गर्भावस्था में इस आहार से कम होगा बच्चे के मोटापे का खतरा
हर मां चाहती हैं कि उसका होने वाला बच्चा हेल्दी और फिट हो। लेकिन कई बार अच्छी देखभाल के बाद भी बच्चों में बचपन से ही मोटापा बढ़ने लगता है। जिसे चाइल्डहुड ओबेसिटी कहते हैं, जो बाद में डायबिटीज, कैंसर और दिल से जुड़ी बीमारियों का कारण बनता है। विशेषज्ञ मानते हैं किे गर्भावस्था में महिलाओं द्वारा खाई जाने वाली चीजों का असर बच्चे के वजन पर भी पड़ता है।
ऐसे में महिलाओं को अपनी डाइट का खास ख्याल रखना चाहिए। हाल ही में हुई एक नई स्टडी बताती हैं कि गर्भावस्था में मेडिटेरेनियन डाइट लेने से बच्चों में चाइल्डहुड ओबेसिटी को रोका जा सकता है। यह स्टडी इ इंटरनेशनल जर्नल ऑफ ओबेसिटी में पब्लिश की गई है। इसमें पाया गया है कि मेडिटेरेनियन डाइट लेने वाली महिलाओं से पैदा हुए बच्चों में मोटापे की संभावना केवल 6 फीसदी होती है।
मेडिटेरेनियन डाइट के जरूरी नियम
यह एक प्लांट बेस डाइट है, जिसमें फल, सब्जियां, साबुत अनाज , लेग्यूम्स का सेवन ज्यादा किया जाता है।इस दौरान आप रेड मीट का सेवन महीने में केवल 2 से 3 बार ही कर सकते हैं। इस डाइट के साथ एक्सरसाइज करना जरूरी है।
तेल, घी या मक्खन के बजाय ऑलिव या कैनोला ऑयल का उपयोग करना चाहिए। खाने में स्वाद बढ़ाना हो, तो नमक का सेवन कम और हर्ब्स का प्रयोग ज्यादा किया जाता है।डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
प्रेग्नेंसी में मेडिटेरियन डाइट के फायदे
मेडिटेरेनियन डाइट फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट और हेल्दी फैट से भरपूर होती है। अगर गर्भवती इस डाइट को फॉलो करे, तो किशोरावस्था तक बच्चा ओबेसिटी से बचा रह सकता है।
गर्भावस्था में मेडिटेरेनियन डाइट लेने से जेस्टेशनल डाइबिटीज का खतरा 35% कम हो जाता है। इसके अलावा गभ्र में पल रहे बच्चे का वजन भी कम रहता है।
मेडिटेरेनियन डाइट लेने से प्रेगनेंसी हेल्दी रहती है और बच्चा भी स्वस्थ रहता है।इस तरह की डाइट में हरी सब्जियाें को शामिल करना जरूरी होता है। क्योंकि इसमें फॉलिक एसिड जाता है, जो बर्थ डिफेक्ट को रोकने के लिए जरूरी है।
2 साल की उम्र तक नहीं बढ़ता मोटापा
स्टडी में पाया गया कि गर्भावस्था के दौरान मेडिटेरेनियन डाइट फॉलो करने से बच्चे में दो साल की उम्र तक ज्यादा वजन या मोटापे की संभावना काफी कम होती है। इसके अलावा बच्चा कई अन्य बीमारियों से भी बचा रहता है।
क्या होती है मेडिटेरेनियन डाइट?
मेडिटेरेनियन डाइट एक बैलेंस डाइट है। इसमें ज्यादातर फल, सब्जियां, साबुत फलियां, ब्राउन राइस, ऑलिव ऑयल, लेग्यूम्स, नट और हेल्दी फैट शामिल होते हैं। इनके सेवन से गर्भवती मां को भरपूर मात्रा में विटामिन और पोषण तत्व मिलते हैं। इस डाइट को फॉलो करते वक्त प्रोसेस्ड मीट, मिठाई और मीठे पेय से परहेज करना पड़ता है।
बच्चे के वजन को कैसे प्रभावित करता है गर्भवती का आहार?
बचपन में मोटापा दुनियाभर में एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। भारत में बचपन से मोटापे से जूझ रहे बच्चों की संख्या 2022 में 2.5 करोड़ आंकी गई थी। वैसे तो चाइल्डहुड ओबेसिटी की कई वजह हैं, लेकिन गर्भवती मां का आहार भी इसमें अहम भूमिका निभाता है।
गर्भावस्था के दौरान जिन महिलाओं में पोषण की कमी होती है, उनके बच्चों में 2 से 4 साल की उम्र में मोटापा दिखाई देने लगता है। इसलिए मां के पोषण की गुणवत्ता में सुधार करना बेहद जरूरी है।