आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24: वित्त वर्ष 2025 में जीडीपी 6.5 से 7 फीसदी रहने का अनुमान
नई दिल्ली
वित्त वर्ष 2023-24 के लिए आर्थिक सर्वे (Economic Survey) को पेश कर दिया गया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने लोकसभा में पिछले वित्त वर्ष के लिए आर्थिक सर्वेक्षण को पेश किया है. सर्वे के मुताबिक वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की जीडीपी 6.5 – 7 फीसदी रहने का अनुमान है. वहीं मौजूदा वित्त वर्ष में महंगाई दर (Inflation Rate) के 4.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है जबकि वित्त वर्ष 2025-26 में महंगाई दर 4.1 फीसदी रहने का अनुमान है. आर्थिक सर्वे में जो भी अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए सुझाव दिए गए हैं उसकी झलक बजट में देखने को मिल सकती है.
कृषि छोड़ रहे लेबर के लिए रोजगार की जरूरत!
रोजगार (Employment) को लेकर आर्थिक सर्वे (Economic Survey) में कहा गया है कि, सर्विसेज सेक्टर (Services Sector) सबसे ज्यादा रोजगार सृजन करने वाला सेक्टर है. इंफ्रास्क्ट्रक्चर को मजबूत करने के सरकार के जोर के चलते कंस्ट्रक्शन सेक्टर तेजी के साथ विकास कर रहा है. सर्वे के मुताबिक कंस्ट्रक्शन सेक्टर के रोजगार असंगठित होते हैं साथ ही वेतन बेहद कम होता है ऐसे में कृषि छोड़ रहे लेबर फोर्स के लिए रोजगार के नए अवसर तैयार किए जाने की जरूरत है. सर्वे में कहा गया है कि पिछले एक दशक में खराब लोन की विरासत के चलते पिछले एक दशक में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में कम रोजगार का सृजन हुआ है लेकिन वित्त वर्ष 2021-22 से इस सेक्टर में रोजगार के अवसर बढ़े हैं.
वास्तविक जीडीपी वित्त वर्ष 20 के स्तर से 20 प्रतिशत अधिक थी
सर्वेक्षण में कहा गया है कि पिछले तीन सालों में भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ है और व्यवस्थित तरीके से विस्तार हुआ है। वित्त वर्ष 2024 में वास्तविक जीडीपी वित्त वर्ष 20 के स्तर से 20 प्रतिशत अधिक थी, यह एक ऐसी उपलब्धि है जिसे केवल कुछ ही प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं हासिल कर पाई हैं, जबकि वित्त वर्ष 2025 और उसके बाद भी मजबूत वृद्धि की प्रबल संभावना बनी हुई है।
बेरोजगारी और बहुआयामी गरीबी में कमी और श्रम बल भागीदारी में वृद्धि के साथ विकास समावेशी रहा है। कुल मिलाकर, भारतीय अर्थव्यवस्था व्यापक-आधारित और समावेशी विकास की आशा करते हुए वित्त वर्ष 2025 के लिए आशावादी है।
खाद्य महंगाई बनी ग्लोबल चुनौती
सर्वे के मुताबिक खाद्य महंगाई पिछले दो सालों से पूरी दुनिया के लिए चुनौती बनी हुई है. भारत में कृषि क्षेत्र को खराब मौसम का शिकार होना पड़ा है. जलाशय में कमी आ गई तो फसल को नुकसान हुआ है जिससे खाद्य उत्पादन में कमी आ गई तो खाद्य वस्तुओं की कीमतें इसके चलते बढ़ गई. इसका नतीजा ये हुआ कि खाद्य महंगाई दर वित्त वर्ष 2022-23 में 6.6 फीसदी थी वो वित्त वर्ष 2023-24 में बढ़कर 7.5 फीसदी पर जा पहुंची है.
महंगाई में आई कमी
इकोनॉमिक सर्वे के मुताबिक, कोरोना महामारी, वैश्विक तनाव, सप्लाई-चेन डिरप्शन, असमान मानसून के चलते महंगाई में बढ़ोतरी देखी गई थी. अंतरराष्ट्रीय युद्ध और खराब मौसम के चलते खाद्य वस्तुएं महंगी हो गई जिससे भारत में गुड्स और सर्विसेज महंगी हो गई. लेकिन प्रशासनिक और मॉनिटरी पॉलिसी एक्शन के जरिए देश में महंगाई पर काबू पाने में सफलता मिली है. वित्त वर्ष 2022-23 में महंगाई दर 6.7 फीसदी रही थी उसे घटाकर वित्त वर्ष 2023-24 में 5.4 फीसदी पर लाने में सफलता मिली है.
