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भारत ने अमेरिका से की सीक्रेट डील, अब दुश्मन देशों की नहीं खैर

नईदिल्ली

भारत अपने दुश्मन देशों से निपटने के लिए अमेरिका से एक बड़ी डील कर रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, भारत अमेरिका से तीस करोड़ अमेरिकी डॉलर (2700 करोड़ रुपये) का हथियार खरीदेगा. इस हथियार से भारत दुश्मन देशों के युद्धपोतों और पनडुब्बियों का आसानी से मुकाबला कर सकेगा. यह सभी हथियार इंडियन नेवी के लिए खरीदे जा रहे हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत इंडियन नेवी के मल्टी रोल हेलीकॉप्टर MH 60 'Romeo' की क्षमता बढ़ाने के लिए अमेरिका से लगभग तीन अरब रुपये के हथियार खरीद रहा है.

MH 60 'Romeo' हेलीकॉप्टर फिलहाल भारत का मोस्ट एडवांस्ड मल्टी रोल हेलीकॉप्टर है. इसे पिछले साल ही इंडियन नेवी के बेड़े में शामिल किया गया था. इस डील के बाद एमएच-60 रोमियो हेलिकॉप्टर को हेलफायर मिसाइल से लैस किया जाएगा.

हेलफायर मिसाइल एक पावरफुल एंटी शिपिंग हथियार है. इसकी मदद से टैंक और कमांड पोस्ट को असानी से टारगेट किया जा सकता है. इस मिसाइल के कई वैरिएंट्स हैं. यह मिसाइल मजबूत से मजबूत बंकर, टैंक और मोटी कॉन्क्रीट की दीवार में विस्फोट करने में सक्षम है. इस मिसाइल की बड़ी बात यह है कि यह हवा से हवा में भी वार कर सकती है.

वहीं, Mk 54 लाइटवेट टॉरपीडो एक पनडुब्बी-रोधी हथियार है. इसकी लंबाई 2.72 मीटर है. इस हथियार से भारत अपनी समुद्री सीमा की रक्षा चुनौतियों का सामना कर सकता है. इसके अलावा, इससे हिंद महासागर में चीनी हरकतों को आसानी से नाकाम किया जा सकता है.

अमेरिका से बातचीत अंतिम चरण में

रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका से हथियारों की खरीद को लेकर चल रही बातचीत अंतिम चरण में है. इस डील पर अंतिम मुहर के लिए भारतीय रक्षा मंत्रालय की अमेरिकी प्रशासन के साथ बातचीत चल रही है.

भारत ने 2020 में 24 MH-60 Romeo हेलीकॉप्टर खरीदने के लिए फास्ट ट्रैक मोड पर 16 हजार करोड़ का सौदा किया था. हेलफायर मिसाइल और Mk 54 लाइटवेट टॉरपीडो डील के बाद ये हेलीकॉप्टर मल्टी मोड रडार और नाइट विजन डिवाइस से लैस होंगे. MH-60 Romeo हेलीकॉप्टर सी किंग हेलीकॉप्टर (Sea King choppers) की जगह लेगा.

MH-69 हेलीकॉप्टर को फ्रिगेट, डिस्ट्रॉयर, क्रूजर और एयरक्राफ्ट कैरियर से भी ऑपरेट किया जा सकता है. इस चॉपर को पनडुब्बी रोधी के साथ-साथ समुद्र में खोज और बचाव कार्यों के लिए भी डिजाइन किया गया है.

वहीं, MK 54 लाइटवेट टॉरपीडो प्राथमिक एंटी-सबमरीन वारफेयर हथियार है. इसका उपयोग अमेरिकी जहाजों, फिक्स्ड-विंग एयरक्राफ्ट और हेलीकॉप्टरों द्वारा किया जाता है. हालांकि, MK 54 लाइटवेट टॉरपीडो पहले से ही भारतीय नौसेना के P-8I पनडुब्बी रोधी और निगरानी विमानों में शामिल है.

हेलफायर मिसाइल का कब-कब हुआ उपयोग

हेलफायर एक प्रेसिजन-गाइडेड (precision-guided ) मिसाइल है. इसी का इस्तेमाल करते हुए अमेरिकी सेना ने अगस्त 2022 में अलकायदा के सरगना अल जवाहिरी को ढेर कर दिया था.

हेलफायर मिसाइल को निंजा बम भी कहा जाता है. इसके वेरिएंट RX9 का उपयोग अमेरिका ने सबसे पहले 2017 में शुरू किया था. इसी मिसाइल से अमेरिका ने कोले बमबारी में मुख्य आरोपी जमाल अहम मोहम्मद और अलकायदा के प्रमुख आतंकी अबु खार अल-मसरी को ढेर किया था. इसके अलावा, अमेरिका ने इस मिसाइल का उपयोग सीरिया और अफगानिस्तान में भी कर चुका है.

चीन से निपटने की तैयारी

चीन से बढ़ते गतिरोध को देखते हुए भारत अमेरिका से MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन भी खरीदने की तैयारी कर रहा है. फरवरी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी जल्द ही भारत को अपना हमलावर ड्रोन MQ-9B दे सकता है. अमेरिका से मिलने वाली इस 30 ड्रोन को भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा जरूरतों की दृष्टि से महत्वपूर्ण बताया जा रहा है. इस ड्रोन की मदद से भारत चीन से लगी सीमा (LAC) और हिंद महासागर के अलावा पूरे निगरानी तंत्र को मजबूत कर पाएगा.

Pradesh 24 News
       
   

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