छत्तीसगढराज्य

डमरू की गूंज व शंखनाद के बीच निकाली गई बूढ़ेश्वर नाथ की बारात

रायपुर

राजधानी रायपुर के प्राचीनत्तम बूढ़ेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि पर्व पूरी श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ मनाया गया। शिव भक्तों के आस्था का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सुबह 5 बजे से ही दर्शन और जलाभिषेक के लिए कतार लग गई थी। प्रात: चार बजे मंदिर ट्रस्टी व सदस्यों ने भस्म आरती व अभिषेक किया,पश्चात आमजनों के लिए मंदिर दर्शनार्थ खोल दिए गए वैसे ही मंदिर परिसर ऊँ नम: शिवाय से गूंज उठा।

विभिन्न प्रकार के फूलों, बेलपत्र आदि से सुबह का श्रृंगार किया गया था। चंद्रशेखर स्वरूप में बूढ़ेश्वर नाथ के विवाह प्रसंग का मनोरम दर्शन करने देर शाम जन सैलाब उमड़ पड़ा था। पूरे मंदिर परिसर को वैवाहिक मंडप के रूप में सजाया गया था। डमरू की गूंज, ढोल-धमाल, शंखनाद के बीच जयकारे लगाते हुए बाबा बूढ़ेश्वर नाथ की बारात निकाली गई।

वरिष्ठ ट्रस्टी व महाशिवरात्रि आयोजन प्रभारी राजेश व्यास ने बताया कि महाशिवरात्रि पर दूल्हे की तरह सजे भोलेनाथ की बारात निकाली गई। भूत, प्रेत का वेश धारण कर युवक बारात में शामिल थे। बैंड बाजे व शंखनाद के बीच निकली बारात में शानदार आतिशबाजी भी की गई। भोलेनाथ के बारात का दृश्य  मंदिर के बाहरी स्थल में प्रदर्शित किया गया था वहीं गर्भ गृह को वैवाहिक वेदी का स्वरूप दिया गया था। जहां भगवान शिव व पार्वती ने फेरे लिए और देवतागण व उपस्थित श्रद्दालुजनों ने पुष्पवर्षा करते हुए जयकारे लगाये। विवाह का पूरा प्रसंग पूरा कराया गया। भोलेनाथ को 51 किलो लड्डू का भोग लगाया गया,जो कि राजस्थानी हलवाईयों के द्वारा विशेष तौर पर तैयार करवाया गया था। मध्यरात्रि 12 बजे महानिशा पूजा रखी गई थी।

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