भारत 2024 में ही बन जाएगी चौथी बड़ी इकॉनमी
नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने तीसरे कार्यकाल में भारत को दुनिया की तीसरी बड़ी इकॉनमी बनाने का लक्ष्य रखा है। उनका यह लक्ष्य जल्दी ही पूरा हो सकता है। इसकी वजह यह है कि जापान की इकॉनमी मंदी की चपेट में आ चुकी है जबकि यूरोप की सबसे बड़ी इकॉनमी जर्मनी संघर्ष कर रही है। अभी भारत दुनिया की पांचवीं बड़ी इकॉनमी है। उससे आगे अमेरिका, चीन, जर्मनी और जापान हैं। जर्मनी ने हाल में जापान को पछाड़कर तीसरा स्थान हासिल किया है। पहले माना जा रहा था कि भारत 2026 में जापान को पछाड़कर दुनिया की चौथी बड़ी इकॉनमी बन जाएगा। लेकिन अब भारत और जापान की इकॉनमी में अब मामूली अंतर रह गया है। इसलिए जापान से आगे निकलने के लिए भारत को लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। इसी साल भारत उससे आगे निकल सकता है।
पिछले साल जापान की इकॉनमी 1.9 फीसदी की रफ्तार से बढ़ी लेकिन इसके बावजूद वह जर्मनी से पिछड़ गया। डॉलर टर्म में जापान की इकॉनमी 4.2 ट्रिलियन डॉलर पर है जबकि जर्मनी की इकॉनमी का साइज 4.5 ट्रिलियन डॉलर है। किसी जमाने में जापान अमेरिका को पछाड़ने के बेहद करीब पहुंच गया था लेकिन 1990 के दशक में उसकी इकॉनमी में ठहराव आ गया था। साल 2010 में जापान को पछाड़कर चीन दुनिया की दूसरी इकॉनमी बन गया और आज उसका साइज जापान से करीब चार गुना बड़ा है। वहीं यूरोप की सबसे बड़ी इकॉनमी जर्मनी को भी कई मोर्चों पर संघर्ष करना पड़ रहा है। यहां तक कि उसे यूरोप का बीमार भी कहा जाने लगा है। जर्मनी में महंगाई चरम पर है, एनर्जी की कीमत आसमान छू रही है और ग्रोथ में ठहराव आ गया है।
भारत की इकॉनमी
जापान और जर्मनी जहां संघर्ष कर रहे हैं, वहीं भारत की इकॉनमी रॉकेट की रफ्तार से बढ़ रही है। पिछले साल भारत की इकॉनमी सबसे तेजी से बढ़ी थी। आईएमएफ के अनुमानों के मुताबिक अगले दो साल भी भारत दुनिया की सबसे तेज इकॉनमी बना रहेगा। आईएमएफ के आंकड़ों के मुताबिक भारत के साल 2026 में जापान और 2027 में जर्मनी से आगे निकलने का अनुमान है। लेकिन जापान और जर्मनी में जिस तरह के हालात हैं, उससे भारत के जल्दी ही इन देशों से आगे निकल सकता है। जापान को तो भारत इसी साल पछाड़ सकता है। फोर्ब्स के मुताबिक अभी अमेरिका 27.974 ट्रिलियन डॉलर के साथ दुनिया की सबसे बड़ी इकॉनमी है। आईएमएफ के मुताबिक जापान की इकॉनमी 4.291 ट्रिलियन डॉलर की है जबकि भारत का इकॉनमी का साइज 4.112 ट्रिलियन डॉलर पहुंच चुका है।