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नया अध्ययन : मंगल ग्रह पर तीन किलोमीटर गहराई तक पानी बड़ी तादाद में पानी

वाशिंगटन
 यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के मार्स एक्सप्रेस ने मंगल ग्रह के सबसे रहस्यमय स्थानों में से एक मेडुसे फॉसे फॉर्मेशन (एमएफएफ) को लेकर नया दावा किया है। इसको मंगल की सतह के नीचे बड़े स्तर पर जल बर्फ जमाव की उपस्थिति का पता चला है। इस खोज से पता चलता है कि इस क्षेत्र में मंगल के भूमध्य रेखा के पास पानी के बर्फ का सबसे बड़ा ज्ञात भंडार है, जो ग्रह के जलवायु इतिहास के बारे में पिछली धारणाओं को चुनौती देता है।

2007 में मार्स एक्सप्रेस के पहली बार एमएफएफ की जांच करने के डेढ़ दशक से भी अधिक समय बाद वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष यान के उन्नत मार्सिस रडार के साथ इस क्षेत्र का दोबारा दौरा किया है। 2007 और हालिया शोध दोनों को लीड करने वाले स्मिथसोनियन इंस्टीट्यूशन के थॉमस वॉटर्स ने बताया है कि उनकी खोज के नए नतीजों से संकेत मिलता है कि मंगल पर जमा पानी शुरुआती अनुमान से काफी अधिक है, ये सतह से 3.7 किलोमीटर नीचे तक फैला हुआ है।

मंगल पर पानी को खोज पर ये अहम अध्ययन
रडार डेटा के संकेतों के अनुसार, ये परतें बर्फ से बनी हैं। अगर ये बर्फ पिघली तो मंगल ग्रह की सतह 1.5 से 2.7 मीटर गहरे पानी में ढक सकती है। यह मंगल के इस क्षेत्र में खोजे गए सबसे बड़े जल भंडार का हो सकता है, जिसमें पृथ्वी के लाल सागर की मात्रा के बराबर पानी है। यानी इस पानी से लाल सागर जितना बड़ा जल भंडार भर सकता है। यह अध्ययन मंगल के इस क्षेत्र में अब तक की सबसे महत्वपूर्ण जल खोज को दर्शाता है। मंगल पर मिली इस जगह, एमएफएफ की विशेषता इसकी हवा के आकार की चोटियां और टीले हैं, जो सैकड़ों किलोमीटर तक फैले हुए हैं और कई किलोमीटर ऊंचे हैं। मंगल ग्रह के उच्चभूमियों और तराई क्षेत्रों के बीच की सीमा पर स्थित, यह संभावित रूप से ग्रह पर धूल का सबसे बड़ा स्रोत है।

शुरुआती अवलोकनों ने एमएफएफ की संरचना के बारे में सुझाव दिया है कि या तो ये बर्फ का विशाल भंडार या धूल, ज्वालामुखीय राख या तलछट का सूखा संचय है। इटली के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एस्ट्रोफिजिक्स के एंड्रिया सिचेट्टी का कहना है कि अगर एमएफएफ महज धूल का ढेर होता तो संघनन के कारण यह बहुत अधिक सघन होता। हमारे मॉडल दिखाते हैं कि केवल बर्फ की उपस्थिति ही इसके लिए जिम्मेदार हो सकती है। नए विश्लेषण से पता चलता है कि एमएफएफ में धूल और बर्फ की वैकल्पिक परतें होती हैं, जो सूखी धूल या राख की मोटी परत से ढकी होती हैं। इस तरह के महत्वपूर्ण भूमध्यरेखीय बर्फ जमाव का अर्थ है कि वे एक अलग जलवायु युग के दौरान बने थे, क्योंकि मंगल पर वर्तमान स्थितियां उनके निर्माण नहीं हो सकता।

Pradesh 24 News
       
   

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