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राम जन्मभूमि मामले में स्वामी रामभद्राचार्य की गवाही भी काफी चर्चित, इस गवाही की वजह से फैसला करने वाले जज भी चकित रह गए थे

अयोध्या
अयोध्या में राम मंदिर बनकर तैयार है। 22 जनवरी यानी कल भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा और मंदिर का उद्घाटन किया जाएगा। इस बात से सभी वाकिफ हैं कि अयोध्या के राम मंदिर के पीछे एक विशाल जन आंदोलन भी था। इस आंदोलन से कई बड़े नाम जुड़े, जिन्होंने मंदिर आंदोलन को जन-जन तक पहुंचाया। इनमें स्वामी रामभद्राचार्य भी शामिल हैं जिन्होंने दिव्यांग होकर भी लोगों के मन में राम भक्ति की ज्योति को जलाए रखा। राम जन्मभूमि मामले में स्वामी रामभद्राचार्य की गवाही भी काफी चर्चित है। उनकी इस गवाही की वजह से फैसला करने वाले जज भी चकित रह गए थे।

जैमिनीय संहिता का उदाहरण दे बताया सटीक स्थान
सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद मामले के दौरान स्वामी रामभद्राचार्य ने गवाही दी थी, जो सुर्खियों का हिस्सा बन गई। उन्होंने वेद-पुराण के आधार पर जो गवाही दी उससे कोर्ट के जज भी चकित रह गए। श्रीराम जन्मभूमि के पक्ष में रामभद्राचार्य वादी के तौर पर उपस्थित हुए थे। उन्होंने सबसे प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद की जैमिनीय संहिता से उदाहरण दिया था। रामभद्राचार्य ने जैमिनीय संहिता के तहत सरयू नदी के स्थान से विशेष दिशा की ओर बिल्कुल सटीक जन्मस्थान का ब्योरा दिया था।

चकित रह गए थे सुप्रीम कोर्ट के जज भी
रामभद्राचार्य की गवाही के बाद जब जज ने जैमिनीय संहिता मंगाई। जिन उदाहरणों का रामभद्राचार्य ने जिक्र किया था उसे जज ने खोलकर देखा। जज ने पाया कि सभी विवरण सही थे। जज ने पाया कि जिस स्थान पर श्रीराम जन्मभूमि संहिता में बताई गई थी, विवादित ढांचा भी ठीक उसी स्थान पर था। स्वामी रामभद्राचार्य की गवाही ने फैसले का रुख मोड़ दिया। सुनवाई करने वाले जज ने चकित होकर रामभद्राचार्य की गवाही को भारतीय प्रज्ञा का चमत्कार माना। उन्होंने, "एक व्यक्ति जो देख नहीं सकते, कैसे वेदों और शास्त्रों के विशाल संसार से उदाहरण दे सकते हैं, इसे ईश्वरीय शक्ति ही मानी जाती है।"

राम मंदिर के लिए व्याकुल हैं रामभद्राचार्य
राम जन्मभूमि के लिए संघर्ष करने और लाठी तक खाने वाले पद्म विभूषण से सम्मानित तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य रामलला के विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा की बात करते भावुक हो जाते हैं। हिन्दुस्तान से बातचीत में उन्होंने राम मंदिर के लिए अपने संघर्ष के दिनों को याद किया। राम मंदिर के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि वह इस शुभ घड़ी की प्रतीक्षा में थे। उन्होंने कहा, "मेरी यह व्याकुलता वैसी ही है जैसी किसी पिता की अपने वर्षों से बिछड़े हुए पुत्र से मिलने की होती है।"

 

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