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कुछ ही घंटों में होगा वर्ष 2024 का आगाज, नए साल मनाने से जुड़े ये तथ्य कर देंगे हैरान !

सिडनी
पूरी दुनिया नए साल का स्वागत करने के लिए तैयार है। कुछ ही घंटों में 2024 का आगाज होने वाला है । लोग नए साल का स्वागत करने के लिए तैयार हैं।  हालांकि, नए साल का जश्न दुनिया के सभी देशों में अलग-अलग समय पर होता है।  क्योंकि विभिन्न देशों की घड़ी के मुताबिक कई जगह 12 बजे से पहले तो वहीं कई जगह 12 बजे के बाद नए साल का जश्न शुरू होता है।  जानते हैं कौन सा देश सबसे पहले करेगा 2024  का स्वागत और कौन सबसे आखिर में मनाएगा जश्न

सबसे पहले  यह देश करेगा नए साल का स्वागत
दुनियाभर में नए साल की शुरुआत 31 दिसंबर और 1 जनवरी के बीच की रात में होती है। हालांकि, सभी जगह इसका समय अलग-अलग होता है। यही वजह है कि कई देशों में नए साल के शुरू होने के समय में घंटों का अंतर होता है।  इस हिसाब से सबसे पहले ओशिआनिया (ऑस्ट्रेलिया), टोंगा और समोआ में  नए साल का आगमन होता है। भारतीय समय के मुताबिक इन जगहों पर 31 दिसंबर की शाम 3:30 बजे नया साल शुरू होता है। वहीं,   एशिआई देशों जापान और दक्षिण कोरिया में सबसे पहले नया साल शुरू होता है। जापान और दक्षिण कोरिया में 31 दिसंबर की रात 8:30 बजे (भारतीय समय) से  नया साल  शुरू हो जाता है। यानि जब भारत में रात के 8:30 बज रहे होते हैं, उस समय इन देशों में 1 जनवरी की सुबह होती है।  सबसे आखिर में नया साल मनाने वाले देश की तो यूएस माइनर आउटलाइंग आइलैंड में सबसे आखिर में नया साल मनाया जाता है। भारतीय समय के अनुसार यहां एक जनवरी शाम 5:30 बजे नए साल की शुरुआत होती है। भारत में सबसे पहले अरुणाचल प्रदेश में सूर्योदय होता है। इस राज्य की डोंग वैली पर सबसे पहले सूर्य की किरणें पड़ती हैं।

इस जगह से हुई थी नया साल मनाने की शुरुआत
नया साल मनाने की शुरुआत करीब 4000 साल पहले बेबीलीन नामक जगह पर हुई थी। हालांकि, उस दौरान नए साल का जश्न 1 जनवरी नहीं बल्कि मार्च के महीने से शुरू होता था। लेकिन, बाद में कैलेंडर में हुए बदलाव के बाद 1 जनवरी से नए साल की शुरुआत की गई और सबसे पहले  रोमन शासक जूलियस सीजर ने  इसकी शुरुआत की।

12 नहीं पहले इतने महीने और दिन होते थे साल में
1 जनवरी को नया साल मनाने की शुरुआत ग्रेगोरियन कैलेंडर के तहत सन 1582 में हुई थी।  इससे पहले पूरी दुनिया में जूलियन कैलेंडर फॉलो किया जाता था, जिसमें सिर्फ 10 महीने होते थे। एक साल में 310 दिन होते थे वहीं एक सप्ताह  8 दिन का होता था। अमेरिका के एक फिजिशियन एलॉयसिस लिलिअस ने दुनिया को एक नया कैलेंडर दिया।जिसे ग्रेगोरियन कैलेंडर कहा गया। इस कैलेंडर में 1 जनवरी को साल का पहला दिन माना गया, तब से 1 जनवरी को नया साल मनाने की परंपरा शुरू हुई जो आज भी बदस्तूर जारी है।

पहले  इस महीने में मनाया जाता था नया साल
पहले नया साल 25 मार्च या फिर 25 दिसंबर क्रिसमस के दिन बनाया जाता था, लेकिन रोम के पहले राजा नूमा पोंपलिस ने रोमन कैलेंडर में बदलाव किया और 2 महीने जोड़े गए। इसके बाद साल में 12 महीने होने लगे। एक साल में 365 दिन और एक सप्ताह में 7 दिन होने लगे।इसके बाद जनवरी को साल का पहला महीना माना जाने लगा।

कहां से आई ये परंपरा
नया साल 1 जनवरी को  मनाने की परंपरा ईसाई धर्म के तहत आई।जबकि भारत में अलग-अलग धर्मों को मानने वाले लोग  अपने धर्म के मुताबिक नया साल मनाते हैं। हिंदू धर्म की बात करें तो हिंदुओं में चैत्र मास में नए साल की शुरुआत होती है वहीं मुस्लिम धर्म में इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक मोहर्रम के महीने को साल का पहला महीना माना जाता है।मराठी लोग गुड़ी पड़वा के समय नव वर्ष मनाते हैं व पारसी धर्म में नया साल नवरोज उत्सव के रूप में मनाया जाता है।

 

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