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श्रद्धा हत्याकांड केस की FIR से जुड़ी सामग्री के प्रसारण पर लगी रोक

 नई दिल्ली

श्रद्धा हत्याकांड मामले (Shraddha Murder Case) में एक समाचार चैनल पर एफआईआर से संबंधित सामग्री के किसी भी रूप में इस्तेमाल पर दिल्ली की अदालत ने सोमवार को रोक लगा दी। साकेत कोर्ट स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राकेश कुमार सिंह की अदालत ने आज तक और एक अन्य मीडिया चैनल को मामले में एफआईआर के संबंध में किसी भी सामग्री का प्रसारण नहीं करने का आदेश जारी किया है।

न्यायाधीश ने कहा कि अगर तत्काल आदेश पारित नहीं किया गया तो आवेदन निष्प्रभावी हो जाएगा। अदालत का मानना है कि अगली तारीख तक आज तक न्यूज चैनल एफआईआर से संबंधित किसी भी सामग्री का किसी भी रूप में इस्तेमाल न करे। विस्तृत सुनवाई के लिए मामले को 17 अप्रैल के लिए सूचीबद्ध किया गया है। अदालत ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 21 ऐसे व्यक्ति की मनोवैज्ञानिक अवस्था के संरक्षण पर भी जोर देता है। हत्या के किसी मामले से संबंधित संवेदनशील जानकारी का प्रसार निश्चित तौर पर अभियुक्तों और पीड़ित के परिवार पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव डालेगा।

मामले में विस्तृत सुनवाई की जरूरत न्यायाधीश

अदालत को बताया गया कि आज तक नार्को-विश्लेषण परीक्षण की कुछ रिकॉर्डिंग या प्रतिलेख प्रसारित करने पर विचार कर रहा है। अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि यह न केवल मामले के लिए हानिकारक होगा, बल्कि आरोपी तथा पीड़िता के परिवार को भी प्रभावित करेगा। न्यायाधीश ने कहा कि इस याचिका पर विस्तृत सुनवाई की जरूरत है। केवल राज्य के पक्ष की नहीं, बल्कि आज तक के पक्ष को भी सुने जाने की जरूरत है। इसलिए चैनल को आवेदन की एक प्रति देने दें, जिससे कि वह जवाब दाखिल कर पाए।

क्या है मामला

गौरतलब है कि, महाराष्ट्र की रहने वाली 27 वर्षीय श्रद्धा वाकर की दिल्ली के महरौली में उसके लिव-इन पार्टनर आफताब पूनावाला (28) ने कथित तौर पर 18 मई 2022 को गला दबाकर हत्या करने के बाद उसके शव के 35 टुकड़े कर छतरपुर के जंगल सहित अलग-अलग जगहों पर फेंक दिए थे। आरोपी ने शव के टुकड़ों को रखने के लिए 300 लीटर का एक फ्रिज खरीदा तथा वह इन टुकड़ों को फेंकने के लिए आधी रात को निकलता था। आफताब ने नार्को टेस्ट में श्रद्धा की हत्या करने की बात कबूल की थी।

 

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