कहा, कि "अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास बेलआउट पैकेज में देरी करने का कोई बहाना नहीं बचा है, क्योंकि पाकिस्तान ने वैश्विक ऋणदाता की सभी शर्तों को पूरा कर दिया है"।
लेकिन, शहबाज शरीफ के इस बयान के ठीक बाद आईएमएफ के पाकिस्तान हेड नाथन पोर्टर ने कहा, कि 'पाकिस्तान के साथ 9 वीं ईएफएफ (विस्तारित निधि सुविधा) को कामयाब बनाने के लिए पाकिस्तान को जल्द से जल्द जरूरी वित्तीय मदद हासिल करनी होगी और उसके बाद आईएमएफ लोन देने की बात पर समीक्षा करेगा।' नाथन पोर्टर ने आगे कहा, कि 'लोन हासिल करने के लिए पाकिस्तान ने अभी आधा सफर ही तय किया है।' जिसके बाद सवाल उठ रहे हैं, कि आखिर प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और आईएमएफ के बीच सच कौन बोल रहा है और क्या पाकिस्तान ने आईएमएफ की शर्तों को लेकर देश को गुमराह किया है। क्योंकि, आईएमएफ डील कागजों पर होती है और आईएमएफ का कहना है, कि लोन हासिल करने के लिए पाकिस्तान को अभी 3 अरब डॉलर की वित्तीय मदद और सुनिश्चित करनी होगी।
आईएफएफ बनाम पाकिस्तान
पाकिस्तान के लाहौर में एक छह लेन के ओवरहेड ब्रिज के निर्माण की समीक्षा के दौरान शहबाज शरीफ ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा, कि 'हमें आईएमएफ से टूटा हुआ समझौता मिला है।' इसके साथ ही, उन्होंने उम्मीद जताई है, कि विभिन्न चुनौतियों के बावजूद पाकिस्तान जल्द ही सभी कठिनाइयों से बाहर निकल जाएगा।
आपको बता दें, कि पाकिस्तान और आईएमएफ के बीच 6.5 अरब डॉलर की डील दिसंबर 2019 में की गई थी, लेकिन पाकिस्तान ने बार बार आईएमएफ की शर्तों का उल्लंघन किया। जिसको लेकर आईएमएफ की तरफ से कई बार चेतावनी भी दी गई। इमरान खान जब प्रधानमंत्री पद से हटने वाले थे, उस वक्त उन्होंनें आईएमएफ की शर्तों को तोड़ते हुए पेट्रोल की कीमत में भारी सब्सिडी दे दी थी, और उसके बाद से ही आईएमएफ ने पाकिस्तान को कर्ज की किश्त रोक दी।
फिलहाल पाकिस्तान आईएमएफ से 1.1 अरब डॉलर के कर्ज की किश्त के लिए कर्मचारी स्तर पर बातचीत कर रहा है और अगर ये डील हो भी जाती है, फिर भी पाकिस्तान को जुलाई महीने में फिर से आईएमएफ के एक नये प्रोग्राम में जाना होगा और उसके लिए भी पाकिस्तान सरकार को इसी तरह की माथापच्ची करनी होगी।