बेंगलुरु में भयानक जल संकट, डीके शिवकुमार के घर का बोरवेल भी सूख गया
बेंगलुरु
गर्मी का सीजन शुरू होने से पहले ही कर्नाटक का हाईटेक शहर बेंगलुरु जलसंकट से जूझ रहा है. आलम ये है कि यहां के लाखों लोग बूंद-बूंद पानी के मोतहाज हैं. हालात डराने वाले नजर आ रहे हैं. सोसायटियों और कॉलोनियों में पानी की बड़ी किल्लत है, जिसके मद्देनजर टैंकरों से पानी मंगाया जा रहा है. बावजूद इसके पानी की कमी पूरी नहीं हो पा रही है. इतना ही नहीं, मुख्यमंत्री आवास में भी पानी की किल्लत बताई जा रही है. यही कारण है कि मंगलवार को मुख्यमंत्री आवास में पानी के टैंकर आते-जाते देखे गए. सरकार की ओर से लोगों को समस्या से निजात दिलाने के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन वो नाकाफी नजर आ रहे हैं.
बेंगलुरु में एक हाउसिंग सोसाइटी में गंभीर जल संकट के चलते पीने के पानी के दुरुपयोग पर निवासियों पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगाने का नोटिस जारी किया गया है. ऐसे ही नोटिस कई और सोसायटियों में जारी किए जा रहे हैं. साथ ही स्थिति पर नजर रखने के लिए एक विशेष सुरक्षाकर्मी भी तैनात करने का फैसला किया गया है. वहीं कई हाउसिंग सोसायटियों ने निवासियों को मौजूदा जल संकट के बीच अपने दैनिक पानी के उपयोग में सावधानी बरतने की सलाह दी है. गंभीर रूप से प्रभावित क्षेत्रों में व्हाइटफ़ील्ड, येलहंका और कनकपुरा शामिल हैं.
व्हाइटफील्ड स्थित पाम मीडोज हाउसिंग सोसाइटी ने अपने निवासियों को जारी एक नोटिस में कहा कि उसे पिछले चार दिनों से बेंगलुरु जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड (बीडब्ल्यूएसएसबी) से पानी नहीं मिला है. इसमें कहा गया है, "हम अपने बोरवेल से प्रबंधन कर रहे हैं और बहुत जल्द भूजल के ख़त्म होने का खतरा है. अपनी प्रत्येक इकाई के लिए पानी की खपत में 20 प्रतिशत की कमी करने का निर्णय लिया गया है."
उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार ने शनिवार को कहा था कि पानी की भारी कमी के मद्देनजर राज्य सरकार बेंगलुरु में सभी निजी जल टैंकर अपने कब्जे में लेगी। शिवकुमार ने यहां सदाशिवनगर स्थित अपने आवास पर पत्रकारों से बात करते हुए कहा, “बेंगलुरु में पानी की भारी कमी है। बीडब्ल्यूएसएसबी (बेंगलुरु जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड) और बीबीएमपी (बृहद बेंगलुरु महानगर पालिका) के अधिकारी इस मुद्दे के समाधान के लिए दैनिक आधार पर बैठकें कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा, “हमने बेंगलुरु में सभी पानी के टैंकरों का 7 मार्च से पहले पंजीकरण कराने का निर्देश दिया है क्योंकि जल आपूर्तिकर्ता ग्राहकों से लूट रहे हैं। हमने बेंगलुरु में पेयजल की समस्या से निपटने के लिए सोमवार दोपहर 12 बजे एक बैठक बुलाई है। पेयजल संबंधी समस्याओं के समाधान के लिए प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र को 10 करोड़ रुपये का अनुदान दिया गया है।”
पानी की कटौती नहीं करने पर 5 हजार का जुर्माना
नोटिस में कहा गया, ''यदि निवासी पानी की खपत में 20 प्रतिशत की कटौती नहीं करता है (और लक्ष्य को पूरा नहीं करता है), तो 5,000 रुपये का अतिरिक्त शुल्क लगाया जाएगा. आपूर्ति के अनुसार कटौती बढ़ सकती है और उम्मीद है कि गर्मी के चरम महीनों में कटौती 40 प्रतिशत तक बढ़ सकती है. इसमें बार-बार उल्लंघन करने पर उच्च दंड की भी चेतावनी दी गई है, साथ ही कहा गया है कि गश्त तेज करने के लिए एक अलग सुरक्षा व्यक्ति को काम पर रखा जाएगा.
