राजनीति

CM नायब सैनी ने मंत्रिमंडल में यूं साधा जातीय समीकरण, कमल गुप्ता दूसरी बार बने मंत्री

 चंडीगढ़
मनोहर लाल खट्टर की जगह हरियाणा के मुख्यमंत्री बने नायब सिंह सैनी ने पद संभालने के एक सप्ताह बाद मंगलवार को अपना पहला मंत्रिमंडल विस्तार किया। मुख्यमंत्री ने पार्टी के आठ विधायकों को मंत्री बनाया है, जिनमें सात नए चेहरे हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृह मंत्री अनिल विज को सैनी मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिल सकी है, जबकि कहा जा रहा था कि उनका भी नाम मंत्रियों की सूची में है। मुख्यमंत्री सैनी और 5 मंत्रियों ने पिछले सप्ताह शपथ ली थी। हरियाणा में मुख्यमंत्री सहित अधिकतम 14 मंत्री हो सकते हैं।

राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने राजभवन में आयोजित कार्यक्रम में जिन नए मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई, उनमें हिसार से भाजपा विधायक कमल गुप्ता भी हैं, जिन्होंने सबसे पहले कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली। उनके अलावा फरीदाबाद के बड़खल से विधायक सीमा त्रिखा भी शपथ लेने वालों में शामिल हैं। त्रिखा मंत्रिमंडल में अकेली महिला मंत्री हैं।

इनके अलावा पानीपत ग्रामीण से विधायक महिपाल ढांडा, अंबाला सिटी से विधायक असीम गोयल, महेंद्रगढ़ के नांगल चौधरी क्षेत्र से विधायक अभय सिंह यादव, कुरुक्षेत्र के थानेसर से विधायक सुभाष सुधा, भिवानी के बवानी खेड़ा से विधायक बिशंबर सिंह वाल्मीकि और गुरुग्राम के सोहना से विधायक संजय सिंह शामिल को भी मंत्री बनाया गया है। समारोह में मुख्यमंत्री सैनी और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भी मौजूद थे।

इससे पहले, 12 मार्च को शपथ लेने वाले पांच मंत्रियों में यमुनानगर के जगाधरी से विधायक कंवर पाल, फरीदाबाद के बल्लभगढ़ से विधायक मूलचंद शर्मा, महेंद्रगढ़ के लोहारू से विधायक जय प्रकाश दलाल और रेवाड़ी के बवाल से विधायक बनवारी लाल तथा सिरसा के रानियां से निर्दलीय विधायक रणजीत सिंह चौटाला शामिल थे। पिछले सप्ताह शपथ लेने वाले ये पांचों विधायक और कमल गुप्ता पूर्ववर्ती मनोहर मंत्रिमंडल में भी मंत्री थे। यानी सीएम समेत कुल 14 लोगों में आठ नए चेहरे हैं, जो कैबिनेट में 50 फीसदी से ज्यादा है।

हरियाणा में गुजरात जैसा प्रयोग
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की जोड़ी ने लोकसभा और हरियाणा विधानसभा चुनावों से ऐन पहले गुजरात फार्मूला हरियाणा में भी दोहराया है। बता दें कि दिसंबर 2022 के गुजरात विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सितंबर 2021 में मोदी-शाह की जोड़ी ने गुजरात में इसी तरह का बड़ा फेरबदल कर एक बड़ा राजनीतिक प्रयोग किया था। तब गुजरात में विजय रूपाणी की सरकार थी। उनकी जगह भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाया गया था।

इतना ही नहीं, भूपेंद्र पटेल की कैबिनेट में 24 नए चेहरों को मंत्री बनाया गया था। रूपाणी मंत्रिमंडल के 22 मंत्रियों को भूपेंद्र पटेल की सरकार में जगह नहीं दी गई थी। उनकी जगह नए चेहरों को तरजीह दी गई थी। 2017 का चुनाव गुजरात में विजय रूपाणी के चेहरे पर लड़ा गया था लेकिन 2022 के रण से पहले भूपेंद्र पटेल फ्रंट सीट पर आ गए थे। भाजपा के प्रयोग की वजह से 2022 के गुजरात विधानसभा चुनावों में भाजपा ने रिकॉर्ड 156 सीटें जीती थीं, जबकि 2017 में यह आंकड़ा 115 पर ही था।

