भारत जल्द करेगा S-400 वायु रक्षा प्रणाली की पहली फायरिंग, LAC पर पहले से है तैनाती
नई दिल्ली
लंबी दूरी की वायु रक्षा प्रणाली के पहले दो स्क्वाड्रन का संचालन करने के बाद भारतीय वायु सेना जल्द ही एस-400 मिसाइलों की पहली फायरिंग करने जा रही है। वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों ने बताया कि भारतीय बलों ने रूस में परीक्षण के दौरान रूसी मूल की मिसाइल प्रणाली को दागा था, लेकिन अभी तक देश में इसे दागा नहीं जा सका है।
रक्षा अधिकारियों ने यहां बताया, ''तेजी से आगे बढ़ने वाले हवाई लक्ष्य के खिलाफ छोटी या मध्यम दूरी की मिसाइलों में से एक का उपयोग करके बहुत जल्द फायरिंग की योजना है।'' वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों ने कहा कि वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली में मिसाइलों की एक अलग रेंज थी, जो अधिकतम 400 किलोमीटर की दूरी पर तेज गति से चलने वाले लड़ाकू विमानों या क्रूज मिसाइलों को मार गिरा सकती है।
भारत ने पहले ही अपने पहले दो मिसाइल सिस्टम स्क्वाड्रन को सेवा में डाल दिया है। पहले दो स्क्वाड्रनों को अलग-अलग स्थानों पर तैनात किया गया है जहां से वे लद्दाख सेक्टर के साथ-साथ पश्चिम बंगाल के नाजुक चिकन नेक कारिडोर को कवर कर सकते हैं। पहला स्क्वाड्रन पंजाब में है और इसके तत्वों को इस तरह से तैनात किया गया है कि वे पाकिस्तान की सीमा के साथ-साथ उत्तरी और पश्चिमी क्षेत्रों में भी देख-रेख कर सकें। यह प्रणाली दुश्मन के लड़ाकू विमानों, मानव रहित हवाई वाहनों, बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों और क्रूज मिसाइलों को 400 किलोमीटर तक मार सकती है।
सूत्रों ने कहा कि भारत और रूस ने एस-400 वायु रक्षा मिसाइलों के पांच स्क्वाड्रन के लिए 35 हजार करोड़ रुपये से अधिक के सौदे पर हस्ताक्षर किए और सभी डिलेवरी 2023-24 के अंत तक पूरी होने की उम्मीद है, लेकिन इस समय सीमा में देरी हो सकती है। हाल ही में स्वदेशी एमआर-एसएएम और आकाश मिसाइल प्रणाली के साथ-साथ इजरायली स्पाइडर त्वरित प्रतिक्रिया सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली प्राप्त करने वाली भारतीय वायु सेना का मानना है कि अब एस-400 इसके लिए गेम चेंजर होगा।
भारतीय वायु सेना ने हाल के वर्षों में अपनी वायु रक्षा क्षमताओं में उल्लेखनीय सुधार किया है। एस-400 मिसाइल सिस्टम ने भी अभ्यास में भाग लिया है और सूत्रों के अनुसार विरोधी इससे सतर्क हो गए हैं क्योंकि वे चीनी प्रणाली की तुलना में भारतीय प्रणाली की बेहतर क्षमताओं से अवगत हैं। वर्तमान में चीन और भारत की एस-400 वायु रक्षा प्रणालियां वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तैनात हैं।