शहरी-ग्रामीण खपत में तेजी
डिमांड के मोर्चे पर, आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि, जीडीपी ग्रोथ में निजी खपत में बढ़ोतरी बेहद महत्वपूर्ण है. प्राइवेट पाइल कंजप्शन एक्सपेंडिचर (PFCE) वित्त वर्ष 2023-24 में 4 फीसदी के दर से बढ़ा है. शहरी इलाकों में डिमांड बेहद मजबूत है जो कि अर्बन कंजम्प्शन इंडीकेटर्स से पता लगता है जिसमें घरेलू पैसेंजर व्हीकल्स सेल्स और एयर पैसेंजर ट्रैफिक शामिल है. वित्त वर्ष की चौथी तिमाही जनवरी से मार्च के दौरान ग्रामीण इलाकों में भी खपत में तेजी लौटती नजर आ रही है. फाडा के मुताबिक टू-व्हीलर्स, थ्री-व्हीलर्स और पैसेंजर व्हीकल्स सेल्स में बढ़ोतरी देखने को मिली है.
23 जुलाई को बजट होगा पेश
इकोनॉमिक सर्वे पेश होने के बाद मंगलवार 23 जुलाई 2024 को वित्त मंत्री वित्त वर्ष 2024-25 के लिए पूर्ण बजट पेश करेंगी. ये लगातार सातवां मौका होगा जब निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी.
विदेश में बसे भारतीयों द्वारा भेजा गया धन बढ़कर 124 अरब डॉलर हुआ
देश में विदेश में बसे भारतीयों द्वारा भेजा गया धन 2024 में 3.7 प्रतिशत बढ़कर 124 अरब डॉलर हुआ। 2025 में इसके 129 अरब डॉलर पर पहुंचने का अनुमान लगाया गया है। करीब 54 प्रतिशत बीमारियां अनहेल्दी डाइट के कारण होती हैं। संतुलित, विविध आहार की ओर बदलाव की जरूरत है।
अर्थव्यवस्था को हर साल 78.5 लाख नौकरियां पैदा करने की जरूरत
आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि अर्थव्यवस्था को हर साल 78.5 लाख नौकरियां पैदा करने की जरूरत है। आर्थिक सर्वेक्षण 2024 लाइव: आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ते कार्यबल की जरूरतों को पूरा करने के लिए गैर-कृषि क्षेत्र में 2030 तक सालाना औसतन लगभग 78.5 लाख नौकरियां पैदा करने की जरूरत है।
वित्त वर्ष 2024 में खुदरा महंगाई घटकर 5.4 प्रतिशत रह गई
आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि "वैश्विक संकटों, सप्लाई चेन में रुकावट और मानसून की अनिश्चितताओं से उत्पन्न मुद्रास्फीति के दबाव को प्रशासनिक और मौद्रिक नीति प्रतिक्रियाओं द्वारा कुशलतापूर्वक प्रबंधित किया गया है। वित्त वर्ष 2023 में औसतन 6.7 प्रतिशत के बाद, वित्त वर्ष 2024 में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 5.4 प्रतिशत रह गई।
दो में से एक भारतीय अभी भी कॉलेज से सीधे जॉब के लिए तैयार नहीं
आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि लगभग दो में से एक भारतीय अभी भी कॉलेज से सीधे रोजगार के लिए तैयार नहीं है। पिछले दशक में बैड लोन के कारण मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में रोजगार सृजन धीमा रहा है और 2021-22 से इसमें उछाल आया है।
टॉप-10 प्रतिशत के पास कुल अर्जित इनकम का एक तिहाई हिस्सा
सर्वे में कहा गया है कि राजकोषीय मोर्चे पर ग्लोबल जनरल गवर्नमेंट राजकोषीय घाटा (जीडीपी के प्रतिशत के रूप में) 2023 में पिछले वर्ष की तुलना में 1.6 प्रतिशत बढ़ा है। 2022 भारत में असमानता की स्थिति रिपोर्ट में पाया गया कि भारत में टॉप 1 पर्सेंट के पास कुल अर्जित आय का 6 से 7 प्रतिशत हिस्सा है, जबकि टॉप-10 प्रतिशत के पास कुल अर्जित इनकम का एक तिहाई हिस्सा है।
सर्विस सेक्टर अभी भी एक प्रमुख रोजगार पैदा करने क्षेत्र
इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया है कि सर्विस सेक्टर अभी भी एक प्रमुख रोजगार पैदा करने वाला बना हुआ है, लेकिन कंस्ट्रक्शन सेक्टर हाल ही में प्रमुखता से उभर रहा है। यह सरकार के बुनियादी ढांचे पर जोर देने से प्रेरित है। हालांकि, चूंकि कंस्ट्रक्शन संबंधी नौकरियां काफी हद तक अनौपचारिक और कम वेतन वाली हैं, इसलिए कृषि छोड़ने वाले श्रम बल के लिए अवसरों की आवश्यकता है।