सात पहली बार बने मंत्री
लोकसभा चुनावों के ऐलान के बाद हुए नायब सैनी मंत्रिमंडल में जातीय समीकरणों की बात करें तो मुख्यमंत्री नायब सैनी, कंवरपाल गुज्जर और राव अभय सिंह ओबीसी वर्ग से आते हैं। बल्लभगढ़ से विधायक मूलचंद्र शर्मा और सीमा त्रिखा ब्राह्मण हैं। रणजीत चौटाला, जेपी दलाल, महिपाल ढांडा जाट समुदाय से हैं। डॉ. बनवारी लाल और विशंभर सिंह बाल्मीकि दलित समुदाय से हैं। कमल गुप्ता और असीम गोयल वैश्य हैं। विस्तार में नायब सैनी टीम में शामिल हुए कमल गुप्ता को छोड़कर सभी पहली बार मंत्री बने हैं। गुप्ता पहले एक बार यूएलबी मिनिस्टर रह चुके हैं। मंत्रिमंडल विस्तार के बाद अब सभी की नजरें विभागों के वितरण पर लगी हैं।

पांच पुराने चेहरे, बाकी सभी नए
नायब सैनी, मुख्यमंत्री हरियाणा

कैबिनेट मंत्री

    कंवरपाल गुज्जर ()
    मूलचंद शर्मा (बल्लभगढ़)
    रणजीत सिंह (रनिया)
    जेपी दलाल ()
    डा. बनवारी लाल (बवाल, रेवाड़ी)
    कमल गुप्ता (हिसार)

 

राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)

    सीमा त्रिखा (बड़खल, फरीदाबाद)
    महिपाल ढाडा, (पानीपत ग्रामीण)
    असीम गोयल,(अंबाला सिटी)
    अभय सिंह यादव, (नांगल चौधरी, नारनौल)
    सुभाष सुधा (थानेसर, कुरुक्षेत्र)
    विशंभर बाल्मिकी (बवानीखेड़ा)
    संजय सिंह (सोहना, गुरुग्राम)

नहीं चलेगी प्रेशर पॉलिटिक्स
नायब सैनी मंत्रिमंडल के विस्तार में निर्दलियों , पूर्व गृह मंत्री अनिल विज और केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत को संदेश दे दिया है, कि पार्टी क्षेत्रवाद और जातीय समीकरण के नाम पर कोई भी दवाब की राजनीति बर्दाश्त नहीं करेगी। हरियाणा की नई सरकार से अनिल विज के बाहर होने के बाद सबसे ज्यादा दिलचस्पी गृह विभाग को लेकर है। चर्चा यह भी है कि मुख्यमंत्री नायब सैनी खुद गृह विभाग अपने पास रख सकते हैं और राज्य मंत्री का प्रभार किसी मंत्री को सौंप सकते हैं। हरियाणा की 90 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी के 41 विधायक हैं। कांग्रेस के पास 30 विधायक हैं। जेजेपी के पास 10 विधायक हैं। आईएनएलडी और एचएलपी का एक-एक विधायक और बाकी निर्दलीय हैं।

मनोहर लाल की छाप
पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के इस्तीफे के बाद करनाल विधानसभा सीट खाली हो गई है। ऐसे में बीजेपी के विधायकों की संख्या 40 रह गई है। करनाल से मुख्यमंत्री नायब सैनी के लड़ने की संभावना है। राजनीतिक हलकों में विस्तार के बाद चर्चा रही कि मुख्यमंत्री नायब सैनी के मंत्रिमंडल में पूर्व सीएम मनोहर लाल की छाप दिखाई दी है। तमाम उन विधायकों को मंत्री बनने का मौका मिला है जो पिछले कार्यकाल में पूर्व सीएम मनोहर लाल की गुडबुक में रहे हैं।

भाजपा का क्या है हरियाणा प्लान
भाजपा गुजरात की ही तरह हरियाणा में भी मुख्यमंत्री और अधिकांश मंत्रियों को बदलकर गुजरात जैसा चुनाव रिकॉर्ड चाहती है। दरअसल, ऐसा कर भाजपा ने सबसे पहले तो मनोहर लाल खट्टर सरकार के दस साल के एंटी इनकमबेंसी फैक्टर को खत्म करने की कोशिश की है, दूसरे नए चेहरों को शामिल कर कैडर और आम जनता को यह संदेश देने की कोशिश की है कि पार्टी का मकसद और लक्ष्य सिर्फ विकास और जनकल्याण है।

दूसरा बीजेपी नए चेहरों के बूते चुनाव में उतरना चाहती है, ताकि अधिक से अधिक लोग जुड़ सकें और पार्टी को अधिक सीटें मिल सकें। 2019 के विधानसभा चुनावों में भाजपा को 90 में से 40 सीटें मिली थीं, तब 10 सीटों वाली जेजेपी के साथ गठजोड़ कर खट्टर ने सरकार बनाई थी। अब नए सियासी प्रयोग के तहत बीजेपी का जेजेपी से गठबंधन टूट चुका है और वह अकेले चुनावों में उतरेगी।

Pradesh 24 News
       
   

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button