'बालकनी में धुलाई की जगह पोछा लगाएं'
अपनी 2,500 फ्लैट के निवासियों को एक समान नोटिस में बेंगलुरु के संकटग्रस्त कनकपुरा में प्रेस्टीज फाल्कन सिटी अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन (पीएफसीएओए) ने बताया कि उन्हें जानकारी मिली है कि आरटीओ और बीडब्ल्यूएसएसबी अधिकारी क्षेत्रों में पानी की डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए सभी पानी के टैंकरों को जब्त कर रहे हैं. जहां पानी उपलब्ध नहीं है वहां पानी की गंभीर कमी का सामना करना पड़ रहा है. अधिकतम, पानी की आपूर्ति अगले एक घंटे तक उपलब्ध रहेगी. एक बार जब ओएचटी में पानी खत्म हो जाएगा, तो हमें आगे पानी की आपूर्ति उपलब्ध नहीं होगी. पानी का उपयोग कम से कम करें और बालकनी को धुलने की बजाए पोछा लगाएं.
7 मार्च तक रजिस्टर नहीं कराया टैंकर तो होगा जब्त: डिप्टी सीएम
बढ़ते संकट के बीच कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने राज्य भर के जल टैंकर मालिकों को चेतावनी जारी की है कि यदि वे 7 मार्च की समय सीमा तक अधिकारियों के साथ रजिस्टर नहीं कराते हैं तो उनके टैंकर जब्त कर लिए जाएंगे. बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) के मुख्य कार्यालय, बेंगलुरु में एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “बेंगलुरु शहर में कुल 3,500 पानी के टैंकरों में से केवल 10 प्रतिशत, यानी 219 टैंकरों ने अधिकारियों के साथ रजिस्टर कराया है. यदि वे समय सीमा से पहले पंजीकरण नहीं कराते हैं तो सरकार उन्हें जब्त कर लेगी."
डिप्टी सीएम ने कहा, “पानी किसी व्यक्ति की संपत्ति नहीं है बल्कि एक संसाधन है जो सरकार का है. सरकार को जल स्रोतों पर नियंत्रण लेने का अधिकार है. निजी पानी के टैंकर 500 रुपये से 2,000 रुपये के बीच शुल्क ले रहे हैं. हम एसोसिएशन से बात करेंगे और एक मानक मूल्य तय करेंगे. हमारे रिकॉर्ड में 16,781 बोरवेल में से 6,997 बोरवेल सूख गए हैं. शेष 7,784 बोरवेल चालू हैं. सरकार नए बोरवेल खोदेगी."
सभी विधायकों को जारी किया गया फंड
डीके शिवकुमार ने यह भी घोषणा की कि राज्य सरकार ने बेंगलुरु में जल संकट को दूर करने के लिए 556 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. उन्होंने कहा, "बेंगलुरु शहर के प्रत्येक विधायक को उनके संबंधित निर्वाचन क्षेत्र में पानी की कमी को दूर करने के लिए 10 करोड़ रुपये दिए गए हैं. इसके अलावा, बीबीएमपी ने इस मुद्दे को हल करने के लिए 148 करोड़ रुपये और बीडब्ल्यूएसएसबी ने 128 करोड़ रुपये निर्धारित किए हैं. वास्तविक समय में स्थिति पर नजर रखने के लिए एक वॉर रूम स्थापित किया गया है. कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (KMF) के खाली दूध टैंकरों का इस्तेमाल बेंगलुरु में पानी स्टोर करने के लिए किया जाएगा. हमने पानी की आपूर्ति के लिए उन दूध के टैंकरों का उपयोग करने का निर्णय लिया है जो उपयोग में नहीं हैं. हम उन टैंकरों का उपयोग करेंगे जो खाली हैं, उन्हें साफ करेंगे और उनका उपयोग करेंगे."