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सरकार अधिक उत्पादों को अनिवार्य गुणवत्ता मानकों के तहत लाएगी: गोयल

सरकार अधिक उत्पादों को अनिवार्य गुणवत्ता मानकों के तहत लाएगी: गोयल

नई दिल्ली
 उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के क्रम में सरकार अन्य उत्पादों को भी अनिवार्य गुणवत्ता मानकों के दायरे में लेकर आएगी।

गोयल ने भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के 77वें स्थापना दिवस को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये संबोधित करते हुए कहा कि उत्पादों और सेवाओं में उच्च गुणवत्ता मानकों का अनुपालन करने से भारत को ऊंचा लक्ष्य पाने और एक विकसित राष्ट्र बनने में मदद मिलेगी।

उन्होंने कहा, "इस दिशा में बीआईएस को गुणवत्ता मानकों का दूत बनना चाहिए। इसे केवल मानकों को अपनाने वाला नहीं बनना चाहिए, बल्कि मानकों का अगुवा भी बनना चाहिए।"

देश को गुणवत्ता के प्रति संवेदनशील बनाने में बीआईएस के प्रयासों को रेखांकित करते हुए गोयल ने कहा कि गुणवत्ता मानदंडों के अनिवार्य अनुपालन के तहत और अधिक उत्पादों को लाने से उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण उत्पादों एवं सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित हुई है।

उन्होंने कहा कि अभी तक 672 उत्पादों को दायरे में लाने वाले 156 गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (क्यूसीओ) जारी किए जा चुके हैं। वहीं 2014 से पहले सिर्फ 106 उत्पादों को दायरे में लाने वाले 14 क्यूसीओ ही मौजूद थे।

गोयल ने कहा,"भविष्य में और अधिक उत्पाद क्यूसीओ के दायरे में लाए जाएंगे। मेरा मानना है कि हम 2,000-2,500 उत्पादों को इस दायरे में लाएंगे। गुणवत्ता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता इतनी मजबूत होगी कि भारत में उपलब्ध प्रत्येक उत्पाद/ सेवा उच्च गुणवत्ता वाली होगी।"

गोयल ने कहा कि बीआईएस को हरसंभव स्तर पर अंतरराष्ट्रीय मानकों के समान गुणवत्ता मानक तैयार करने चाहिए। उन्होंने लिफ्ट, एयर फिल्टर और चिकित्सा उपकरणों जैसे उत्पादों का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत इनमें अग्रणी हो सकता है और अंतरराष्ट्रीय मानक स्थापित कर सकता है।

उन्होंने गुणवत्ता मानक बनाने के लिए अधिक से अधिक हितधारकों की भागीदारी का भी आग्रह किया और उद्योग जगत से गुणवत्ता के परीक्षण के लिए प्रयोगशालाएं स्थापित करने की अधिक मांग करने को कहा।

कपड़ा मिल संघों ने सरकार से वित्तीय मदद की गुहार लगाई

मुंबई
कपड़ा मिल संघों ने गुणवत्ता नियंत्रण मुद्दों के साथ निर्यात में मंदी के कारण चल रहे संकट से निपटने में मदद के लिए सरकार से वित्तीय राहत देने की अपील की है।

कपड़ा मिल संघों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से अपनी एक अपील में कहा है कि यूक्रेन-रूस संघर्ष और इजराइल-हमास युद्ध जैसे बाहरी कारकों की वजह से निर्यात, खासकर कपास पर आधारित क्षेत्र में मंदी आने से उद्योग गंभीर वित्तीय संकट से गुजर रहा है।

मिल संगठनों ने एक बयान में कहा कि वैश्विक संघर्षों के दीर्घकालिक आर्थिक प्रभाव, कपास पर 11 प्रतिशत आयात शुल्क होने और मानव-निर्मित फाइबर (एमएमएफ) के गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों से संबंधित मुद्दों के कारण उनके क्षमता उपयोग में गिरावट आई है। उनका क्षमता का इस्तेमाल एक साल से 50 प्रतिशत से लेकर 70 प्रतिशत तक गिर गया है।

मिल संगठनों के मुताबिक, इस स्थिति ने कई कताई मिलों, खासकर छोटे एवं मझोले स्तर की मिलों को गंभीर वित्तीय तनाव में डाल दिया है, जिससे वे कर्ज चुकाने और स्थायी शुल्कों की भरपाई में असमर्थ हो गई हैं।

इन चुनौतियों को देखते हुए कपड़ा मिल संघों ने वित्त मंत्री से आग्रह किया है कि वे बैंकिंग क्षेत्र को एक विशेष मामला मानकर इस उद्योग को वित्तीय सहायता उपायों का विस्तार करने की सलाह दें, और मूल कर्ज राशि के पुनर्भुगतान के लिए एक साल की मोहलत दें।

भारतीय कपड़ा उद्योग परिसंघ (सिटी) के चेयरमैन राकेश मेहरा ने कहा, "हम वित्त मंत्री से अपील करते हैं कि कताई क्षेत्र में आए अप्रत्याशित संकट को कम करने, कई लाख लोगों की नौकरी जाने से रोकने, बाजार हिस्सेदारी बनाए रखने और निर्धारित निर्यात लक्ष्यों को हासिल करने के लिए हमारी स्थिति पर विचार करें।"

कारोबारी एक मार्च से ई-चालान विवरण के बगैर नहीं बना पाएंगे ई-वे बिल

नई दिल्ली
पांच करोड़ रुपये से अधिक कारोबार वाले व्यवसाय एक मार्च से सभी कारोबारी लेनदेन के लिए ई-चालान दिए बगैर ई-वे बिल जारी नहीं कर पाएंगे।

माल एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली के तहत 50,000 रुपये से अधिक कीमत के माल को एक राज्य से दूसरे राज्य ले जाने के लिए ई-वे बिल रखना जरूरी होता है।

राष्ट्रीय सूचना-विज्ञान केंद्र (एनआईसी) ने विश्लेषण के आधार पर पाया है कि ई-चालान के लिए कुछ पात्र करदाता बी2बी (फर्म से फर्म को) और बी2ई (कंपनियों से निर्यातकों को) के लेनदेन के लिए ई-वे बिल ई-चालान से जोड़े बगैर ही बना दे रहे हैं।

इनमें से कुछ मामलों में, ई-वे बिल और ई-चालान के तहत अलग-अलग दर्ज चालान विवरण कुछ मापदंडों में मेल नहीं खा रहे हैं। इससे ई-वे बिल और ई-चालान विवरण के बीच मिलान नहीं हो रहा है।

एनआईसी ने जीएसटी करदाताओं से कहा, "ऐसी स्थितियों से बचने के लिए एक मार्च, 2024 से ई-चालान विवरण के बिना ई-वे बिल बनाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। यह ई-चालान सक्षम करदाताओं और कारोबारी व निर्यात के तहत आपूर्ति से संबंधित लेनदेन के लिए लागू है।"

हालांकि एनआईसी ने यह साफ किया है कि ग्राहकों से या गैर-आपूर्ति वाले अन्य लेनदेन के लिए ई-वे बिल पहले की तरह चलेगा।

 

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