अरविंद केजरीवाल के सामने 3 मुश्किलें और एक बड़ी उम्मीद, कैसा होगा AAP का 2024
नई दिल्ली
नए साल 2024 का आगाज हो गया है। राजनीति के लिहाज से यह साल बेहद अहम होने वाला है। इस साल देश में लोकसभा का चुनाव होने जा रहा है, जो पांच साल के बाद सबसे बड़ा लोकतांत्रिक पर्व होगा। नए साल की बात आम आदमी पार्टी के परिपेक्ष्य में करें तो दिल्ली और पंजाब की सत्ताधारी पार्टी के लिए यह बेहद अहम होने जा रहा है। एक दशक पहले बनी पार्टी के लिए 2023 कई मुश्किलें लेकर आया जिनसे नए साल में भी मुकाबला हो सकता है। वहीं, अरविंद केजरीवाल की कोशिश होगी कि अगले लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करके संसद में ताकत बढ़ाई जाए। आइए देखते हैं AAP के सामने इस साल कौन सी 3 बड़ी चुनौतियां हैं और क्या सबसे बड़ी उम्मीद है।
कानूनी मुश्किलों से सामना
2023 की तरह आम आदमी पार्टी और इसके मुखिया अरविंद केजरीवाल को नए साल में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। जिसकी शुरुआत साल के तीसरे दिन ही हो सकती है। कथित शराब घाटोले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में अरविंद केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय ने पूछताछ के लिए बुलाया है। इससे पहले दो समन को केजरीवाल दरकिनार कर चुके हैं। 'आप' और खुद अरविंद केजरीवाल आशंका जाहिर रक चुके हैं कि मनीष सिसोदिया और संजय सिंह की तरह उन्हें भी गिरफ्तार किया जा सकता है। शराब घोटाले के अलावा बंगला विवाद भी मुश्किलें बढ़ा सकता है जिसमें सीबीआई ने प्राथमिक जांच शुरू कर दी है। केजरीवाल को जहां गिरफ्तार किए जाने की आशंका है तो मनीष सिसोदिया और संजय सिंह जैसे बड़े नेताओं को जमानत नहीं मिल पा रही है।
संगठन और सरकार की बढ़ीं चुनौतियां
पार्टी के दो प्रमुख नेताओं के जेल चले जाने और खुद अरविंद केजरीवाल पर गिरफ्तारी की तलवार लटकने के बाद आम आदमी पार्टी की सरकार और संगठन के लिए चुनौतियां बहुत बढ़ चुकी हैं। केजरीवाल के दाएं और बाएं हाथ कहे जाने वाले वाले मनीष सिसोदियाा और संजय सिंह के लंबे समय से जेल में हैं तो वहीं, सत्येंद्र जैन भी एक अन्य मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसे होने की वजह से पार्टी और सरकार के कामकाज से दूर हैं। ऐसे में पार्टी के लिए संगठन और सरकार दोनों ही मोर्चों पर कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, केजरीवाल सरकार का दावा है कि उसके नेताओं की गिरफ्तारी से दिल्ली की सेवा में कमी नहीं आई है।
लोकसभा की तैयारी और दिल्ली चुनाव भी करीब
इन मुश्किलों से जूझते हुए आम आदमी पार्टी और इसके मुखिया अरविंद केजरीवाल को जहां एक तरफ लोकसभा चुनाव की तैयारी करनी है तो दिल्ली में कामकाज के लिए लिहाज से भी यह साल बहुत महत्वपूर्ण होने वाला है। दिल्ली में अगले विधानसभा चुनाव से पहले केजरीवाल सरकार के सामने यह कामकाज का आखिरी साल है। अगले साल की शुरुआत में ही विधानसभा चुनाव होगा। ऐसे में केजरीवाल को कानूनी मुश्किलों का सामना करते हुए दोहरे मोर्चे पर तैयारी करनी है।
क्या है उम्मीद की किरण
आम आदमी पार्टी ने अपने सबसे बड़े संकट के बीच जनता के सामने खुद को 'बदले की राजनीति का विक्टिम' बताने के मुहिम का आगाज कर दिया है। नैरेटिव को अपने पक्ष में बदलने में माहिर आप संयोजक कार्यकर्ताओं को 'मैं भी केजरीवाल' मुहिम के तहत घर-घर भेज रहे हैं। उन्होंने इसके जरिए लोकसभा चुनाव और अगले विधानसभा चुनाव की तैयारी भी शुरू कर दी है। पार्टी को उम्मीद है कि इस बार कांग्रेस से गठबंधन करके वह दिल्ली में पहली बार लोकसभा चुनाव में खाता खोल सकती है। वहीं, पंजाब में पहली बार सरकार बनाने के बाद वहां भी पार्टी को सर्वश्रेष्ठ परिणाम की उम्मीद है। हाल के दिनों में आए कुछ सर्वे ने भी ऐसे संकेत दिए हैं। ऐसे में पार्टी की कोशिश लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करके यह साबित करने की कोशिश की होगी कि जनता के बीच केजरीवाल की लोकप्रियता कायम है।