उम्मीदवारों को चुनने के लिए भाजपा ने अपनाई ‘माइक्रो’ रणनीति
कर्नाटक
कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 में अत्यधिक सीटों पर जीत हासिल करने के लिए भारतीय जनता पार्टी पुरुजोर कोशिश कर रही है। चाहे वो चुनाव प्रचार हो या उम्मीदवारों का चयन। भाजपा किसी भी स्तर पर इस चुनाव में जोखिम नहीं लेना चाहती है, ये ही कारण है कि भाजपा किसी भी गलत से कदम से बचने के लिए सबसे योग्य यानी जिताऊ कैंडीडे की पहचान करने के लिए एक अहम प्रयोग कर रही है। ये ही कारण है कि कर्नाटक की सत्तारुढ़ पार्टी ने अभी तक अपने उम्मीदवारों के नामों का खुलासा नहीं किया है। कर्नाटक में भाजपा ने 10 मई के चुनाव के लिए सबसे अधिक जीतने योग्य उम्मीदवारों की पहचान करने के लिए राज्य भर में मिनी चुनाव शुरू किए हैं और उम्मीदवारों की एक फाइन लिस्ट तैयार की है। इस सूची को पहले चुनावों पर फैसले लेने वाली भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति की 8 अप्रैल को होने वाली बैठक में रखेगी। केंद्रीय चुनाव समिति जिन उम्मीदवारों पर हामी भरेंगे उन्हें ही चुनावी जंग के मैदान में उतारा जाएगा।
नामांकन प्रक्रिया के करीब पहुंचने पर पार्टी अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर सकती है। सूत्रों का कहना है कि टिकट चाहने वाले अगर नहीं चुने जाते हैं तो असंतुष्ट नेताओं को दूसरे पक्ष में जाने का भी मौका नहीं मिलेगा क्योंकि तब तक अन्य विपक्षी पार्टियों में टिकटों का बंटवारा भी हो जाएगा। बीजेपी अपनी 'वेट एंड वॉच' की रणनीति के तहत कांग्रेस और जनता दल (सेक्युलर) के उम्मीदवारों की सूची पर नजर रख रही है। भाजपा के लिए ये कर्नाटक चुनाव इसलिए बहुत अहम है क्योंकि पार्टी मौजूदा सरकार को वोट देने के चलन को खारिज करने की कोशिश कर रही है। सूत्रों के अनुसार भजपा ने उम्मीदवारों के फाइलन नामों के लिए माइक्रो चुनाव शुरू कर दिया है। इसमें प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में आंतरिक सर्वेक्षण और चुनाव शामिल हैं। ऐसा ही मॉडल जिसे आखिरी बार हिमाचल प्रदेश में इस्तेमाल किया गया था।
दो हफ्ते पहले शुरू हुई माइक्रो चुनाव की इस कवायद में हर विधानसभा क्षेत्र के स्थानीय नेताओं से तीन सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवारों को वोट देने के लिए कहा गया था। उन्हें मतदान पर्ची सौंपी गई और अपनी वरीयता अंकित करने को कहा गया। मतपेटियों को बेंगलुरु लाया गया और परिणामों के आधार पर, प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में तीन शीर्ष नाम थे। ये नाम भाजपा द्वारा करवाए गए आंतरिक सर्वेक्षण और जनमत सर्वेक्षणों से मेल खाते थे। राज्य में भाजपा के कोर ग्रुप ने जिलेवार नामों पर चर्चा करने के लिए बीते सप्ताह के अंत में एक बैठक की। केंद्रीय चुनाव समिति को नाम भेजे जाएंगे। कर्नाटक में 10 मई को एक ही चरण में मतदान होगा और नतीजे तीन दिन बाद घोषित किए जाएंगे।
सूत्रों का कहना है कि उम्मीदवारों को छवि, जीतने की क्षमता और उनके पुरानी साफ छवि के आधार पर आंका जा रहा है। याद रहे कर्नाटक में अपनी मौजूदा सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी भाजपा ने साफ कर दिया है कि वो साफ-सुथरी छवि वाले उम्मीदवारों को ही मौका देगी जिन पर भ्रष्टाचार के मामले नहीं हैं। भाजपा सूत्रों के अनुसार जीतने की क्षमता के लिए, भाजपा प्रतिद्वंद्वियों कांग्रेस और जनता दल (सेक्युलर) के उम्मीदवारों को टक्कर देने से नहीं हिचकेगी।