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झारखण्ड-रांची पुलिस ने सरयू राय के खिलाफ दर्ज की FIR, मंत्री रहते भ्रष्टाचार करने का आरोप

रांची.

रांची के अरगोड़ा थाना में पूर्व मंत्री सरयू राय समेत निजी सचिव आनंद कुमार, सुनील शंकर, रितेश गुप्ता और जेपीपीएल के डायरेक्टर के खिलाफ केस हुआ है। इनपर तीन करोड़ 38 लाख 26 हजार 473 रुपये का घोटाला करने का आरोप लगा है। इनके खिलाफ अरगोड़ा हाउसिंग कालोनी में रहने वाले मनोज कुमार के बयान पर केस दर्ज हुआ है। मनोज कुमार ने पुलिस को बताया कि पर्व कैबिनेट मंत्री,विभागीय मंत्री खाद्य विभाग के द्वारा पद और प्रभाव का दुरुपयोग कर आहार पत्रिका के मुद्रण प्रकाशन और वितरण की आड़ में अवैध तरीके से उक्त राशि का अनुचित लाभ प्राप्त करने और सार्वजनिक कर्तव्यों का अनुचित ढंग से निर्वहन कर आपराधिक षड़यंत्र के तहत अपने विश्वासपात्रों को अवैध रूप से नियुक्त किया गया है।

इन धाराओं में दर्ज हुआ मामला
पुलिस के द्वारा इस मामले में धारा 314,316 (2),316 (3),316 (4),316 (5) और 61 (2) के तहत केस किया गया है। इसके अलावा भष्टाचार निरोधक अधिनियम 1988 की धारा 7,11,12,13 ( 2) भी पूर्व मंत्री सरयू राय पर लगाया गया है। पुलिस का कहना है कि जल्द ही इस मामले में पूर्व मंत्री समेत सभी आरोपितों को नोटिस भेजा जाएगा। इस केस का अनुसंधान करने की जिम्मेदारी अरगोड़ा थाना में पदस्थापित पुलिसकर्मी मुकेश कुमार को दी गई है।

मनी लॉन्ड्रिंग मामले में हृदयानंद तिवारी को अंतरिम राहत
झारखंड हाई कोर्ट से टेंडर घोटाला मामले में आरोपित हृदयानंद तिवारी को राहत मिली है। सुनवाई के दौरान अदालत ने हृदयानंद तिवारी के खिलाफ कुर्की जब्ती पर अगले आदेश तक के लिए रोक लगा दी। 29 जुलाई को ईडी की टीम ने फरार आरोपित हृदयानंद तिवारी के गढ़वा स्थित घर पर इश्तेहार चिपकाया था। ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में जेल में बंद ग्रामीण विकास विभाग के निलंबित मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम से संबंधित मामलों में यह इश्तेहार चिपकाया है। आरोपित हृदयानंद तिवारी के खिलाफ 25 जुलाई को ईडी कोर्ट ने इश्तेहार जारी किया था और अगले 30 दिनों के अंदर हाजिर होने के लिए कहा गया था। इसके खिलाफ उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। हृदयानंद तिवारी की ओर से हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका भी दाखिल की गई है। गढ़वा निवासी तिवारी दिल्ली में चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं। हृदयानंद तिवारी पर आरोप है कि उन्होंने एक अन्य चार्टर्ड एकाउंटेंट मुकेश मित्तल से वीरेंद्र राम को मिलवाया था। मित्तल के कार्यालय में हृदयानंद तिवारी सहयोगी के रूप में कार्य करते थे। हृदयानंद तिवारी ने मुकेश मित्तल के माध्यम से वर्ष 2014 से लेकर 2019 के दौरान निलंबित मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम का 9.41 करोड़ रुपये मनी लॉन्ड्रिंग कराया था। जिसके लिए इस मामले में दो लाख रुपये कमीशन लिए थे।

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