RBI ने किया बड़ा ऐलान, नहीं बढ़ेगी EMI… लगातार 6 झटकों के बाद थमी ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी की रफ्तार
नई दिल्ली.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आम आदमी को बड़ी राहत ही है. दरअसल, तीन दिवसीय एमपीसी की बैठक के नतीजों का ऐलान करते हुए गवर्नर शक्तिकांत दास ने रेपो रेट को स्थिर रखने का ऐलान किया है. इसे 6.50 फीसदी पर यथावत रखा गया है. पहले अनुमान जताया जा रहा था कि इसमें 25 बेसिस प्वाइंट का इजाफा किया जा सकता है, लेकिन बैठक में इसे स्थिर रखने का फैसला किया है. बता दें मई 2022 से Repo Rate में लगातार छह बार बढ़ोतरी की जा चुकी है.
नए वित्त वर्ष में पहली गुड न्यूज
नए वित्त वर्ष में RBI की एमपीसी की ये पहली बैठक थी, जो तीन अप्रैल 2023 को शुरू हुई थी और इसमें जनता को गुड न्यूज मिली है. दरअसल, देश में खुदरा महंगाई (Retail Inflation) जनवरी में 6.52 फीसदी और फरवरी में 6.44 फीसदी पर रही थी. ये आकंड़ा महंगाई दर को 2-6 फीसदी के तय दायरे में रखने के आरबीआई के लक्ष्य से ज्यादा है, इस वजह से भी रेपो रेट में एक और बढ़ोतरी की आशंका जताई जा रही थी.
यानी रेपो रेट 6.5 फीसदी पर बरकरार है। लगातार छह बार बढ़ने के बाद सातवीं बार रेपो रेट ना बढ़ाकर आरबीआई ने राहत दी है। आपको बता दें कि आरबीआई पिछले साल मई से लेकर अब तक 250 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी कर चुका है। लेकिन इस बार राहत दी है। यानी आपका कर्ज और महंगा नहीं होगा और ना ही आपकी EMI बढ़ेगी।
RBI ने बैठक में कही ये बात
- अमेरिका में बैंकों के विफल होने से वित्तीय संकट मुद्दा बना है।
- भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया है। रेपो दर 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रहेगा।
- अर्थव्यवस्था में जारी पुनरुद्धार को बरकरार रखने के लिये हमने नीतिगत दर को यथावत रखा है, लेकिन जरूरत पड़ने पर हम स्थिति के हिसाब से कदम उठाएंगे।
- बैंकिंग और गैर-बैंकिंग वित्तीय प्रणाली मजबूत बनी हुई है।
- आर्थिक गतिविधियां मजबूत बनी हुई हैं, 2022-23 में आर्थिक वृद्धि दर सात प्रतिशत रहने का अनुमान है।
- वित्त वर्ष 2023-24 में आर्थिक वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। महंगाई अभी भी बनी हुई है।
- चालू वित्त वर्ष 2023-24 में महंगाई 5.2 प्रतिशत रहेगी।
- पहली तिमाही में यह 5.1 प्रतिशत पर होगी।
- रिजर्व बैंक गवर्नर ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में महंगाई में नरमी आएगी।
- महंगाई को कम करने के लिए जरूरी सभी प्रयास आगे भी जारी रहेंगे।
रेपो रेट से आम आदमी पर क्या पड़ता है प्रभाव
जब बैंकों को कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध होगा यानी रेपो रेट कम होगा तो वो भी अपने ग्राहकों को सस्ता कर्ज दे सकते हैं। और यदि रिजर्व बैंक रेपो रेट बढ़ाएगा तो बैंकों के लिए कर्ज लेना महंगा हो जाएगा और वे अपने ग्राहकों के लिए कर्ज महंगा कर देंगे। बता दें कि रेपो रेट में बदलाव करने से आम जनता पर असर कैसे पड़ता है, उसे आसान भाषा में ऐसे समझा जा सकता है। बैंक हमें कर्ज देते हैं और उस कर्ज पर हमें ब्याज देना पड़ता है। ठीक वैसे ही बैंकों को भी अपने रोजमर्रा के कामकाज के लिए भारी-भरकम रकम की जरूरत पड़ जाती है और वे भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से कर्ज लेते हैं। इस ऋण पर रिजर्व बैंक जिस दर से उनसे ब्याज वसूल करता है, उसे रेपो रेट कहते हैं।
पिछले साल कब-कब बढ़ी ब्याज दर
मई – 0.4 %
8 जून -0.5 %
5 अगस्त – 0.5 %
30 सितंबर – 0.5 %
7 दिसंबर – 0.35 %
8 फरवरी – 0.25%
नहीं बढ़ा रेपो रेट , लोगों को मिली राहत
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के इस फैसले से महंगे होम लोन की मार झेल रहे लोगों को राहत मिली है। रेपो रेट में बढ़ोतरी नहीं किए जाने के बाद अब बैंक कर्ज की ब्याज दर को नहीं बढ़ाएंगे। यानी आप पर कर्ज को बोझ अभी नहीं बढ़ेगा। EMI में बढ़ोतरी से फिलहाल राहत मिली है। आपको बता दें कि रेपो रेट बढ़ने से बैंकों को आरबीआई को पहले से ज्यादा ब्याज देना होता है। अगर बैंक को ज्यादा ब्याज लगेगा तो जाहिर सी बात है कि वो आपसे ही वसूलेंगे। बैंक कर्ज को महंगा कर देते हैं । बैंक होम लोन, कार लोन समेत सभी पर्सवल लोन को महंगा हो जाता है। आपको लोन महंगा हो जाता है, EMI बढ़ जाती है। लेकिन इस बार आरबीआई ने लोगों को राहत दी है। रेपो रेट को पुरानी दर पर ही बरकरार रखा है।