बस्तर.
बस्तर संभाग की धरती एक बार फिर खून लाल हुई है। बीजापुर-सुकमा सीमा पर जोनागुड़ा और अलीगुड़ा के पास नक्सलियों ने सीआरपीएफ के नए कैंप पर हमला किया है। चार घंटे तक चली मुठभेड़ में तीन जवान वीरगति को प्राप्त हो गए। वहीं 15 जवान घायल हैं। गंभीर रूप से घायल 4 जवानों इलाज के लिए रायपुर के नारायणा हॉस्पिटल और बालाजी हॉस्पिटल में रिफर किया गया है, जहां उनका इलाज जारी है। वहीं बाकी जवानों का जगदलपुर के मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा है।
बड़ी बात ये है कि आज मंगलवार को जिस जगह पर नक्सलियों ने हमला किया है, वहां वर्ष 2021 में भी नक्सलियों ने हमला किया था, जिसमें 23 जवान वीरगति को प्राप्त हुए थे। इसके बाद भी फोर्स ने सावधानी नहीं बरती और आज नक्सलियों ने अपनी इस नापाक हरकत को अंजाम दिया है।
वर्ष 2021 की घटना के दौरान नक्सलियों ने बीजापुर जिले के तर्रेम थाना क्षेत्र के नक्सली लीडर हिड़मा के गांव टेकलागुड़ा बस्ती के पास दोपहर में एंबुश में लगाकर फोर्स पर हमला किया था। हमले में 23 जवानों ने जान गंवाई थी, जिनमे 8 डीआरजी, 6 एसटीएफ, 6 कोबरा बटालियन और बस्तर बटालियन से 2 जवानों की शहादत हुई थी। इस मुठभेड़ में नक्सलियों को भी भारी नुकसान हुआ था। पुलिस ने नौ से अधिक नक्सलियों को मार गिराने का दावा किया था।
दो पहाड़ियों के बीच यू शेप में तीन तरफ से लगे थे एंबुश
आईजी पी सुंरराज ने कहा था कि नक्सली अपने साथियों के शव दो ट्रैक्टर में भरकर ले गए थे। मौके पर नक्सलियों के खाट मौजूद रहे, जिनमे खून के निशान मिले थे। नक्सलियों की मौजूदगी की सूचना के बाद सुकमा और बीजापुर जिले के करीब दो हजार जवानों को बड़े ऑपरेशन पर भेजा गया था। तर्रेम से 760 जवानों की टुकड़ी नक्सलियों के एंबुश में फंस गई थी। दो पहाड़ियों के बीच यू शेप में तीन तरफ से एंबुश लगाए गए थे। पहली ही गोलीबारी में जवानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा था। करीब चार से पांच घंटे मुठभेड़ चली थी।
हथियार भी लूटकर ले गए थे नक्सली
मुठभेड़ के बाद नक्सलियों ने बलिदान हुए जवानों के हथियारों को भी लूटकर भाग गए थे। घटनास्थल पर जवानों के हथियार नहीं मिले थे। उस दौरान ये आशंका जताई गई थी कि नक्सलियों के हाथ आधुनिक हथियार लगने से वो आगामी दिनों में सुरक्षा बलों के खिलाफ इस्तेमाल कर सकते हैं और आज की घटना के बाद ये बात सही साबित हुई है।